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Most Haunted Place In India : भारत की 10 सबसे डरावनी और भूतिया जगहें, जहां दिन में भी लगता डर, फूलने लगते है हाथ पैर... 

Sharda Kachhi
2 May 2023 10:11 AM GMT
Most Haunted Place In India
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भारत में कई जगह ऐसी भी हैं, जहां पर कई दर्दनाक मौते हुई हैं. जिसके बाद इन जगहों को भूतिया बताया जाने लगा. अगर आप भी रहस्यों और भूतिया कहानियों को जानने में दिलचस्पी रखते हैं, तो यह आर्टिकल आपके लिए खास है. इस आर्टिकल में हम आपको भारत की 10 सबसे डरावनी और भूतिया …

Most Haunted Place In Indiaभारत में कई जगह ऐसी भी हैं, जहां पर कई दर्दनाक मौते हुई हैं. जिसके बाद इन जगहों को भूतिया बताया जाने लगा. अगर आप भी रहस्यों और भूतिया कहानियों को जानने में दिलचस्पी रखते हैं, तो यह आर्टिकल आपके लिए खास है. इस आर्टिकल में हम आपको भारत की 10 सबसे डरावनी और भूतिया जगहों के बारे में बता रहे हैं…

पिसावा के जंगल
स्थानीय लोगों के अनुसार उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के देहात इलाके में एक ऐसी जगह भी हैं जिसके अंदर घुसने से पर्यटकों का कलेजा कांप जाता है। कारण बताया जाता है कि यहां सर्र-सर्र आवाज आती रहती है और रात में काला-काला पर्दा सा छा जाता है। इतना ही नहीं छाता तहसील के इस पिसावा नामक गांव के पास यह स्थान तरह-तरह के पेडों-हींस-करील और जीवों का बसेरा भी है। यहां हजारों की संख्या में बन्दर रहते हैं।

पिसावा के जंगलपुराणों में लिखा गया है कि महाभारत में जब युद्ध खत्म हो गया था तो आचार्य द्रोण के महाबलशाली पुत्र अश्ववस्थामा पांण्डवों की जय के बाद से जिन झाड़ियों में प्रवेश कर गए थे वे ये ही हैं। घुमावदार जंगल के इस स्थान पर शनिवार को यज्ञ होता है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां परिक्रमा के लिए आते हैं । बच्चे-बूढे़ और महिलाएं तो रोज ही मिल जाएंगे लेकिन वे भी इन झाड़ियों के भीतर नहीं जाते। आप यदि परिक्रमा या पूजन के लिए जाना चाहते हैं तो वाहन चलते हैं लेकिन यहां के प्रशासन और पदाधिकारियों ने अनदेखी कर इसकी प्रसिद्धी को अनजाना बना दिया है।

मान्यता है कि पिसावा के पास ‘झाडी वाले बाबा’ जंगल से कोई लकडी लेकर बेच नहीं सकता, घर नहीं ले जा सकता। ये बात यहां का हर व्यक्ति जानता है। यदि भूलवश कोई ले जाने की कोशिश करता है तो उसका बुरा होता है। एक ग्रामीण ने हमें बताया कि एक बार एक घमंडी दंबग यहां से पेडों को काटकर बेचने चला था, उसके पशु मर गए थे और वृक्ष काटने वाले आदमी नांक से खूंन फेंककर भाग खड़े हुए थे। तभी से यह बात पुष्ट हो गई कि यहां से कोई लकड़ी नहीं ले जा सकता। हां, यदि आप आस्था कार्यों जैसे पुण्य-प्रसादी और भण्डारा करते हैं तो और भला होगा यहां की लकड़ी लेकर।

डेंजर इलाके में नहीं जा सकते
यहां आसपास कई पुराने खण्डहर हैं, जो पता नहीं किसने बनाए हैं। कोई अकेला व्यक्ति तो जाना दूर यहां आए लोग भी ऐसे इलाके में नहीं जाते हैं। इसके कारण खतरनाक कीट-पतंगे या ऊपरी बवाल का होना हो सकता है यह तो वहां जाने से ही स्पष्ट हो सकता है।

मेरठ का ‘भूत बंगला’
उत्तर प्रदेश के ही एक जिले मेरठ में बेहद डरावना किस्सा है ‘भूत बंगले का’। यह बंगला मॉल रोड स्थित कैंट बोर्ड के सीईओ के आवास के निकट है। सीईओ के आवास और व्हीलर्स क्लब के बीच एक रास्ता अंदर की ओर जाता है। माल रोड से लगभग 650 मीटर अंदर जाने के क्रम में कई झाड़ियों से भी जूझना पड़ेगा, लेकिन घबराने की बात नहीं क्योंकि बंगले की दहलीज तक पक्की सड़क है। यहां पीले रंग के बंगले में पांव रखते ही कबूतरों की फड़फड़ाहट की आवाज एक बारगी आपको डरा तो देगी ही। हालांकि दीवारों पर इतने अपशब्द लिखे मिलेंगे कि माजरा समझने में देर नहीं लगेगी।

