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RELIGIOUS

Navratri Kanya Puja : इस बार अष्टमी और नवमी पर बन रहे है शुभ संयोग, दिनभर कर सकते हैं कन्या पूजन...

TCP 24 News
21 Oct 2023 2:45 PM GMT
Navratri Kanya Puja : इस बार अष्टमी और नवमी पर बन रहे है शुभ संयोग, दिनभर कर सकते हैं कन्या पूजन...
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Navratri Kanya Puja : इस बार अष्टमी और नवमी पर बन रहे है शुभ संयोग, दिनभर कर सकते हैं कन्या पूजन...


Navratri Kanya Puja : नवरात्रि पर्व में इस बार अष्टमी का कन्यापूजन और हवन 22 अक्टूबर को सुबह से दिनभर और नवमी का कन्यापूजन 23 अक्टूबर सुबह से दिनभर किया जा सकता है। दस वर्ष से कम आयु की कन्याओं का पूजन श्रेष्ठ माना गया है। कन्याओं के पूजन के बाद उन्हें दक्षिणा, चुनरी, उपहार आदि प्रदान करना चाहिए। पैर छूकर आर्शीवाद प्राप्त कर उन्हें विदा करना चाहिए। कन्या पूजा के साथ एक छोटे बालक को भी भोजन कराएं। बालक को बटुक भैरव का स्वरूप माना जाता है।

अष्टमी और नवमी पर बेहद ही शुभ संयोग- इस बार अष्टमी और नवमी सवार्थ सिद्धि और रवियोग बन रहा है। सवार्थ सिद्धि योग और रवि योग को बेहद ही शुभ माना जाता है। इस दिन किया गया कार्य सिद्ध होता है और उसका शुभ फल मिलता है।

कन्या पूजा का महत्व- पुराणों के अनुसार कुंवारी कन्याओं का पूजन निम्न विधि से करना चाहिए। कुंवारी कन्याएं वही कहलाती हैं जो कम से कम दो वर्ष की हो चुकी हो। तीन वर्ष की कन्या को त्रिमूर्ति और चार वर्ष की कन्या को कल्याणी माना गया है। 5 वर्ष वाली को कन्या को रोहिणी, छह वर्ष की कन्या को कालिका, सात वर्ष की कन्या को चंडिका कहा गया है। आठ वर्ष वाली कन्या का नाम शांभवी एवं नौ वर्ष वाली को साक्षात दुर्गा और दस वर्ष वाली को सुभद्रा कहा गया है। शास्त्रों में इससे ऊपर अवस्था वाली कन्याओं का पूजन निषेध माना गया है। इन नौ कन्याओं के पूजन से शुभ फल की प्राप्ति होती है। भगवती की पूजा से धर्म, अर्थ और काम की सिद्धि मिलती है साथ ही धन का आगमन एवं पुत्र का संवर्द्धन भी होता है। शत्रु का समन करने के लिए भगवती कालिका की भक्ति पूर्वक आराधना करनी चाहिए। भगवती चंडिका की पूजा से एश्वर्य और धन की पूर्ति होती है। किसी कठिन काम को सिद्ध करते समय अथवा शत्रु का संहार करना हो तो भगवती दुर्गा की पूजा करनी चाहिए।

कन्या पूजन सामग्री की पूरी लिस्ट-

जल- सबसे पहले कन्याओं के पैर धोएं जाते हैं। कन्याओं के पैर धोने के लिए साफ जल रख लें। आप गंगाजल से भी कन्याओं के पैर धो सकते हैं।

साफ कपड़ा- कन्याओं के पैर धोने के बाद पैरों को पोछने के लिए एक साफ कपड़ा रख लें।

रोली- कन्याओं के माथे पर तिलक लगाने के लिए।

चावल (अक्षत)- कन्याओं के माथे में अक्षत भी लगाएं।

कलावा- कन्याओं को तिलक लगाने के बाद उनके हाथ में कलावा भी बांधें।

पुष्प- कन्याओं पर पुष्प भी चढ़ाएं।

चुन्नी- कन्याओं को ओढ़ाने के लिए चुन्नी की जरूरत भी होती है।

फल- आप अपने इच्छानुसार फल कन्याओं को खिला सकते हैं।

मिठाई- कन्याओं के लिए मिठाई भी ले लें।

भोजन सामग्री- हलुवा, पूड़ी, चने, आदि कन्याओं के लिए भोजन सामग्री।

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