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COVID-19 JN.1 Variant: फिर से 41 देशों में पैर पसार रहा कोरोना का नया वैरिएंट! जानें JN.1 वैरिएंट के बारे में सबकुछ

rohit banchhor
22 Dec 2023 4:10 AM GMT
COVID-19 JN.1 Variant: फिर से 41 देशों में पैर पसार रहा कोरोना का नया वैरिएंट! जानें JN.1 वैरिएंट के बारे में सबकुछ
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COVID-19 In India: देश में कोविड-19 के मामलों में बढ़ोत्तरी देखी जा रही है.



COVID-19 In India: देश में कोविड-19 के मामलों में बढ़ोत्तरी देखी जा रही है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, भारत में गुरुवार को 594 नए कोविड-19 संक्रमण के मामले दर्ज किए गए हैं. इससे एक्टिव मामलों की संख्या 2311 से बढ़कर 2669 हो गई है. बढ़ते मामलों को देखते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्क्रीनिंग और निगरानी करने की एडवाइजरी जारी की है, जिसमें सभी राज्यों से स्क्रीनिंग बढ़ाने, इन्फ्लूएंजा जैसी गंभीर श्वसन बीमारियों के मामलों की तुरंत रिपोर्ट करने, RT-PCR टेस्ट को बढ़ाने और जीनोम अनुक्रमण के लिए पॉजिटिव नमूने इकट्ठे करने को कहा गया है.

रिपोर्ट किए गए मामलों से पता चलता है कि भारत में कोरोना का नाम सब-वैरिएंट के भी लगभग 21 मामले सामने आए हैं. इस नए वैरिएंट का नाम जेएन.1 (JN.1) है. यह वैरिएंट अन्य देशों में भी तेजी से फैल रहा है, इसलिए WHO ने इसके तेजी से बढ़ते प्रसार को देखते हुए, JN.1 को "वेरिएंट ऑफ़ इंटरेस्ट" (VOI) के रूप में वर्गीकृत किया है. WHO का कहना है कि JN.1 सब-वैरिएंट के सामने आने से कोरोना के मामलों में वृद्धि हो सकती है, खासकर उन देशों में जहां सर्दी अधिक पड़ती है.


JN.1 वैरिएंट 41 देशों में फैल चुका है. WHO के अनुसार, JN.1 मामलों के सबसे बड़े अनुपात वाले देश फ्रांस, संयुक्त राज्य अमेरिका, सिंगापुर, कनाडा, ब्रिटेन और स्वीडन हैं. नया वैरिएंट कितना खतरनाक है, इस पर एक्सपर्ट की क्या राय है, इसके लक्षण-बचाव के तरीके क्या हैं, इस बारे में जान लीजिए.

JN.1 सब-वैरिएंट की पहली बार पहचान अगस्त में की गई थी. यह ओमिक्रॉन का सब-वैरिएंट BA.2.86 से बना है. 2022 की शुरुआत में BA.2.86 ही कोरोना के मामलों में वृद्धि का कारण था. BA.2.86 व्यापक रूप से नहीं फैला था, लेकिन इसने विशेषज्ञों को चिंतित कर दिया था क्योंकि BA.2.86 के स्पाइक प्रोटीन पर अतिरिक्त म्यूटेशन हुए थे और उसी तरह JN.1 के स्पाइक प्रोटीन में भी एक अतिरिक्त म्यूटेशन है.

विशेषज्ञों का कहना है कि विश्व स्तर पर मामलों में बढ़ोतरी से पता चलता है कि जेएन.1 - एक ओमिक्रॉन का सब-वैरिएंट है जो मजबूत इम्यूनिटी वालों को भी आसानी से संक्रमित कर सकता है. यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (सीडीसी) ने इसे यूएस में सबसे तेजी से बढ़ने वाला वैरिएंट बताया दिया है.

महाराष्ट्र के जीनोम सीक्वेंसिंग कॉर्डिनेटर डॉ. राजेश कार्यकार्ते का कहना है, 'जेएन.1 सब-वैरिएंट तेजी से फैल रहा है. जेएन.1 सब-वैरिएंट 30 अक्टूबर 2023 से 5 नवंबर 2023 के बीच सभी कोरोनो वायरस मामलों का केवल 3.3 प्रतिशत था लेकिन अब लगभग एक महीने बाद इसके करीब 27 प्रतिशत मामले हैं. इसके प्रसार में लगभग 86 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.'