सैकड़ों वर्ष पुराने इस बंगले का फर्श मजबूत हैं और ऊपर जाने की सीढ़ी भी दुरुस्त है। हां, दीवारें कहीं-कहीं से टूट चुकी हैं, जालियां नुची हुई हैं और धूल-गंदगी का अंबार है। कमरों में प्रवेश करने पर जूते-चप्पलों की छाप के साथ ही कोनों में दारू की बोतलें, सिगरेट, नमकीन के पैकेट और अन्य आपत्तिजनक सामान की मौजूदगी यह बताने को काफी है कि डर की आड़ में यहां क्या-क्या नहीं होता। दुनिया के लिए वीरानी की चादर ओढ़े इस भूतिया बंगले में जाम भी छलकते हैं और रंगीनियत भी होती है। इतना ही नहीं, एक कमरे में चार ईटें इस तरह से रखी हैं कि साफ जाहिर होता है कि यहां आए दिन ताश या जुआ खेला जाता है। कमरे हवादार हैं। धूप, बारिश से बचने के लिए पूरी तरह से सुरक्षित। किसी ने तो काली और नीली स्याही से बुद्ध विहार तक का नाम दे दिया है।

बंगले में था सब एरिया मुख्यालय 1947 तक
जिस बंगले को दुनिया भर में सबसे ज्यादा डरावनी जगहों में शुमार किया गया है, आजादी मिलने तक यह सब एरिया मुख्यालय था। यहां मेरठ छावनी की हरेक गतिविधियों को अमली जामा पहनाया जाता था। उस दौर में कर्नल रैंक के अधिकारी सब एरिया कमांडर के पद पर होते थे। 1947 के बाद इस बंगले को छोड़ सब एरिया मुख्यालय सरधना रोड पर बनाया गया, जहां पूर्व में अंग्रेजी अफसरों का अस्पताल हुआ करता था।

भानगढ़ का किला
भानगढ़ फोर्ट, राजस्थान के अलवर जिले में स्तिथ है। यह भारत का टॉप मोस्ट हॉन्टेड प्लेस है। इसे आम बोलचाल की भाषा में भूतों का भानगढ़ कहा जाता है। इस बारे में रोचक कहानी है कि 16 वीं शताब्दी में भानगढ़ बसता है। 300 सालों तक भानगढ़ खूब फलता-फूलता है। फिर यहां कि एक सुन्दर राजकुमारी रत्नावती पर काले जादू में महारथ तांत्रिक सिंधु सेवड़ा आसक्त हो जाता है। वो राजकुमारी को वश में करने लिए काला जादू करता है पर खुद ही उसका शिकार हो कर मर जाता है । पर मरने से पहले भानगढ़ को बर्बादी का श्राप दे जाता है और संयोग से उसके एक महीने बाद ही पड़ौसी राज्य अजबगढ़ से लड़ाई में राजकुमारी सहित सारे भानगढ़ वासी मारे जाते है और भानगढ़ वीरान हो जाता है। तब से वीरान हुआ भानगढ आज तक वीरान है और कहते है कि उस लड़ाई में मारे गए लोगो के भूत आज भी रात को भानगढ़ के किले में भटकते हैं। तांत्रिक के श्राप के कारण उन सब कि आत्मा की मुक्ति आज तक नहीं हो पाई है। देखा है जो की कुछ दूर जाकर पेड़ों में गायब हो गई। वैसे यह सर कटी लाश वाली बात काल्पनिक ज्यादा लगती है लेकिन डाउ हिल के जंगलो में जाने वाला कोई भी शख्स इस बात से इंकार नहीं करता की ये जगह हॉन्टेड हो या

यह जगह अब पुरात्तव विभाग अधीन है और उन्होंने सूर्यास्त के बाद इसे किले में नहीं रुकने की सख्त हिदायत दे रखी है। सरकार ने भी पर्यटकों को यहां अंधेरा होने से पहले चले जाने की चेतावनी जारी कर रखी है। लोगों का मानना है कि आज भी उस तांत्रिक की आत्मा वहीं भटकती रहती है। तांत्रिक के श्राप के अनुसार वह स्थान कभी भी बस नहीं सकता। वहां रहने वाले लोगों की मृत्यु हो जाती है, लेकिन उनकी आत्मा को मुक्ति नहीं मिलती।

