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Adipurush Controversy : लोगों को रास नहीं आ रहा "आदिपुरुष", एडवांस बुकिंग के टिकट कर रहे कैंसिल, बोले- नहीं देखना ऐसा रामायण...

Sharda Kachhi
18 Jun 2023 4:19 AM GMT
आदिपुरुष
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नई दिल्ली : आदिपुरुष के निर्माता भले ही पहले दिन फिल्म के दुनिया भर में 140 करोड़ रुपये के कलेक्शन का दावा कर रहे है, लेकिन फिल्म का विरोध बढ़ता जा रहा है. फिल्म में जिस तरह से रामकथा दिखाई गई और जिस तरह से भगवान राम-हनुमान और लंकेश रावण के किरदार बताए गए हैं, …

आदिपुरुषनई दिल्ली : आदिपुरुष के निर्माता भले ही पहले दिन फिल्म के दुनिया भर में 140 करोड़ रुपये के कलेक्शन का दावा कर रहे है, लेकिन फिल्म का विरोध बढ़ता जा रहा है. फिल्म में जिस तरह से रामकथा दिखाई गई और जिस तरह से भगवान राम-हनुमान और लंकेश रावण के किरदार बताए गए हैं, उनसे लोगों में नाराजगी बढ़ती जा रही है. फिल्म की समीक्षाओं और सोशल मीडिया में फिल्म पर आम दर्शकों प्रतिक्रियाएं देखने के बाद कई लोगों ने अपने एडवांस में बुक किए हुए टिकट कैंसिल करा दिए हैं. वे कैंसिल टिकटों को सोशल मीडिया में शेयर कर रहे हैं. यही नहीं, सोशल मीडिया में आदिपुरुष, बायकॉट आदिपुरुष और डिजास्टर आदिपुरुष हैश टैग ट्रेंड हो रहे हैं. जिनमें फिल्म के मेकर्स, डायरेक्टर और राइटर को लेकर दर्शकों की नाराजगी देखी जा सकती है.

चल पड़ी लहर

इस बीच खबर है कि एडवांस बुकिंग कर चुके कुछ लोगों ने फिल्म पहले दिन ही देख ली, लेकिन जिन्होंने शनिवार-रविवार के लिए टिकट बुक करा रखी थी, वे बड़ी संख्या में अब टिकट रद्द कर रहे हैं. फिल्म को लेकर हर तरफ दिख रहे असंतोष के बाद ऑनलाइन बुकिंग करने वालों द्वारा टिकट रद्द करने की एक लहर-सी चल पड़ी है. राम के रूप में प्रभास को दर्शक स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं, जबकि हनुमान को दिए संवादों को सोशल मीडिया मे टपोरी और छपरी बताया जा रहा है. फिल्म के खराब वीएफएक्स से भी लोगों में नाराजगी है. इसी का नतीजा है कि जिन लोगों ने फिल्म नहीं देखी, वे अपनी एडवांस बुकिंग को रद्द कर रहे हैं.

यह रामायण नहीं

टिकट रद्द कराने के बाद एक ट्विटर यूजर ने लिखा कि मैंने आदिपुरुष के टिकट सिर्फ इसलिए रद्द कर दिए हैं क्योंकि मैं अपनी बेटी को गलत रामायण नहीं पढ़ाना चाहता. एक अन्य ने लिखा, मैंने अधिपुरुष का टिकट कैंसिल कर दिया है क्योंकि यह रामायण नहीं है. इस बीच फिल्म के डायलॉग राइटर मनोज मुंतशिर इन संवादों के पक्ष में तर्क देते हुए टीवी चैनलों पर कह रहे हैं कि रामायण की कहानी बड़े-बुजुर्गों, दादा-दादी और देश के बड़े संतों द्वारा भी इसी तरह की भाषा और फैशन में सुनाई जाती है. वह रामायण की कथा में ऐसे संवाद डालने वाले पहले व्यक्ति नहीं हैं. उनका कहना है कि इन संवादों में गलत क्या है?

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