मुंबई के हिंदुजा अस्पताल के वरिष्ठ पल्मोनोलॉजिस्ट और महामारी विशेषज्ञ डॉ. लैंसलॉट पिंटो ने जेएन.1 की पहचान के लिए और अधिक रिसर्च पर जोर दिया है. उन्होंने कहा, ‘यह नया वैरिएंट ओमिक्रॉन के पूर्ववर्ती सब-वैरिएंट बीए.2.86 से काफी मिलता-जुलता है जो केवल एक स्पाइक प्रोटीन में अलग होता है. यही कारण है कि यह संक्रामक हो सकता है और तेजी से फैल सकता है.'

जेएन.1 कितना खतरनाक है? (How dangerous is JN.1)

हेल्थ एक्सपर्ट चंद्रकांत लहरिया ने पीटीआई से कहा, 'भारत में लोग पहले ही ओमिक्रॉन वैरिएंट समेत कई सब-वैरिएंट के संपर्क में आ चुके हैं और उन्हें COVID-19 वैक्सीन की कम से कम दो डोज लग चुकी हैं. SARS-CoV-2 वैरिएंट या उप-वैरिएंट के कारण गंभीर बीमारी होने का कोई नया जोखिम नहीं है.'

सिएटल में फ्रेड हचिंसन कैंसर सेंटर में कोरोनो वायरस वेरिएंट की निगरानी करने वाले एक कम्प्यूटेशनल जीव विज्ञानी जेसी ब्लूम ने कहा, 'यह कहना जल्दबाजी होगी कि जेएन.1 सब-वैरिएंट के कारण संक्रमण और अस्पताल में भर्ती होने के मरीजों की संख्या कितनी होगी.'

उपलब्ध जानकारी के आधार पर WHO को यह उम्मीद नहीं है कि जेएन.1 सब-वैरिएंट के कारण कोई अधिक खतरा होगा. हालांकि जेएन.1 संक्रमण तेजी से फैल रहा है इसलिए मामले तो बढ़ सकते हैं लेकिन मौजूदा सबूत यह नहीं बताते कि इसकी गंभीरता अधिक है.

महाराष्ट्र के जीनोम सेक्वेंसिंग कॉर्डिनेटर डॉ. कार्यकार्टे का कहना है, 'यह कम जोखिम वाला संक्रमण है और पहले संक्रमण और/या टीकाकरण वाले लोगों को चिंता करने की ज़रूरत नहीं है.'

जीनोम रिसर्चर विनोद स्कारिया और बानी जॉली ने कहा है, 'SARS-CoV-2 वायरस लगातार विकसित हो रहा है और नई लीनेज बना रहा है. जेएन.1 ओमिक्रॉन का सब-वैरिएंट है जिसके स्पाइक प्रोटीन में एक अतिरिक्ट म्यूटेशन है. मजबूत इम्यूनिटी से बचने का मतलब यह होगा कि जेएन.1 अन्य वेरिएंट से कॉम्पिटिशन कर सकता है.'

JN.1 के लक्षण क्या हैं?

रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) का कहना है, 'अभी यह पता नहीं चला है कि जेएन.1 के लक्षण अन् वैरिएंट और सब-वैरिएंट से अलग हैं या पुराने वाले ही हैं. या कोई ऐसे संकेत भी नहीं मिले हैं जिनसे पता चले कि जेएन.1 अधिक गंभीर है. किसी भी व्यक्ति को क्या और कितने लक्षण दिख रहे हैं, यह आमतौर पर उस व्यक्ति की इम्यूनिटी और ओवरऑल हेल्थ पर निर्भर करता है.'

सीडीसी के अनुसार, सामान्य कोविड-19 लक्षणों में बुखार, ठंड लगना, खांसी, सांस लेने में तकलीफ, सांस लेने में कठिनाई, थकान, मांसपेशियों में दर्द, सिरदर्द, स्वाद या गंध की हानि, गले में खराश, भीड़, नाक बहना, मतली, उल्टी और दस्त शामिल हैं.

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