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Maharshtra Breaking : शिंदे सरकार गिरेगी या बचेगी? इन 12 सवालों के जवाब अपने फैसले में दे सकता है सुप्रीम कोर्ट...
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे और अन्य विधायकों की बगावत के कारण महाराष्ट्र में पैदा हुए राजनीतिक संकट पर अपना फैसला सुनाएगा, जिसके चलते उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी सरकार गिर गई थी। अदालत ने 16 मार्च से नौ दिनों तक दलीलें सुनने के बाद इस …
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे और अन्य विधायकों की बगावत के कारण महाराष्ट्र में पैदा हुए राजनीतिक संकट पर अपना फैसला सुनाएगा, जिसके चलते उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी सरकार गिर गई थी। अदालत ने 16 मार्च से नौ दिनों तक दलीलें सुनने के बाद इस मुद्दे के संबंध में उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अध्यक्षता वाले समूहों की क्रॉस-याचिकाओं के एक बैच पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।
इन सवालों के जवाब सुप्रीम कोर्ट अपने फैसले में दे सकता है-
क्या किसी भी राजनीतिक पार्टी के अंदर हुई टूट और दल बदल करना एक ही बात है? शिंदे गुट के 34 विधायकों का एक अलग गुट बना लेना शिवसेना की आंतरिक टूट मानी जाए या दलबदल.
क्या एकनाथ शिंदे और उनके गुट के विधायकों का पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का विरोध करके अलग गुट बना लेना दलबदल की श्रेणी में आएगा?
संविधान की 10वीं अनुसूची के तहत क्या शिंदे गुट के खिलाफ अयोग्यता की कार्रवाई विधानसभा अध्यक्ष कर सकते हैं या नहीं?
शिंदे गुट के विधायकों के द्वारा पार्टी के साथ किए गए बर्ताव को पार्टी के आंतरिक लोकतंत्र का हिस्सा माना जाए या डिफेक्शन?
जब स्पीकर को पद से हटाने का नोटिस लंबित हो तब क्या दल बदल कानून के तहत स्पीकर को अयोग्यता पर फैसला करने का अधिकार है या नहीं? नबाम राबिया मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि स्पीकर ऐसी सूरत में अयोग्यता पर फैसला नहीं कर सकता.
अयोग्यता का मामले में आर्टिकल 32/ 226 के तहत सुप्रीम कोर्ट या हाइकोर्ट आ सकता है या नहीं ?
क्या विधायक के व्यवहार के आधार पर स्पीकर के फैसले के बिना, कोर्ट अयोग्यता के मामले में फैसला कर सकता है?
अयोग्यता पर फैसला लंबित रहने की स्थिति में विधानसभा में कार्यवाही कैसे होगी ?
व्हिप और लीडर ऑफ ओपोजिशन की नियुक्ति में स्पीकर की भूमिका क्या होगी ?
पार्टी के आंतरिक फूट की स्थिति से उपजे सवाल की न्यायिक समीक्षा हो सकती है या नहीं ?
सरकार बनाने के लिए निमंत्रित करने के राज्यपाल के अधिकार और उसकी न्यायिक समीक्षा हो सकती है या नहीं ?
पार्टी में आंतरिक फूट की स्थिति में चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र क्या होंगे ?