World Rabies Day : कुत्ता काटने के कितने वक्त बाद इंजेक्शन है जरूरी, जानें रेबीज वैक्सीनेशन की पूरी डिटेल...

World Rabies Day : वर्ल्ड रेबीज डे मनाने का उद्देश्य लोगों में इस बीमारी के प्रति जागरुक करना है। कुत्ता या दूसरे किसी जानवर के काटने से फैलने वाले संक्रमण से रेबीज का खतरा रहता है। वो जानवर जो मां का दूध पीकर बड़े हुए हैं अगर काट लेते हैं तो उससे रेबीज का खतरा …
World Rabies Day : वर्ल्ड रेबीज डे मनाने का उद्देश्य लोगों में इस बीमारी के प्रति जागरुक करना है। कुत्ता या दूसरे किसी जानवर के काटने से फैलने वाले संक्रमण से रेबीज का खतरा रहता है। वो जानवर जो मां का दूध पीकर बड़े हुए हैं अगर काट लेते हैं तो उससे रेबीज का खतरा रहता है। ऐसे में जरूरी है ये जानना कि कुत्ते, बिल्ली, बंदर या दूसरे जानवर के काटने पर फौरन किस तरह का ट्रीटमेंट करना चाहिए और कितनी देर बाद इंजेक्शन लगवाना जरूरी होता है। तो आइए जाने इसके बारे में।
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कुत्ते के काटने पर क्या करें- कुत्ता, बिल्ली, बंदर, चूहा या किसी जानवर ने शरीर में घाव बना दिया है या खरोंच मारी है तो फौरन उसका इलाज जरूरी है। चोट वाले हिस्से को बहते पानी से साफ करें। इससे काफी हद तक बैक्टीरिया निकल जाते हैं। उसके बाद साबुन से धोएं और फौरन डॉक्टर से संपंर्क करें।
कब है इंजेक्शन की जरूरत- कुत्ते के काटने के फौरन बाद डॉक्टर से मिलकर इंजेक्शन लगवाएं। पहला इंजेक्शन काटने वाले दिन लग जाना चाहिए। हालांकि उसके बाद की डोज डॉक्टर तय करता है। डॉक्टर कुत्ते के काटने की जगह, मरीज की उम्र, कुत्ता काटे हुए कितना टाइम हो गया और मरीज की स्थिति देखकर ही तय करते हैं। साथ ही डॉक्टर एंटी रेबीज वैक्सीन की डोज के मुताबिक भी इंजेक्शन देते हैं। आमतौर पर कुत्ता काटने के बाद एंटी रेबीज वैक्सीन का कोर्स पूरे 6 इंजेक्शन का होता है। अगर पहला इंजेक्शन लगवाने में 72 घंटे से ज्यादा हुए तो ये इंजेक्शन बेअसर हो जाते हैं और रेबीज वायरस पर इनका कोई असर नहीं होता। ध्यान रहे कि छठे टीके की डोज कई बार डॉक्टर ऑप्शनल बताते हैं। ये डोज पूरे एक साल मरीज को रेबीज से बचाकर रखने के लिए होती है।
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रेबीज से जुड़ी इन गलतफहमियों को दूर करना है जरूरी-
टीका होता है महंगा- आमतौर पर कुत्ता काटने से होने वाली मौते गांवों में ज्यादा देखी जाती है। हालांकि इन दिनों शहर में और पालतू जानवरों के काटने के ज्यादा मामले देखने को मिल रहे हैं। लेकिन एंटी रेबीज वैक्सीनेशन पूरी तरह से फ्री होती है और हर सरकारी अस्पताल में इसे लगवाने की सुविधा होती है।
झाड़-फूंक के चक्कर में ना पड़ें- कई बार लोग कुत्ते के काटने पर झाड़-फूंक के चक्कर में फंस जाते हैं और मरीज की मौत हो जाती है। बिना वैक्सीनेशन के इसके वायरस को रोकना मुश्किल होता है।
एक बार एंटी रेबीज का इंजेक्शन लगने के बाद नही है जरूरत- बहुत सारे लोगों को लगता है कि एक बार एंटी रेबीज का इंजेक्शन लग चुका है तो दोबारा जरूरत नही है। लेकिन ऐसा नही है। मरीज की स्थिति और काटने के घाव को देखकर डॉक्टर तय करता है कि कितनी वैक्सीन की डोज देना जरूरी है।
पालतू जानवर को टीका लगा है तो मरीज को वैक्सीन की क्या जरूरत- भले ही पालतू जानवर को टीका लगा हो लेकिन कई बार बूस्टर डोज ना देने की वजह से रेबीज वायरस जानवर में आ जाते हैं। ऐसे में किसी को जरा सी खरोंच भी रेबीज का मरीज बना सकती है। इसलिए वैक्सीन लगे पालतू जानवर ने काटा है तो भी डॉक्टर के पास जाकर प्राथमिक उपचार और वैक्सीन की कुछ डोज जरूर लेनी चाहिए। जिससे खतरे को कम किया जा सके।