Rasbhari Farming : कम लागत में करें इस लावाबदार फल की खेती, और महीने के कमाएं लाखों बस करना होगा इतने रूपए का इन्वेस्टमेंट...
नई दिल्ली ; अगर आप कम लागत में पूरे साल कमाई करना चाहते हैं, तो रसभरी की खेती को अपना सकते हैं. रसभरी की 25 से 30 क्विंटल पैदावार व्यवसायिक खेती में प्रति एकड़ के हिसाब से मिलती है. अगर इसे समान्य तापमान में रखा जाए तो, ये कम से कम तीन से चार दिनों …
नई दिल्ली ; अगर आप कम लागत में पूरे साल कमाई करना चाहते हैं, तो रसभरी की खेती को अपना सकते हैं. रसभरी की 25 से 30 क्विंटल पैदावार व्यवसायिक खेती में प्रति एकड़ के हिसाब से मिलती है. अगर इसे समान्य तापमान में रखा जाए तो, ये कम से कम तीन से चार दिनों तक खराब नहीं होती. ड्राई और फ्रोजन फ्रूट्स के साथ साथ सॉस, जैम, प्यूरी, जूस और हर्बल टी जैसे उत्पादकों की वजह से रसभरी की डिमांड काफी ज्यादा होती है. इसलिए इसके दाम भी अच्छे खासे मिलते हैं. इसके अलावा छोटे स्तर पर रसभरी की खेती करके सिर्फ सॉस और जैम बनाकर इससे पूरे साल कमाई की जा सकती है.
रसभरी की खेती के लिए 20 से 25 डिग्री का तापमान अच्छा माना जाता है, लेकिन 15 डिग्री सेल्सियस के तापमान में भी इसकी खेती हो सकती है. इसकी पौध में जब एक बार फल आना शुरू होता है तो 3 महीने तक भरपूर फल देता है. ये दो बीघा जमीन में खेती करने पर भी सालभर में 2 से 3 लाख रुपये तक का मुनाफा कमाने में मदद कर सकती है.
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रसभरी की खेती के लिए ध्यान रखने वाली बातें-
अगर आप रसभरी की खेती करना चाहते हैं तो कुछ बातों को बिलकुल गांठ बांध लीजिए. ताकि आपकी लागत भी कम बनी रहे और नुकसान भी ना हो और मुनाफा आता रहे…
रसभरी की खेती यूं तो किसी भी तरह की मिट्टी में हो जाती है. लेकिन इसके लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे बढ़िया रहती है.
रसभरी की खेती करने के लिए खेत में पानी की निकासी का पर्याप्त प्रबंधन करना होता है. खेत में ज्यादा पानी रहने की स्थिति में इसके पौधे की जड़ें गल सकती हैं.
रसभरी की पौध को जमीन से 20 से 25 सेंटीमीटर ऊंची क्यारियों में लगाया जाता है. इससे भी पौधों के ज्यादा देर तक पानी में रहने से रक्षा होती है.
रसभरी की पौध को हर साल जुलाई महीने में लगाया जाता है, इसके बाद जनवरी में ये फल देना शुरू करते हैं और 3 महीने तक लगातार फल देते हैं.
रसभरी की खेती में एक समस्या खरपतवार की आती है. इसकी पौध में खरपतवार अधिक होती है, इसलिए तीन से चार बार गुड़ाई करनी पड़ती है. वहीं इसके खेत में 3 से 4 बार पानी लगाना पड़ता है.
रसभरी की खेती के लिए सामान्य गोबर की खाद भी काम करती है. इसके अलावा कंपोस्ट खाद का इस्तेमाल भी किया जा सकता है. अच्छी फसल के लिए नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश जैसे उर्वरकों को उपयोग में लाया जा सकता है.
एक हेक्टेयर एरिया में रसभरी की खेती के लिए 200 से 250 ग्राम बीज ही काफी होते हैं. दिल्ली, मुंबई जैसे शहरों में तो इसकी कई वैरायटी के बीज मिल जाते हैं. आजकल इनके बीजों को ऑनलाइन भी मंगवाया जा सकता है.