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Chhattisgarh

Good News For CG : सरकार की नीतिया असरदार : छत्तीसगढ़ की 40 लाख की आबादी गरीबी रेखा से निकली बाहर, नीति आयोग की रिपोर्ट में हुआ खुलासा, CM बघेल ने जताई खुशी

Sharda Kachhi
27 Aug 2023 4:14 AM GMT
Good News For CG : सरकार की नीतिया असरदार : छत्तीसगढ़ की 40 लाख की आबादी गरीबी रेखा से निकली बाहर, नीति आयोग की रिपोर्ट में हुआ खुलासा, CM बघेल ने जताई खुशी
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Good News For CG सरकार की नीतिया असरदार : रायपुर। छत्तीसगढ़ से एक अच्छी खबर सामने आई है। पिछले पांच वर्षों में राज्य के 40 लाख लोग बहुआयामी गरीबी बाहर आ गए हैं। राज्य में शहरों की तुलना में गांवों में गरीबों की संख्या में कमी आई है। प्रदेश के तीन जिलों …

Good News For CG सरकार की नीतिया असरदार : रायपुर। छत्तीसगढ़ से एक अच्छी खबर सामने आई है। पिछले पांच वर्षों में राज्य के 40 लाख लोग बहुआयामी गरीबी बाहर आ गए हैं। राज्य में शहरों की तुलना में गांवों में गरीबों की संख्या में कमी आई है। प्रदेश के तीन जिलों कबीरधाम, सरगुजा और दंतेवाड़ा में 23 से 25 फीसदी लोग गरीबी से बाहर निकले हैं।

यह हम नहीं नीति आयोग द्वारा जारी की गई रिपोर्ट कह रही है। बहुआयामी गरीबी सूचकांक को लेकर नीति आयोग द्वारा जारी इस रिपोर्ट के अनुसार छत्तीसगढ़ में 2015-16 और 2019-21 के बीच 13.53 फीसदी लोग बहुआयामी गरीबी से बाहर निकले हैं।

2020 की प्रोजेक्टेड जनसंख्या की बात करें तो यह संख्या 39 लाख 90 हजार से ज्यादा है। गरीबी रेखा से नीचे रहने वाली आबादी का अनुपात राज्य में 2015-16 में 29.90 प्रतिशत था। जो 2019-21 में यह घटकर 19.37 फीसदी रह गई। छत्तीसगढ़ के ग्रामीण क्षेत्रों में यह गिरवाट 16.07 प्रतिशर दर्ज की गई, जबकि शहरी क्षेत्रों में 5.58 फीसदी लोग ही गरीबी रेखा से बाहर निकले हैं।

2015-16 में राज्य के पुराने 18 जिलों में गरीबी रेखा अनुपात के आधार पर रिपोर्ट तैयार की गई थी। 2019-21 में 27 जिलों की तुलनात्मक रिपोर्ट जारी हुई है। 18 पुराने जिलों की तुलनात्मक रिपोर्ट देखें तो बीजापुर को छोड़कर बाकी के 17 जिलों में बहुआयामी गरीबी में काफी कमी आई है।

2020 की प्रोजेक्टेड जनसंख्या के आधार पर देखें तो 17 जिलों में 23 हजार से लेकर साढ़े 3 लाख तक लोग गरीबी से बाहर निकले हैं। इनमें दुर्ग में 16.43 फीसदी यानी 3 लाख 10 हजार और रायपुर में 13.09 फीसदी यानी 3 लाख 42 हजार लोग गरीबी से बाहर निकले हैं । इसी तरह राजनांदगांव में 2 लाख 15 हजार, कबीरधाम में 2.66 लाख, बिलासपुर में 1.78 लाख, महासमुंद में 2.03 लाख, धमतरी में 1 लाख 10 हजार, जांजगीर- चांपा में 2 लाख 15 हजार, कोरबा में 1 लाख 87 हजार, रायगढ़ लाख 97 हजार, जशपुर में 1 लाख 91 हजार सरगुजा में 2.17 लाख, कांकेर में 1.08 लाख, बस्तर में 1.14 लाख नारायणपुर में 23252, दंतेवाड़ा में 78388 लोग बहुआयामी गरीबी से मुक्त हुए हैं ।

