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Bastar Dussehra 2022 : बस्तर दशहरे की सबसे अहम रस्म मावली परघाव हुई पूरी, बस्तरिया गानों पर जमकर झूमे कलेक्टर-एसपी समेत कई अधिकारी
दंतेवाड़ा। 75 दिनों तक चलने वाले विश्व प्रसिद्ध ऐतिहासिक बस्तर दशहरे (Bastar Dussehra 2022 ) में 12 से अधिक रोचक और अनोखी रस्में निभाई जाती है। 600 साल पुराने इस दशहरे पर्व की खास बात ये है कि असुरों की नगरी रहे बस्तर में रावण का पुतला दहन नहीं किया जाता। बल्कि 8 चक्के …
दंतेवाड़ा। 75 दिनों तक चलने वाले विश्व प्रसिद्ध ऐतिहासिक बस्तर दशहरे (Bastar Dussehra 2022 ) में 12 से अधिक रोचक और अनोखी रस्में निभाई जाती है। 600 साल पुराने इस दशहरे पर्व की खास बात ये है कि असुरों की नगरी रहे बस्तर में रावण का पुतला दहन नहीं किया जाता। बल्कि 8 चक्के वाले विशालकाय रथ में बस्तर की आराध्य देवी दंतेश्वरी के छत्र को सवार करके शहर में भ्रमण करवाया जाता है। इनमे से एक महत्वपूर्ण रस्म है "मावली परघाव" जो आज पूरी हुई।
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इस दौरान कार्यक्रम में जिलें के कई अधिकारी मौजूद रहे। दंतेवाड़ा कलेक्टर विनीत नंदनवार, एसपी सिध्दार्थ तिवारी, जिला पंचायत सीईओ आकाश सिकारा, एवं आनंदजीत सिंह ने उत्सव का खूब आनंद लिया। इस दौरान बस्तरिया गीत पर हजारों के भीड़ में कलेक्टर-एसपी भी अपने आपको थिरकने से नहीं रोक पाए। वही सभी अधिकारीयों ने एक साथ मिलकर आदिवासी नृत्य भी किया।
क्या हैं मावली परघाव रस्म ?
बस्तर दशहरे पर्व की सबसे महत्वपूर्ण रस्म मावली परघाव होती है। 2 देवियों के मिलन के इस रस्म को जगदलपुर के दंतेश्वरी मंदिर के प्रांगण में अदा की जाती है। परंपरा अनुसार इस रस्म में शक्ति पीठ दंतेवाड़ा से मावली देवी की छत्र और डोली को जगदलपुर के दंतेश्वरी मंदिर लाया जाता है। जिसका स्वागत बस्तर के राजकुमार और बस्तरवासियों के द्वारा भव्य रूप से किया जाता है।
मान्यता के अनुसार 600 वर्ष पूर्व रियासत काल से इस रस्म को धूमधाम से मनाया जाता है। बस्तर के महाराजा रूद्र प्रताप सिंह द्वारा इस डोली का भव्य स्वागत किया जाता था। जिसे आज भी परंपरा अनुसार बखूबी निभाई जाती है।