Mahila Naga Sadhu : क्या आपने देखा है महिला नागा साधु, बेहद कम देती है दर्शन, केवल इस समय आती हैं दुनिया के सामने...
Mahila Naga Sadhu : तन पर राख, रुद्राक्षों की मालाएं, लंबी-लंबी जटाएं रखकर रहस्यमयी नजर आने वाले नागा साधुओं की दुनिया भी उनकी तरह रहस्यमयी है. महिला नागा साधु कैसे बनती हैं? महिला नागा साधुओं को कई साल तक कठिन तप करना पड़ता है, खुद को ईश्वर के चरणों में समर्पित करना होता है. इसके …
Mahila Naga Sadhu : तन पर राख, रुद्राक्षों की मालाएं, लंबी-लंबी जटाएं रखकर रहस्यमयी नजर आने वाले नागा साधुओं की दुनिया भी उनकी तरह रहस्यमयी है. महिला नागा साधु कैसे बनती हैं? महिला नागा साधुओं को कई साल तक कठिन तप करना पड़ता है, खुद को ईश्वर के चरणों में समर्पित करना होता है. इसके बाद गुरु उनकी साधना, तप देखकर उन्हें नागा साधु का दर्जा देते हैं. इससे पहले इन महिलाओं को खुद अपना पिंडदान करना होता है, अपना सिर मुंडवाना होता है. चाहे कितनी भी ठंड हो ये नागा साधु कभी कपड़े नहीं पहनते हैं. अब ऐसे में लोगों के मन में ये सवाल आना आम बात है कि क्या महिला नागा साधु भी पुरुष नागा साधुओं की तरह निर्वस्त्र रहती हैं.
क्या निर्वस्त्र रहती हैं महिला नागा साधु-
साधु-संतों की नागा साधुओं वाली बिरादरी अन्य साधुओं से बेहद अलग होती है. नागा साधु बनने की प्रक्रिया भी बहुत कठिन होती है और वे आम दुनिया से दूर रहकर जंगल, पहाड़ों पर रहकर तपस्या में ही लीन रहती हैं. ये नागा साधु खास मौकों पर ही दुनिया के सामने आते हैं. उस पर महिला नागा साधुओं की बात करें तो वे और भी कम नजर आती हैं. महिला नागा साधु बनने की प्रक्रिया भी बेहद कठिन होती है. साथ ही उनका जीवन भी बहुत मुश्किल होता है. महिला नागा साधु बिना सिला हुआ गेरुआ रंग का केवल एक वस्त्र धारण करती हैं. इसके अलावा महिला नागा साधु, पुरुष नागा साधु की तरह धूनी की राख, मालाएं, तिलक धारण करती हैं. साथ ही लंबी-लंबी जटाएं रखती हैं.
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महिला नागा साधु कैसे बनती हैं-
महिला नागा साधुओं को कई साल तक कठिन तप करना पड़ता है, खुद को ईश्वर के चरणों में समर्पित करना होता है. इसके बाद गुरु उनकी साधना, तप देखकर उन्हें नागा साधु का दर्जा देते हैं. इससे पहले इन महिलाओं को खुद अपना पिंडदान करना होता है, अपना सिर मुंडवाना होता है. वे हमेशा घने जंगलों, पहाड़ों और गुफाओं में रहकर भगवान की भक्ति करती हैं. वे केवल माघ मेले, कुंभ, महाकुंभ आदि के दौरान ही पवित्र नदियों में स्नान करने के लिए बाहर आती हैं और फिर जल्द ही अपनी दुनिया में वापस लौट जाती हैं.