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CG Breaking : लंपी वायरस ने अब प्रदेश में भी दे दी दस्तक, इस शहर से सामने आया पहला मामला...

Sharda Kachhi
23 Sep 2022 9:29 AM GMT
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दुर्ग।  सरकार ने दावा किया है कि छत्तीसगढ़ में लंपी स्किन रोग से एक भी मवेशी पीड़ित नहीं है, पर इधर दुर्ग में लंपी स्किन रोग के लक्षण वाले तीन मवेशी देखे गए हैं । रोग के होने की संभावना और उसके लक्षणों को देख कर स्थानीय प्रशासन के होश उड़ गए हैं । लम्पी …

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दुर्ग। सरकार ने दावा किया है कि छत्तीसगढ़ में लंपी स्किन रोग से एक भी मवेशी पीड़ित नहीं है, पर इधर दुर्ग में लंपी स्किन रोग के लक्षण वाले तीन मवेशी देखे गए हैं । रोग के होने की संभावना और उसके लक्षणों को देख कर स्थानीय प्रशासन के होश उड़ गए हैं ।

लम्पी वायरस, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश तक पहुँच चुका है, ये सभी पडोसी राज्य हैं, पाबंदियों के ना होने से इस वायरस के बहुत ही जल्द राज्य मे पहुँचने कि प्रबल सम्भावना जताई जा रही है, ये वायरस मक्खी और मच्छरो द्वारा एक गौवन्श से दूसरे गौवन्श में फैलता है। इस रोग से ग्रसित ऐसे 3 गौ वंश दुर्ग के खंडेलवाल कॉलोनी में सड़क पर घूमते देखे गए हैं,, लक्षणों पर अगर गौर करें तो सड़क पर आवारा घूम रहे इन गयों को देखने से साफ पता चल रहा है कि इन्हें लंपी रोग हुआ है। कामधेनु विश्व विद्यालय के विशेषज्ञों द्वारा लंपी रोग के बताए गए लक्षणों से मिलते जुलते लक्षण इन गायों में देखे गए हैं।

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पशु कल्याण के लिए कार्य करने वाले जीव दया ग्रुप के सदस्यों ने बताया कि उन्हें लंपी रोग से ग्रसित पशुओं की जानकारी मिल रही है। यह जीव दया ग्रुप बीमार मवेशियों की देखभाल और चिकित्सा के लिए डॉक्टरों के टीम की सेवाएं लेते हैं। इन गायों को देख कर उन्होंने भी लंपी रोग होने के लक्षण बताए हैं इन पशुओं के ब्लड सेम्पल लिये गए हैं,, शासकीय पशु अस्पताल में जांच होने के बाद ही इसकी पुष्टि हो पाएगी। इस रोग के शुरुआती लक्षणों में बुखार, मुँह से लगातार लार का निकलना और फिर शरीर के अंगों में गांठों का बनना है, रोग की अधिकता में पैरों और लीवर में सूजन भी होने की संभावना होती है, जिससे पशुओं की मौत भी हो सकती है। इससे बचने के आसान तरीके भी हैं ।

फिलहाल दुर्ग में पशु सेवको द्वारा लोगों को ताकीद की गई है कि इन आवारा पशुओं से अन्य सभी तरह के पशुओं को दूर रखा जाए या फिर इन संक्रमित पशुओं को आइसोलेशन में रखा जाए ताकि ये रोग तेज़ गति से ना फैले । अन्यथा बड़ी संख्या में गौ वंश की हानि भी हो सकती है ।

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