Vastu Tips : घर में बना रहेगा पंचतत्वों का संतुलन, तभी आएगी खुशहाली, वरना वास्तुदोष कर सकता है आपकी सेहत खराब!

वास्तुशास्त्र के अनुसार घर हमें न केवल रहने का स्थान प्रदान करता है, बल्कि उसके भीतर या उसके आस-पास की ऊर्जा भी हमारे जीवन को प्रभावित करती है,

Update: 2023-10-16 03:09 GMT



Vastu Tips : हर किसी का सपना होता है कि उसका एक सुन्दर सा घर हो, जहाँ वो हंसी-ख़ुशी जीवन यापन कर सके. वास्तुशास्त्र के अनुसार घर हमें न केवल रहने का स्थान प्रदान करता है, बल्कि उसके भीतर या उसके आस-पास की ऊर्जा भी हमारे जीवन को प्रभावित करती है, इसलिए अच्छी सेहत और सुख-समृद्धि के लिए यह आवश्यक हो जाता है कि घर में पंचतत्वों का संतुलन हो यानि घर वास्तु सम्मत हो।

Vastu Tips : वहीं, वास्तुदोष लगने पर जीवन में अस्थिरता आ जाती है। आमदनी कम हो जाती है। जबकि, खर्च बढ़ जाता है। साथ ही अकस्मात विपत्ति घर में दस्तक देती है। इसके अलावा, दोष लगने पर घर के सदस्य कई बीमारियों से ग्रस्त हो जाते हैं।

ईशान कोण

इस दिशा में वास्तुदोष होने पर घर के पुरुष वर्ग को स्त्रियों की अपेक्षा अधिक समस्याएं होती है। भूखंड या भवन के ईशान कोण में शयन व्यवस्था करने से अनिंद्रा, दुःस्वप्न, स्मृति भंग, मस्तिष्क विकार, रक्तचाप आदि प्रायः घेरे रहते है। दंपति को तो भूलकर भी इस स्थान पर नही सोना चाहिए। ईशान कोण में रसोईघर का होना अनेकानेक तनाव और व्याधियों का कारण होता है। ईशान कोण की रसोई घर में बरकत नहीं होने देती है तथा घर के लोगों को पेट और वायु रोगों से पीड़ित करती है। अन्य दोष ईशानकोण में होने से रक्त विकार, स्त्रियां को यौन रोग और प्रजनन क्षमता भी दुष्प्रभावित हो सकती है।

दक्षिण दिशा

इस दिशा में वास्तुदोष आ जाने पर महिला वर्ग को पुरुषों की अपेक्षा अधिक हानि उठानी पड़ती है।

दक्षिण-पूर्व दिशा

इस दिशा में जलस्त्रोत बनवाने से या जल इकठ्ठा करने से आंत, आमाशय, फेफड़े आदि के रोग घर के लोगों को होने की संभावना बढ़ जाती है।

वायव्य कोण

यहां भारी सामान रखने की व्यवस्था हानिकारक साबित होती है। वायु पीड़ा, हड्डी के रोग और मानसिक विकार आदि भारी सामान इस दिशा में रखने से उत्पन्न हो सकते है।

दक्षिण-पश्चिम कोण

यह जोन यदि खाली और हल्का रहता है तो घर के सदस्यों में तनाव, गुस्सा अधिक होता है। हृदय रोग, जोड़ों का दर्द ,खून की कमी ,पीलिया, आंखों की बीमारी और हाजमे की खराबी आदि रोग होने की संभावना रहती है।

ब्रह्मस्थान

ईशान कोण की तरह ब्रह्मस्थान का भी हल्का और साफ रहना बहुत आवश्यक है। यहां पर भारी सामान हो तो घर के लोग उन्माद का शिकार हो जाते हैं। जिससे उनका मानसिक संतुलन बिगड़ जाता है और तनाव रहने लगता है।

उत्तर दिशा

इस दिशा में वास्तु दोष होने से घर में गुर्दे, कान के रोग ,रक्त संबंधी बीमारियां, थकावट तथा घुटने की बीमारियां बनी रहती है।

पूर्व दिशा

पूर्व दिशा में दोष होने से व्यक्ति आंखों की बीमारी से ग्रस्त और लकवे का शिकार होता है। संतान हानि भी हो सकती है।

पश्चिम दिशा

में दोष होने से यकृत, गले के रोग, गाल ब्लैडर की बीमारी हो सकती है। फेफड़े, मुख्य छाती और चमड़ी रोग और गर्मी,पित्त और मस्सा होने की भी संभावना होगी।

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