कुलधरा गांव, जैसलमेर
इस सूचि में एक और राजस्थान का स्थान है। जैसलमेर जिले का कुलधरा गांव जो की पिछले 170 सालों से वीरान पड़ा हैं। कुलधरा गांव पालीवाल ब्राहम्णों का गांव था। कुलधरा गांव के हजारों लोग अपने गांव की एक लड़की को अय्याश दीवान सालम सिंह से बचाने के लिए, एक ही रात मे इस गांव को खाली कर के चले गए थे और जाते-जाते श्राप दे गए थे कि यहां फिर कभी कोई नहीं बस पायेगा। तब से गांव वीरान पड़ा हैं। कहा जाता है कि यह गांव रूहानी ताकतों के कब्जे में हैं, कभी हंसता खेलता यह गांव आज एक खंडहर में तब्दील हो चुका है। टूरिस्ट प्लेस में बदल चुके कुलधरा गांव में घूमने आने वालों के मुताबिक यहां रहने वाले पालीवाल ब्राह्मणों की आहट आज भी सुनाई देती है। उन्हें वहां हरपल ऐसा अनुभव होता है कि कोई आसपास चल रहा है। बाजार के चहल-पहल की आवाजें आती हैं, महिलाओं के बात करने उनकी चूडियों और पायलों की आवाज हमेशा ही वहां के माहौल को भयावह बनाते हैं। प्रशासन ने इस गांव की सरहद पर एक फाटक बनवा दिया है जिसके पार दिन में तो सैलानी घूमने आते रहते हैं लेकिन रात में इस फाटक को पार करने की कोई हिम्मत नहीं करता हैं। मई 2013 मे दिल्ली से आई भूत-प्रेत व आत्माओं पर रिसर्च करने वाली पेरानार्मल सोसायटी की टीम ने कुलधरा गांव में रात बिताई और यहां पर पारलौकिक गतिविधिया रिकॉर्ड की।

कुलधरा गांव, जैसलमेर

थ्री किंग्स चर्च है गोवा के वेलसाओ में
कहते हैं कि गोवा के किंग्स चर्च में तीन पुर्तगाली राजाओं की आत्मा भटकती है और कई बार चर्च में आए लोगों को इनकी मौजूदगी का एहसास भी होता है। यहां के लोगों का कहना है की किसी समय यहां तीन पुर्तगाली राजा हुआ करते थे। इनमें वर्चस्व को लेकर अक्सर लड़ाई होती रहती थी। एक बार होल्गेर नाम के एक राजा ने अन्य दोनों राजाओं को इस चर्च में आमंत्रित किया और धोखे से जहर देकर मार दिया। जब लोगों को होल्गेर की इस करतूत का पता चला तो उन्होंने इसके महल को घेर लिया। जनता के आक्रोश को देखकर तीसरे राजा ने आत्महत्या कर ली। तीनों राजाओं के शव को इसी चर्च में दफना दिया गया। इसके बाद से ही इस चर्च में ऊपरी ताकतों का निवास माना जाता है। आप अगर यहां जाना चाहते हैं तो पहले वहां के लोगों से इसके लाकेसन के बारे में जान लें और हां यह ऊपर पहाड़ी पर स्थित है। इसलिए चढ़ने उतरने का प्रबंध भी पहले ही कर लें। इतना ही नहीं समय भी दिन का होना चाहिए नहीं तो वहां और लोग हों उनके साथ होलें । वैसे यह जानना रोचक होगा कि यहां राजा कैसे रहे होंगे।

जमाली-कमाली मस्जिद और कब्र -महरौली, दिल्ली
यह मस्जिद दिल्ली के महरौली में स्थित है। यहां सोलवहीं शताब्दी के सूफी संत जमाली और कमाली की कब्र मौजूद है। इस जगह के बारे में लोगों का विश्वास है कि यहां जिन्न रहते हैं। कई लोगों को इस जगह पर डरावने अनुभव हुए हैं। सूफी संत जमाली लोधी हुकूमत के राज कवि थे।

जमाली-कमाली मस्जिद और कब्र -महरौली, देल्ही इसके बाद बाबर और उनके बेटे हुमायूं के राज तक जमाली को काफी तवज्जो दी गई। माना जाता है कि जमाली के मकबरे का निर्माण हुमायूं के राज के दौरान पूरा किया गया। मकबरे में दो संगमरमर की कब्र हैं, एक जमाली की और दूसरी कमाली की। जमाली कमाली मस्जिद का निर्माण 1528-29 में किया गया था। यह मस्जिद लाल पत्थर और संगमरमर से बनी है।

अग्रसेन की बावड़ी, कनाट प्लेस, दिल्ली
अग्रसेन की बावड़ी राजधानी दिल्ली में कनाट प्लेस से थोड़ी ही दूरी पर स्थित है। महाराजा अग्रसेन ने चौदवहीं शताब्दी में इस बावड़ी का निर्माण करवाया था। इसकी लंबाई 60 मीटर और चौड़ाई 15 मीटर है। इस प्राचीन स्मारक को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) का संरक्षण प्राप्त है।

