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Chhattisgarh

Raipur : अपने ही धर्म गुरु और भगवान का नाम भूल गए पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह, एकटक देखते रहे महाराज धीरेंद्र शास्त्री, देखें वीडियों...

Sharda Kachhi
23 Jan 2023 7:02 AM GMT
Raipur
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रायपुर : छतरपुर के बागेश्वर धाम वाले बाबा का दरबार भले ही रायपुर में लगा है, उत्तर प्रदेश और बिहार से लेकर दिल्ली तक में राजनीतिक हंगामा खड़ा हो गया है। समर्थन और विरोध में प्रदर्शन हो रहे हैं। इसी बीच छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह रायपुर स्थित गुढ़ियारी में बाबा बागेश्वर धाम …

Raipurरायपुर : छतरपुर के बागेश्वर धाम वाले बाबा का दरबार भले ही रायपुर में लगा है, उत्तर प्रदेश और बिहार से लेकर दिल्ली तक में राजनीतिक हंगामा खड़ा हो गया है। समर्थन और विरोध में प्रदर्शन हो रहे हैं। इसी बीच छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह रायपुर स्थित गुढ़ियारी में बाबा बागेश्वर धाम की कथा सुनने पहुंचे उन्होंने मंच पर अनुमोदन किया लेकिन उन्होंने बागेश्वर धाम और महाराज धीरेंद्र शास्त्री का ही नाम ही गलत बोल दिया जिसके बाद से राजनीतिक गलियारे में उनकी चर्चा होने लगी कि लोग कहने लगे जो व्यक्ति अपने ही धर्म के गुरु और भगवान का नाम है सही से नहीं बोल पा रहा वह छत्तीसगढ़ में अपनी सरकार क्या बनाएंगे।

See Video : https://fb.watch/idWNuOtfzN/

महाराज धीरेंद्र शास्त्री पर बोले सीएम बघेल

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि कोई भी व्यक्ति चाहे कोई भी मार्ग अपनाकर साधना करें तो उसे सिद्धियां मिल जाती है, लेकिन किसी को इस तरह चमत्कार नहीं दिखानी चाहिए। इससे केवल समाज में जटिलता आती है। मख्यमंत्री ने कहा कि चमत्कार दिखाना जादूगरों का काम होता है। मुख्यमंत्री ने चमात्कार को लेकर मीडिया से चर्चा मेें विस्तार से बात की। उन्होेंने कहा कि साधक को सिद्धियां मिल ही जाती हैं। इतनी सिद्धियां मिलती हैं कि वह बीमार को ठीक कर सकता है। किसी सामान को हवा में उड़ा सकता है। मुख्यमंत्री ने दो महापुरुषों रामकृष्ण परमहंस और गौतम बुद्ध का उदाहरण दिया और कहा कि सिद्धियों का प्रयोग चमत्कार दिखाने मेें नहीं करना चाहिए।

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कौन हैं धीरेंद्र शास्त्री

मध्यप्रदेश में बागेश्वर धाम एक चंदेलकालीन प्राचीन सिद्ध पीठ है। 1986 में ग्रामवासियों द्वारा मंदिर का जीर्णाेद्धार कराया गया था। उसके बाद सन 1987 के बीच में ग्राम गढ़ा के बाबा सेतुलाल महाराज उर्फ भगवानदास महाराज निर्मोही अखड़ा चित्रकूट से दीक्षा प्राप्त करके बागेश्वर धाम पहुंचे थे। इसके बाद सन 1989 में एक विशाल यज्ञ का आयोजन करवाया गया था।

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