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Chaitra Navratri 2023: 3 किलो सोने से सजा मां बम्लेश्वरी का गर्भगृह, दीवारों पर दिखेंगी अद्भुत कलाकारी! जानिए इस बार क्या कुछ रहेगा खास?

Rohit Banchhor
14 March 2023 9:10 AM GMT
Chaitra Navratri 2023:
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Chaitra Navratri 2023:

Chaitra Navratri 2023: राजनांदगांव: हिन्दू धर्म में त्योहारों व पर्वों का विशेष महत्व होता है। वहीँ हिन्दू धर्म के सबसे बड़े पर्व चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 22 मार्च से हो रही है। इसके लिए मंदिरों में तैयारियां शुरू हो गई हैं। डोंगरगढ़ की पहाड़ी पर स्थित मां बम्लेश्वरी का दरबार इस बार बेहद भव्य नजर …

Chaitra Navratri 2023:
Chaitra Navratri 2023:

Chaitra Navratri 2023: राजनांदगांव: हिन्दू धर्म में त्योहारों व पर्वों का विशेष महत्व होता है। वहीँ हिन्दू धर्म के सबसे बड़े पर्व चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 22 मार्च से हो रही है। इसके लिए मंदिरों में तैयारियां शुरू हो गई हैं। डोंगरगढ़ की पहाड़ी पर स्थित मां बम्लेश्वरी का दरबार इस बार बेहद भव्य नजर आएगा। क्योंकि मंदिर के गर्भगृह की दीवारों पर सोने से राजस्थानी शैली की कलाकृतियों को उकेरा गया है।

Chaitra Navratri 2023: बताया जाता है कि गर्भगृह को 3 किलो सोने से सजाया गया है। इसके लिए मंदिर ट्रस्ट ने दान में मिले सोने का उपयोग किया है। ट्रस्टी संजीव गोमास्ता के मुताबिक इस काम के लिए राजस्थान और जयपुर से बीस कारीगरों की टीम लगी थी।

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Chaitra Navratri 2023: 26 फरवरी से 13 मार्च तक इस काम को पूरा किया। गर्भगृह में उभारदार आकृति बनाने के लिए इम्पोर्टेड सिरेमिक कोटेट पेंट का इस्तेमाल किया गया है। इस कलाकृति का उपयोग राजस्थान के ऐतिहासिक इमारतों में किया गया है। उसी तर्ज पर मां बम्लेश्वरी मंदिर में इस तरह का प्रयोग पहली बार ट्रस्ट ने किया है। बताया गया कि कारीगरों को मंदिर ट्रस्ट से सात लाख रुपए का भुगतान करेगी।

1600 फीट की ऊंचाई पर स्थापित है मंदिर

Chaitra Navratri 2023: यह मंदिर राजनांदगांव जिले के डोंगरगढ़ की पहाड़ी पर 1,600 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यहां स्‍थापित मंदिर में मां बम्लेश्वरी विराजीं हैं। यहां साल में दो बार (चैत व क्वांर) में नवरात्रि पर लगने वाले मेले में करीब 20 लाख भक्त दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं। सामान्य दिनों में भी हजारों श्रद्धालु माई के दरबार में हाजिरी लगाने आते हैं। देश के अलावा विदेशों से भी भक्त मां बम्लेश्वरी मंदिर में अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए आते हैं।

जानिए मां बम्लेश्वरी मंदिर का इतिहास
Chaitra Navratri 2023: मां बम्लेश्वरी शक्तिपीठ का इतिहास 2,200 वर्ष पुराना हैं। प्राचीन समय में डोंगरगढ़ वैभवशाली कामाख्या नगरी के रूप में जाना जाता था। मां बम्लेश्वरी को राजा विक्रमादित्य की कुल देवी भी कहा जाता है जो मध्यप्रदेश में उज्जयन के एक प्रतापी राजा थे। इतिहासकारों और विद्वानों ने इस क्षेत्र को कल्चुरी काल का पाया है।

Chaitra Navratri 2023: मंदिर की अधिष्ठात्री देवी मां बगलामुखी हैं, जिन्हें मां दुर्गा का स्वरूप माना जाता है। मां को मंदिर में बम्लेश्वरी के रूप में पूजा जाता है। मां बम्लेश्वरी के दरबार में पहुंचने के लिए 1,100 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती है। वैसे यहां रोप-वे की भी सुविधा है। पहाड़ी के नीचे छोटी बम्लेश्वरी का मंदिर है, जिन्हें बड़ी बम्लेश्वरी की छोटी बहन कहा जाता है। यहां बजरंगबली मंदिर, नाग वासुकी मंदिर, शीतला मंदिर भी है।

अष्‍टमी पर दर्शन के लिए करना पड़ता है घंटों इंतजार
Chaitra Navratri 2023: नवरात्र के दौरान ही नहीं, सामान्य दिनों में भी देश के अलावा विदेशों के भक्त मां बम्लेश्वरी के दरबार में हाजिरी लगाने के लिए पहुंचते हैं। कोई पैदल तो कोई अपने साधन से मां की चौखट में आस्था के फूल चढ़ाने पहुंचते हैं। मान्यता है कि यहां सच्‍चे मन से मांगी की हर मुराद पूरी होती है। यहां अष्‍टमी के दिन माता के दर्शन करने घंटों लाइन में खड़ा रहना पड़ता है। मंदिर का पट सुबह चार बजे से ही खुल जाता है। दोपहर में एक से दो के बीच माता के द्वार का पट बंद किया जाता है।

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