अग्रसेन की बावड़ी, कनाट प्लेस, दिल्ली किसी ज़माने में यह हमेशा पानी से भरी रहती थी, लेकिन अब यह सूख चुकी है। इसके बारे में प्रचलित है कि इसका काला पानी लोगों को सम्मोहित कर आत्महत्या के लिए उकसाता था। इसके तल तक पहुंचने के लिए 106 सीढियां उतरनी हैं। एएसआई के अधीन होने के बावजूद लोगो को इसके बारे में ज्यादा पता नही है यदि आप कनाट प्लेस जाकर भी किसी से इसके बारे में पूछेंगे तो वो अनभिज्ञता जाहिर कर देंगे।

डाउ हिल- कुर्शियांग-पश्चिमी बंगाल
कुर्शियांग, पश्चिम बंगाल के दार्जलिंग जिले में स्तिथ एक हिल स्टेशन है। इसकी दार्जलिंग से दुरी 32 किलोमीटर है। इसकी ऊंचाई 4864 फीट है। कुर्शियांग का स्थानीय नाम खरसांग है जिसका मतलब होता है ‘सफेद आर्किड की भूमि’। कुर्शियांग मुख्यतः अपने बोर्डिंग स्कूलों और पर्यटन के लिए जाना जाता है। पर कुर्शियांग से लगती डाउ हिल से एक मिस्ट्री जुडी हुई है जो की इसे भारत के टॉप मोस्ट हॉन्टेड प्लेस की लिस्ट में शामिल कराती है। डाउ हिल के जंगलों में बड़ी संख्या में आत्म हत्याएं हुई है। इस जंगल में इधर-उधर इंसानों की हड्डियां दिखाई दे जाना आम बात है।

डाउ हिल- कुर्शियांग-पश्चिमी बंगाल इसलिए यहां के वातावरण में अजीब सी सिरहन और दर महसूस किया जाता है। इसके अलावा यहां के स्थानीय लोगों का कहना है कि दिसंबर से मार्च तक की छुट्टियों के दौरान उन्हें विक्टोरिया बॉयज स्कूल में पैरों कि आहट सुनाई देती है। एक लकड़हारे का तो यहां तक कहना है की उसने जंगल में एक युवा लड़के की सर कटी लाश को चलते हुए देखा है जो की कुछ दूर जाकर पेड़ों में गायब हो गई। वैसे यह सर कटी लाश वाली बात काल्पनिक ज्यादा लगती है लेकिन डाउ हिल के जंगलो में जाने वाला कोई भी शख्स इस बात से इंकार नहीं करता की ये जगह हॉन्टेड हो या न हो पर डरावनी बहुत है।

बड़ोंग सुरंग नंबर-33, हिमाचल प्रदेश
इस सुरंग का निर्माण एक अंग्रेज इंजीनियर बड़ोग ने करवाया था। इसलिए इसे बड़ोग सुरंग भी कहते है। बड़ोग सुरंग के साथ एक दर्द भरी कहानी जुड़ी है। कहते हैं कि इस सुरंग को बनाने वाले अंग्रेज इंचार्ज बड़ोग ने एक बड़ी भूल यह कर दी कि एक ही बार में दोनों ओर से सुरंग बनाने का कार्य शुरू कर दिया।

बड़ोंग सुरंग नंबर-33, हिमाचल प्रदेश

अंदाजे की भूल से सुरंग के दोनों छोर मिल नहीं पाए जिसके कारण उन पर एक रुपए जुर्माना किया गया। कहते हैं कि अपनी इस चूक से वह इतने अधिक दुखी हुए कि उन्होंने एक दिन अपने कुत्ते के साथ सैर पर जाते हुए स्वयं को गोली मार कर आत्महत्या कर ली। कहते है की आज भी इसमें उस अंग्रेज इंजीनियर की रूह भटकती है।

शनीवारवाडा किला, पुणे

शनीवारवाडा किला, पुणे जब पश्चिम भारतीय प्रांत पर पेशवाओं का अधिकार था उस समय पेशवाओं के उत्तराधिकारी नारायण नामक बालक की उसके चाची के आदेशानुसार हत्या करवा दी गई थी। अपनी जान बचाने के लिए नारायण पूरे महल में घूमता रहा लेकिन फिर भी उसके हत्यारों ने उसे ढूंढ़ कर मार डाला। वह अपने चाचा को आवाज लगाता रहा पर कोई उसकी मदद के लिए नहीं आया। स्थानीय लोगों ने आज भी कई बार उसकी कराहने की आवाजें सुनी हैं। चांदनी रात में वह जगह और अधिक भयानक हो जाती है।

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