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Shree Cement signs MoU with CG Govt : गोबर का होगा एडिशनल फ्यूल रिर्सोसेज के रूप में उपयोग, CM बघेल की उपस्थिति में गोबर खरीदी के लिए श्रीसीमेंट और जिला प्रशासन बलौदाबाजार-भाटापारा के बीच हुआ एमओयू
रायपुर। Shree Cement signs MoU with CG Govt : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (CM Bhupesh Baghel) की उपस्थिति में आज यहां विधानसभा परिसर स्थित उनके कार्यालय कक्ष में श्रीसीमेंट उद्योग और जिला प्रशासन बलौदाबाजार-भाटापारा के बीच एमओयू( Mou) हुआ। बलौदाबाजार-भाटापारा जिले के सिमगा विकासखण्ड में स्थापित सीमेंट उद्योग द्वारा गोबर क्रय करने की सहमति दी गई …
रायपुर। Shree Cement signs MoU with CG Govt : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (CM Bhupesh Baghel) की उपस्थिति में आज यहां विधानसभा परिसर स्थित उनके कार्यालय कक्ष में श्रीसीमेंट उद्योग और जिला प्रशासन बलौदाबाजार-भाटापारा के बीच एमओयू( Mou) हुआ।
बलौदाबाजार-भाटापारा जिले के सिमगा विकासखण्ड में स्थापित सीमेंट उद्योग द्वारा गोबर क्रय करने की सहमति दी गई है। कोयले की जगह ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देने श्रीसीमेंट प्रतिदिन खरीदेगा 10 मीट्रिक टन गोबर। एडीशनल फ्यूल रिर्सोसेज के रूप में गोबर का भट्टी को गरम करने में कोयले के साथ उपयोग किया जाएगा। इस अवसर पर मुख्यमंत्री के सलाहकार प्रदीप शर्मा, कलेक्टर बलौदाबाजार-भाटापारा रजत बंसल और सीमेंट के रवि तिवारी भी उपस्थित थे।
16 गांव से प्रतिदिवस 10 मीट्रिक टन गोबर प्रदाय किया जाएगा
अधिकारियों ने बताया कि श्रीसीमेंट के सबसे समीप के गांव चण्डी में गोबर अन्य स्थानों से एकत्र कर कंपनियों को दिया जायेगा। गोबर की पूर्ति सीमेंट उद्योग के 15 किलोमीटर के परिधि वाले 16 गांव से प्रतिदिवस 10 मीट्रिक टन गोबर प्रदाय किया जाएगा। कम्पनी को अब तक 38.8 मीट्रिक टन गोबर प्रदाय किया जा चुका है।
बलौदाबाजार-भाटापारा जिले में 7 गौ-शालाएं हैं, जिसमें 1739 पशुओं को रखा गया है, इनमें 4 सिमगा विकासखण्ड में ही स्थित है जो 20-25 किलोमीटर की दूरी पर है। गौ-शालाओं से भी प्रति दिवस 6 मीट्रिक टन गोबर प्रदाय की संभावना है। जिले में उद्योेगों के समीपस्थ लगभग 95 गांव हैं, जिसमें पशुओं की संख्या लगभग 80 हजार है।
गोबर के उपयोग के नए-नए नवाचार सामने आ रहे हैं
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ शासन की गोबर खरीदी की गोधन न्याय योजना से प्रभावित होकर गोबर के उपयोग के नए-नए नवाचार सामने आ रहे हैं। गोबर से वर्मी कम्पोस्ट, दिये और गमले बनाने के साथ-साथ छत्तीसगढ़ में अब प्राकृतिक पेंट और बिजली का उत्पादन भी किया जा रहा है।