Rice Price : खुशखबरी- अब घट जाएंगे चावल के दाम! मोदी सरकार के आदेश से आम जनता को मिलेगी राहत!

Rice Price : नई दिल्ली : नरेंद्र मोदी सरकार (Narendra Modi Govt) ने घरेलू बाजार में चावल की कीमतों (Rice Price) को लेकर एक बड़ा कदम उठाया है,

Update: 2023-12-19 06:00 GMT



Rice Price : नई दिल्ली : नरेंद्र मोदी सरकार (Narendra Modi Govt) ने घरेलू बाजार में चावल की कीमतों (Rice Price) को लेकर एक बड़ा कदम उठाया है, जिससे मार्केट में चावल के दाम घटेंगे और ग्राहकों को बड़ी राहत मिलेगी. केंद्र सरकार ने राइस इंडस्ट्री एसोसिएशन को तत्काल प्रभाव से चावल की खुदरा कीमत में कमी लाने के के लिए निर्देशित किया है. इस संबंध में खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग के सचिव संजीव चोपड़ा ने गैर-बासमती चावल (Non-Basmati Rice) के घरेलू मूल्य परिदृश्य की समीक्षा करने के लिए एक बैठक बुलाई थी. इसमें ये निर्देश जारी किए गए हैं.

चावल की कीमतें बढ़ने पर हुई चर्चा

Rice Price : बैठक में चोपड़ा ने उद्योग को घरेलू बाजार में कीमतों को उचित स्तर पर लाने के उपाय करने को कहा. पीआईबी द्वारा जारी बयान में बताया गया है कि उद्योग संघों को परामर्श दिया गया कि वे अपने संघ के सदस्यों के साथ इस मुद्दे को उठाएं और सुनिश्चित करें कि चावल की खुदरा कीमत तत्काल प्रभाव से कम हो. इस दौरान खरीफ की अच्छी फसल, भारतीय खाद्य निगम (FCI) के पास पर्याप्त भंडार होने और चावल के निर्यात पर बैन के बावजूद घरेलू बाजार में गैर-बासमती चावल के दाम क्‍यों बढ़ रहे हैं.


Rice Price : सरकार द्वारा गौर-बासमती चालव के निर्यात पर बैन लगाए जाने के बावजूद कीमतों में इजाफा चिंता का विषय है. चावल की वार्षिक महंगाई दर पिछले दो वर्षों से 10 फीसदी से ज्यादा बढ़ी है. चावल की कीमतों में जारी बढ़ोतरी को लेकर सरकार अब सख्त हो गई है और इस पर लगाम लगाने के लिए कमर कस ली है.

सरकार द्वारा दिए गए निर्देशों में कहा गया है कि हमारे पास अच्छी क्वालिटी के चावलों का स्टॉक है. इसे ओपन मार्केट सेल्स स्कीम (OMSS) के तहत ट्रेडर्स और प्रोसेसर्स को 29 रुपये किलो में बेचा भी जा रहा है, इसके बावजूद रिटेल मार्केट में ये 43 से 50 रुपये प्रति किलो के रेट से बिक रहा है.

जुलाई में लगाया था निर्यात पर बैन

घरेलू मार्केट में चालव की आपूर्ति बनाए रखने और कीमतों में कमी लाने के मद्देनजर मोदी सरकार (Modi Govt) ने जुलाई 2023 में ही गैर-बासमती चावल के निर्यात पर बैन लगा दिया था. इसके साथ ही एक्सपोर्ट ड्यूटी में भी इजाफा किया था. यही नहीं अक्टूबर महीने में एक और बड़ा फैसला लेते हुए सरकार ने चावल का मिनिमम एक्सपोर्ट प्राइस 950 डॉलर प्रति टन कर दिया गया था.

इन तमाम कोशिशों के बावजूद बाजार में चावल की कीमतों में जारी बढ़ोतरी चिंता का सबब बन रही है. बैठक के दौरान चेतावनी दी गई कि अगर मुनाफाखोरी की गई तो सरकार की तरफ से सख्त कार्रवाई की जाएगी. 

Tags:    

Similar News