Begin typing your search above and press return to search.
NATIONAL

DU एसी की 1014वीं बैठक आयोजित, पॉलिटिकल साइंस के सिलेबस से बाहर हुए इकबाल, कुलपति ने दिया डॉ. भीमराव अंबेडकर को अधिकाधिक पढ़ाने पर ज़ोर...

Sharda Kachhi
27 May 2023 11:26 AM GMT
DU
x

अतुल सचदेवा सीनियर जर्नलिस्ट -नई दिल्ली, 27 मई। दिल्ली विश्वविद्यालय की अकादमिक काउंसिल की 1014वीं बैठक में स्नातक पाठ्यक्रम पर चर्चा के दौरान पॉलिटिकल साइंस के सिलेबस से अल्लामा इकबाल को बाहर कर दिया गया। बैठक की अध्यक्षा करते हुए कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने कहा कि भारत को तोड़ने की नींव डालने वालों को …

DU

अतुल सचदेवा सीनियर जर्नलिस्ट -नई दिल्ली, 27 मई। दिल्ली विश्वविद्यालय की अकादमिक काउंसिल की 1014वीं बैठक में स्नातक पाठ्यक्रम पर चर्चा के दौरान पॉलिटिकल साइंस के सिलेबस से अल्लामा इकबाल को बाहर कर दिया गया। बैठक की अध्यक्षा करते हुए कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने कहा कि भारत को तोड़ने की नींव डालने वालों को सिलेबस में नहीं होना चाहिए। कुलपति के प्रस्ताव को हाउस ने सर्वसम्मति से पारित कर दिया। बैठक में अंडर ग्रेजुएट करिकुलम फ्रेमवर्क (यूजीसीएफ़) 2022 के तहत अनेकों कोर्सों के चौथे, पांचवें और छटे सेमेस्टर के पाठ्यक्रमों को पारित किया गया। इस अवसर पर कुलपति ने डॉ. भीमराव अंबेडकर को अधिकाधिक पढ़ाने पर भी ज़ोर दिया।

बैठक में दर्शनशास्त्र विभाग द्वारा प्रस्तावित बीए के पाठ्यक्रम के संबंध में स्थायी समिति की सिफारिशों पर भी विचार किया गया और दर्शनशास्त्र विभाग के प्रमुख सहित सर्वसम्मति से उन्हें मंजूरी दी गई। दर्शनशास्त्र विभाग द्वारा प्रस्तुत किए गए बीए के पाठ्यक्रम में "डॉ अम्बेडकर का दर्शन", "महात्मा गांधी का दर्शन" और "स्वामी विवेकानंद का दर्शन" भी शामिल हैं। इसके अलावा, कुलपति ने दर्शनशास्त्र विभाग के प्रमुख से अनुरोध किया की सावित्रीबाई फुले को पाठ्यक्रम में शामिल करने की संभावनाओं को भी तलाशा जाए। कुलपति ने दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के अर्थशास्त्र विभाग के प्रमुख को बी आर अम्बेडकर के आर्थिक विचारों पर भी एक पेपर तैयार करने की सलाह दी। उन्होने अर्थशास्त्र में इंडियन इकोनॉमिक मॉडल, यूएस मॉडल और यूरोपियन मॉडल आदि भी पढ़ाने की भी सलाह दी। कुलपति ने इकबाल को लेकर कहा कि इकबाल ने 'मुस्लिम लीग' और "पाकिस्तान आंदोलन" को समर्थन करने वाले गीत लिखे। भारत के विभाजन और पाकिस्तान की स्थापना का विचार सबसे पहले इक़बाल ने ही उठाया था। ऐसे व्यक्तियों को पढ़ाने की बजाए हमें अपने राष्ट्र नायकों को पढ़ना चाहिए।
दिल्ली विश्वविद्यालय के काउंसिल हाल में शुक्रवार को सुबह साढ़े दस बजे से शुरू हुई यह बैठक रात को एक बजकर 20 मिनट पर सम्मपन हुई। करीब 15 घंटे चली इस बैठक में जहां अनेकों यूजी पाठ्यक्रमों को पारित किया गया वहीं उदमोदय फ़ाउंडेशन की “यूनिवर्सिटी ऑफ दिल्ली इनोवेशन एंड स्टार्टअप पॉलिसी” को भी मंजूरी दी गई। इसके साथ ही फ़ैकल्टि ऑफ टेक्नॉलॉजी द्वारा बीटेक के तीन नए प्रोग्रामों को भी शैक्षणिक सत्र 2023-2024 से शुरू करने की मंजूरी दी गई। इसके तहत बीटेक कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग, बीटेक इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग और बीटेक इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के प्रोग्राम शुरू किए जाएंगे। इसके अलावा एलएलबी के पांच वर्षीय दो नए कोर्सों को शुरू करने को भी बैठक में मंजूरी दी गई।

