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Big decision of Bilaspur High Court: बिलासपुर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, रिटायर्ड सहायक प्लाटून कमान्डर से वसूली के आदेश पर लगाई रोक

Sharda Kachhi
24 Sep 2023 4:00 AM GMT

Big decision of Bilaspur High Court बिलासपुर। बिलासपुर हाईकोर्ट ने शनिवार को रिटायर्ड सहायक प्लाटून कमान्डर से वसूली के आदेश पर रोक लगा दी है. बिलासपुर के सकरी में रहने वाले महेन्द्र सिंह दूसरी बटालियन में सहायक प्लाटून कमान्डर के पद पर पदस्थ रहे हैं. 30 अप्रैल 2023 को महेन्द्र सिंह दूसरी बटालियन …

Big decision of Bilaspur High Court बिलासपुर। बिलासपुर हाईकोर्ट ने शनिवार को रिटायर्ड सहायक प्लाटून कमान्डर से वसूली के आदेश पर रोक लगा दी है. बिलासपुर के सकरी में रहने वाले महेन्द्र सिंह दूसरी बटालियन में सहायक प्लाटून कमान्डर के पद पर पदस्थ रहे हैं. 30 अप्रैल 2023 को महेन्द्र सिंह दूसरी बटालियन से रिटायर हो गए. सेवानिवृत्ति के 3 माह बाद महेन्द्र सिंह को सेवाकाल के दौरान विभागीय भविष्य निधि खाते में अधिक भुगतान का हवाला देते हुए भुगतान की राशि वसूली का आदेश जारी किया गया था. इस आदेश के खिलाफ महेन्द्र सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी. शनिवार को वसूली आदेश पर हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है.

बिलासपुर के दूसरी बटालियन में सहायक प्लाटून कमांडर के पद से महेन्द्र सिंह रिटायर हो गए. रिटायर होने के 3 माह बाद महेंद्र सिंह को उनके विभाग की ओर से गलती से याचिकाकर्ता के भविष्य निधि में अधिक भुगतान राशि जमा हो जाने की बात कही गई. साथ ही उनके खाते से 2,68,590 रुपए की वसूली का आदेश जारी कर दिया गया. इस आदेश के बाद वो मानसिक रूप से काफी परेशान हो गए. महेन्द्र काफी दिनों तक अधिकारियों के कार्यालय का चक्कर काटते रहे. लेकिन कहीं सुनवाई नहीं होने से परेशान उन्होंने वसूली आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की.

रिटायर्ड सहायक प्लाटून कमांडर महेंद्र सिंह ने अपने अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय और दुर्गा मेहर के माध्यम से कोर्ट में पुराने फैसलों को लेकर तर्क पेश किया. तर्क के अनुसार, साल 2015 में सुप्रीम कोर्ट की ओर से स्टेट ऑफ पंजाब वर्सेस रफीक मसीह के केस का जिक्र किया गया. उसके अलावा साल 2022 में थॉमस डेनियल वर्सेस स्टेट ऑफ केरला और अन्य के वाद में महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया था. निर्णय के अनुसार किसी भी तृतीय श्रेणी के सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी के सेवानिवृत्ति देयक से किसी भी तरह की वसूली नहीं की जा सकती. याचिकाकर्ता सहायक प्लाटून कमाण्डर के पद पर पदस्थ था, जो तृतीय श्रेणी का पद है. ऐसे में सेवानिवृत्ति देयक से किसी तरह की वसूली नहीं की जा सकती है.

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