इन संकेतों को बनाया गया आधार
नीति आयोग ने बहुआयामी गरीबी की प्रगति की समीक्षा 12 संकेतकों के आधार पर की है । पोषण (-7.90), स्वास्थ्य (-1.003), मातृत्व स्वास्थ्य (-4.49), स्कूली शिक्षा के वर्ष (-2.89 ), स्कूलों में में सुधार उपस्थिति (-0.12 ), खाना पकाने का ईंधन (-12.19) स्वच्छता (42.21) पीने का पानी ( 9.77) बिजली (-2.45) आवास ( – 8.25 ) सपंत्ति (-4.41) और बैंक खाते (-1.19) शामिल हैं ।

इस जिले में बढ़ी गरीबों की संख्या
नीति आयोग की रिपोर्ट यह भी कह रही है कि पुराने 18 जिलों में बीजापुर में ही गरीबी कम होने के बजाय और बढ़ गई है। यहाँ 8.52 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है । 2020 की जनसंख्या के हिसाब से देखें तो यहां करीब 23 हजार बहुआयामी गरीब और बढ़ गए हैं। बाद में बने राज्य के 9 और जिलों बालोद, बलौदाबाजार, बलरामपुर, बेमेतरा, मुंगेली, सुकमा, सूरजपुर, कोंडागांव और गरियाबंद में भी करीब 8 लाख लोग गरीबी से बाहर आ गए हैं ।

इन 4 जिलों में गरीबी अनुपात 10 फीसदी से कम
नीति आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक राज्य के 4 जिलों में बहुआयामी गरीबी का अनुपात अब 10 फीसदी से भी कम रह गया है। इनमें रायपुर में 8.73 फीसदी, दुर्ग में 3.55 फीसदी, धमतरी में 5.81 फीसदी और बालोद में 5.77 फीसदी गरीब हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ के लोगों की विशेषता है कि हम असहमति का भी सम्मान करते हैं। लोगों से मशविरा करते हैं और इसके बाद नीतियां तैयार करते हैं। मुख्यमंत्री राजधानी में एक निजी कार्यक्रम में लोगों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जो अच्छी कार्यप्रणालियां हैं उन्हें यथावत रखते हैं, जिनमें कुछ त्रुटि है और सुधार की गुंजाइश है उन्हें ठीक करते हैं।

मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि हमारे भीतर यह सादगी इसलिए आई क्योंकि यह भूमि भगवान राम की ननिहाल है। यहां कबीर, गुरुघासीदास और विवेकानंद जैसे साधकों का असर है। छत्तीसगढ़ एक सांस्कृतिक ईकाई है। यद्यपि राज्य का निर्माण वर्ष 2000 में हुआ लेकिन छत्तीसगढ़ राज्य को लेकर जो लोगों के सपने थे, वे पूरे नहीं हो पाए। छत्तीसगढ़ी संस्कृति को एक नये राज्य में फलने-फूलने का जैसा अवसर मिलना चाहिए था, वैसा नहीं मिल पाया। हम लोगों ने यह काम किया है। अपनी धरोहर को सहेजने का काम हमने शुरू किया है। भगवान राम हमारे भांजे हैं उनसे जुड़े हुए राम वन पथ गमन परिसर के विकास का कार्य हमने आरंभ किया। कौशल्या माता मंदिर के विस्तार का काम हमने आरंभ किया। अपनी सांस्कृतिक और अस्मिता को सहेजने का काम हमने किया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने छत्तीसगढ़ की जरूरतों के मुताबिक और यहां के परिवेश को समझते हुए नीतियां बनाई। मसलन जब स्वास्थ्य सेवा लोगों तक पहुंचाने की बात आई तो हमने हाट बाजारों को चुना। हाट बाजार लोगों की गतिविधियों के मुख्य केंद्र में होते हैं। यहां मोबाइल मेडिकल वैन भेजने से लाखों लोगों को लाभ हुआ। अंग्रेजी माध्यम में शिक्षा समय की सबसे बड़ी मांग थी। स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट विद्यालय योजना के अंतर्गत हमने ऐसे स्कूल आरंभ किए। अंग्रेली कालेज भी खोले और भविष्य में भी जरूरत के मुताबिक कालेज खोले जाएंगे।

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