स्वतंत्रता और विभाजन अध्ययन केंद्र होगा स्थापित
डीयू अकादमिक काउंसिल की की बैठक के दौरान स्वतंत्रता और विभाजन अध्ययन केंद्र को स्थापित करने के प्रस्ताव को भी स्वीकृत कर लिया गया। इस केंद्र द्वारा शोध के माध्यम से स्वतंत्रता आंदोलन के ऐसे अज्ञात नायकों और घटनाओं पर भी काम होगा जिन्हें इतिहास में अभी तक स्थान नहीं मिला है। इसके साथ ही भारत विभाजन की त्रासदी के दौरान की घटनाओं पर भी गहनता से अध्ययन एवं शोध होगा। इसके लिए उस दौर के उन लोगों की आवाजों में “ओरल हिस्ट्री” भी रिकॉर्ड होगी जिन्होंने इस त्रासदी को झेला है। विदेशी शासन से आजादी हासिल करने में आने वाली चुनौतियों को पूरी तरह से समझने और देश के भौगोलिक विभाजन से लोगों को शारीरिक, भावनात्मक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक नुकसान के प्रभाव पर भी इस केंद्र में अध्ययन किया जाएगा। यह केंद्र स्वतंत्रता के लिए संघर्ष के विभिन्न पहलुओं और विभाजन के कारणों और प्रभाव के अध्ययन पर काम करेगा।

जनजातीय अध्ययन केंद्र भी होगा शुरु
दिल्ली विश्वविद्यालय की अकादमिक काउंसिल की बैठक में जनजातीय अध्ययन केंद्र के गठन को भी मंजूरी दी गई है। यह एक बहु-अनुशासनात्मक केंद्र होगा जिसमें भारत की विभिन्न जनजातियों पर अध्ययन होगा। केंद्र के प्रमुख उद्देश्य "जनजाति" शब्द को भारत-केंद्रित परिप्रेक्ष्य सहित समझने, उनके सामाजिक, सांस्कृतिक, भाषाई, धार्मिक, आर्थिक, पर्यावरण का अध्ययन तथा भारत के विभिन्न युगों में आदिवासी नेताओं की भूमिका और योगदान का अध्ययन करना हैं। इनके साथ ही भारत के संघर्ष में आदिवासी नेताओं की भूमिका और महत्व पर प्रकाश डालना, उनके बीच के गुमनाम नायकों को प्रमुखता से सामने लाना, भारत की जनजातियों सहित उनकी विभिन्न लोक परंपराओं का अध्ययन और दस्तावेजीकरण करना भी इस केंद्र का उद्देश्य है।

आईटीईपी कार्यक्रम को भी मिली मंजूरी
दिल्ली विश्वविद्यालय में शैक्षणिक सत्र 2023-24 से एकीकृत अध्यापक शिक्षा कार्यक्रम (इंटीग्रेटेड टीचर एजुकेशन प्रोग्राम) आईटीईपी कोर्स चलाने को भी अकादमिक काउंसिल ने मंजूर कर लिया। यह एक पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर 4 वर्षीय कोर्स होगा। कुलपति ने बताया कि इससे पहले चल रहे शिक्षक शिक्षा कार्यक्रमों पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। कोई भी कोर्स बंद नहीं किया जाएगा। उन्होने बताया कि यह कोर्स सीनियर सकेंडरी या इसके समकक्ष परीक्षा के बाद या स्कूली शिक्षा के एनईपी 2020 संरचना (5+3+3+4) के अनुसार संचालित किया जाएगा।

Next Story