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Murthal Dhaba : पराठों के लिए फेमस मुरथल ढाबा में आखिर क्यों नहीं मिलता मांसाहारी खाना, किसी ने गलती से भी बेचा तो हो जयेगा बर्बाद, जानें हैरान कर देने वाली कहानी

rohit banchhor
24 Dec 2023 4:36 AM GMT
Murthal Dhaba : पराठों के लिए फेमस मुरथल ढाबा में आखिर क्यों नहीं मिलता मांसाहारी खाना, किसी ने गलती से भी बेचा तो हो जयेगा बर्बाद, जानें हैरान कर देने वाली कहानी
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Murthal Dhaba : पराठों के लिए फेमस मुरथल ढाबा में आखिर क्यों नहीं मिलता मांसाहारी खाना, किसी ने गलती से भी बेचा तो हो जयेगा बर्बाद, जानें हैरान कर देने वाली कहानी


Murthal Dhaba : पराठों के लिए फेमस मुरथल ढाबा में आखिर क्यों नहीं मिलता मांसाहारी खाना, किसी ने गलती से भी बेचा तो हो जयेगा बर्बाद, जानें हैरान कर देने वाली कहानी

Why Murthal Dhaba Serve Only Vegetarian Food in Sonipat: दिल्ली से लेकर चंडीगढ़ समेत सात राज्यों में अपने पराठों के लिए फेमस मुरथल ढाबा, अपने एक से एक बेस्ट पराठों के लिए जाना जाता है। मतलब वीकेंड हो या वीकडेस शायद ही कोई समय होगा जब यहां भीड़ ना दिखे। दिन से लेकर रात तक यहां लोगों का क्राउड ही क्राउड देखने को मिलता है। लेकिन क्या आप जानते हैं, मुरथल में केवल शाकाहारी ही खाना मिलता है, मांसाहारी को कोई यहां गलती से भी नहीं बना सकता।

मुरथल ढाबे पर मांसाहारी खाना नहीं मिलता कभी आपने सोचा है ऐसा क्यों? संत बाबा कलीनाथ ने एक समय पर ढाबों के मालिकों को आदेश दिया था कि यहां केवल शाकाहारी खाना ही बनाया जाए और बेचा जाए अगर कोई ऐसा करता है, तो वो बर्बाद हो जाएगा। इसके पीछे की एक कहानी है, जो आस्था और धार्मिक भावना से जुड़ी हुई है। शायद ये सुनने के बाद आप जरूर ये सोचने लगे होंगे कि ये तो हमने कभी सोचा ही नहीं! लेकिन ये सच है। हो सकता है छोटे-मोटे ढाबे नॉन वेज बेच रहे हो, लेकिन बड़े ढाबे नॉन वेज बनाने से भी डरते हैं। चलिए आपको इसके पीछे की वजह बताते हैं।

संत बाबा कलीनाथ ने दिए थे आदेश

दरअसल 1956 में मुरथल में केवल दो ही ढाबे हुआ करते थे। जिले के फेमस संत बाबा कलीनाथ ने दोनों को मांसाहार ना बेचने की सलाह दी थी। ढाबा के परिजनों ने बताया कि बाबा कलीनाथ का कहना था कि शाकाहारी ही बढ़िया खाना है। उनके अनुसार, जो मांसाहार बनाएगा या बेचेगा उसकी दुकान बंद हो जाएगी। उनके इस आदेश पर आज भी ढाबों पर मांसाहारी खाना नहीं बेचा जाता।

बाबा नहीं आए वापस

70 से 80 के दशक के बीच बाबा फिर कही चले गए, बाद में उनकी जानकारी कभी नहीं मिली, लेकिन आज भी ढाबे में बाबा के आदेश से मांसाहार खाना नहीं बेचा जाता। कहते हैं दो ढाबा संचालकों ने मांसाहार खाना बेचना शुरू कर दिया था। इनमें से एक एक महीने में ही बंद हो गया और दूसरा ढाबे का काफी बड़ा नुकसान हुआ।

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