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Vastu Tips : क्या घर में घुसते ही होने लगता है नकारात्मकता का अहसास, तो हो जाए सावधान, घेर सकती है कई बड़ी बीमारी, इन नियमों का रखें ध्यान...
नई दिल्ली, Vastu Tips ; वास्तु शास्त्र मैं विश्वास रखने बालों के लिए हर चीज महत्वपूर्ण होता है चाहे वह घर के समाने का समान का रखरखाव हो या कोई अन्य चीज उनके लिए हर बात महत्वपूर्ण होती है, वही भवनों की बनावट पहले की तुलना में सुंदर व भव्य तो जरूर हो गई हैं, …
नई दिल्ली, Vastu Tips ; वास्तु शास्त्र मैं विश्वास रखने बालों के लिए हर चीज महत्वपूर्ण होता है चाहे वह घर के समाने का समान का रखरखाव हो या कोई अन्य चीज उनके लिए हर बात महत्वपूर्ण होती है, वही भवनों की बनावट पहले की तुलना में सुंदर व भव्य तो जरूर हो गई हैं, परंतु कई बार इनके निर्माण में वास्तु के नियमों की अवेहलना की जाती है,नतीजन वास्तुदोष उत्पन्न हो जाते हैं। वहां रहने वालों को शारीरिक व मानसिक रोगी बनाने में अहम भूमिका निभाते है। वास्तु दोष से मुक्ति के लिए पंचतत्व पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु एवं आकाश चारों दिशाएं पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण तथा चारों कोण नैऋत्य, ईशान, वायव्य,अग्नि एवं ब्रह्म स्थान (केंद्र) को संतुलित करना आवश्यक है। इसके साथ ही वास्तु के कुछ नियमों का ठीक ढंग से पालन किया जाए तो भवन में रहने वाले सभी लोग स्वस्थ्य रह सकते हैं।
नींद नहीं आने की बीमारी-
वास्तुशास्त्र में पूर्व तथा उत्तर दिशा का हल्का और नीचा होना तथा दक्षिण व पश्चिम दिशा का भारी व ऊँचा होना अच्छा माना गया है। यदि पूर्व दिशा में भारी निर्माण हो तथा पश्चिम दिशा एकदम खाली व निर्माण रहित हो तो अनिद्रा का शिकार होना पड़ सकता है।उत्तर दिशा में भारी निर्माण हो परन्तु दक्षिण और पश्चिम दिशा निर्माण रहित हो तो भी ऐसी स्थिति उत्त्पन्न होती है।
थकान,सिरदर्द एवं बेचैनी-
गृहस्वामी अग्निकोण या वायव्य कोण में शयन करे,या उत्तर में सिर व दक्षिण में पैर करके सोए तब भी अनिद्रा या बेचैनी,सिरदर्द और चक्कर जैसी परेशानी हो सकती है,जिसके कारण दिन भर थकान की समस्या हो सकती है। धन आगमन और स्वास्थ्य की दृष्टि से दक्षिण या पूर्व की ओर पैर करना अच्छा माना गया है।
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उदर रोग-
किसी भी भवन में उत्तर पूर्वी भाग का संबंध जल तत्व से होता है अतः स्वास्थ्य की दृष्टि से किसी भी मानव के शरीर में जल तत्व के असंतुलित होने से अनेक व्याधियां उत्पन्न हो जाती हैं। अतः उत्तर पूर्व को जितना खुला एवं हल्का रखेंगे उतना ही अच्छा है इस दिशा में रसोई का निर्माण अशुभ है रसोई निर्माण करने पर उदर जनित रोगों का सामना करना पड़ता है।
दिल और हड्डियों के रोग-
दक्षिण-पश्चिम दिशा में प्रवेश द्वार या हल्की चाहरदीवारी अथवा खाली जगह होना शुभ नहीं है,ऐसा होने से हार्ट अटैक,लकवा,हड्डी एवं स्नायु रोग संभव हैं।अतः यहाँ प्रवेश द्वार या खाली जगह छोड़ने से बचना चाहिए।
पैरों में दर्द-
रसोई घर में भोजन बनाते समय यदि गृहणी का मुख दक्षिण दिशा की ओर है तो त्वचा एवं हड्डी के रोग हो सकते हैं ।दक्षिण दिशा की ओर मुख करके भोजन पकाने से पैरों में दर्द की संभावना भी बनती है।इसी तरह पश्चिम की ओर मुख करके खाना पकने से आँख,नाक,कान एवं गले की समस्याएं हो सकती हैं ।पूर्व दिशा की ओर चेहरा करके रसोई में भोजन बनाना स्वास्थ्य के लिए श्रेष्ठ माना गया है।
गैस एवं रक्त संबंधी रोग-
दीवारों पर रंग-रोगन भी ध्यान से करवाना चाहिए ।काला या गहरा नीला रंग वायु रोग,पेट में गैस, हाथ-पैरों में दर्द ,नारंगी या पीला रंग ब्लड प्रेशर,गहरा लाल रंग रक्त विकार या दुर्घटना का कारण बन सकता है ।अच्छे स्वास्थ्य के लिए दीवारों पर दिशा के अनुरूप हल्के एवं सात्विक रंगों का प्रयोग करना चाहिए।
यौन रोग-
भवन में ईशान कोण कटा हुआ नहीं होना चाहिए। कोण कटा होने से भवन में निवास करने वाले व्यक्ति रक्त विकार से ग्रस्त हो सकते है यौन रोगों में वृद्धि होती है प्रजनन क्षमता में कमी हो सकती है। ईशान कोण में यदि उत्तर का स्थान अधिक ऊंचा है तो उस स्थान पर रहने वाली स्त्रियों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
टीप :- इस खबर में दी गई सभी जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है, जिसे अलग-अलग वेबसाइट के माध्यम से बनाया गया है, TCP 24 इसकी पुष्टि नहीं करता है, अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट ज्योतिषी से सलाह ले.