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कोरोना के डर से बेटे संग 3 साल तक घर में कैद रही महिला, पति को भी नहीं घुसने दिया अंदर, पुलिस ने किया मां-बेटे को रेस्क्यू...

Sharda Kachhi
23 Feb 2023 6:51 AM GMT

गुरुग्राम : कोरोना वायरस का डर ज्यादातर लोगों के लिए बीते दिनों की बात हो सकती है, लेकिन गुरुग्राम की एक महिला के लिए नहीं। दरअसल एक महिला ने कोविड-19 से संक्रमित होने के डर से खुद को और अपने बेटे को लगभग 3 साल तक अपने घर में बंद कर लिया था। यह घटना …

Corona गुरुग्राम : कोरोना वायरस का डर ज्यादातर लोगों के लिए बीते दिनों की बात हो सकती है, लेकिन गुरुग्राम की एक महिला के लिए नहीं। दरअसल एक महिला ने कोविड-19 से संक्रमित होने के डर से खुद को और अपने बेटे को लगभग 3 साल तक अपने घर में बंद कर लिया था। यह घटना गुरुग्राम के मारुति कुंज इलाके में सामने आई। महिला की पहचान मुनमुन माझी के रूप में हुई है और उसके 10 साल के बच्चे को मंगलवार को पुलिस, स्वास्थ्य और बाल कल्याण विकास अधिकारियों की एक टीम ने बचाया था। दोनों को आगे के इलाज के लिए गुरुग्राम के सिविल अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया।

गुरुग्राम में एक महिला ने खुद को और अपने बेटे को कमरे में बंद कर लिया। हैरान करने वाली बात यह है कि महिला ने खुद को और बेटे को तीन साल तक कमरे में बंद रखा। कोरोना महामारी से बचने के लिए महिला ने यह कदम उठाया। मिली जानकारी के मुताबिक, महिला ने खुद को और अपने बेटे को चक्करपुर इलाके में एक किराए के मकान में बंद रखा था।

दिल्ली पुलिस, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी और बाल कल्याण विभाग के सदस्यों ने मिलकर एक महिला और उसके बेटे को घर से बाहर निकाला। कमरे का दरवाजा तोड़कर मुनमुन मांझी और उनके 10 साल के बेटे को कमरे से बाहर निकाला गया। पुलिस ने आनन-फानन में मां-बेटे को हॉस्पिटल में एडमिट कराया। गुरुग्राम के सिविल सर्जन डॉक्टर वीरेंद्र यादव ने कहा, ‘महिला को कुछ मनोवैज्ञानिक समस्याएं हैं। दोनों को पीजीआई, रोहतक रेफर किया गया है, जहां उन्हें इलाज के लिए मनोरोग वार्ड में भर्ती कराया गया है।’

मिली जानकारी के मुताबिक, मुनमुन के पति सुजान मांझी एक प्राइवेट कंपनी में इंजीनियर हैं। 17 फरवरी को उन्होंने चक्करपुर पुलिस चौकी में तैनात सहायक उपनिरीक्षक प्रवीण कुमार से संपर्क किया। उन्होंने पुलिस से बताया कि उनकी पत्नी तीन सालों से उनके बेटे को लेकर एक कमरे में खुद को बंद कर लिया है। उनकी पत्नी उन्हें भी घर में नहीं आने दे रही है।

महिला के पति ने पुलिस से बताया कि कोरोना महामारी के समय जब पहले लॉकडाउन के बाद प्रतिबंधों में ढील दी गई तो वो ड्यूटी करने ऑफिस जाने लगे। इसके बाद उनकी पत्नी उन्हें घर में नहीं घुसने दी। महिला के पति ने उसे मनाने की बहुत कोशिश की लेकिन वो उन्हें घर के अंदर नहीं आने दी। रिश्तेदारों के समझाने के बाद भी जब महिला ने पति को घर के अंदर नहीं आने दिया और खुद को कमरे में बंद रखा तो उसके पति ने एक दूसरे किराए के घर में रहना शुरू कर दिया।

महिला के पति ने पुलिस को बताया कि इस दौरान वो अपने बेटे से वीडियो कॉल के माध्यम से बात करते थे। उन्होंने बताया कि तीन सालों तक वो उस घर का किराया देते रहे जिस घर में उनकी पत्नी रहती थी। घर का बिजली बिल, बेटे का स्कूल फीस भी वो इस दौरान जमा करते रहे। उन्होंने पुलिस को बताया कि वो तीन सालों तक घर के सामने दरवाजे पर सब्जियां और राशन खरीद कर रख देते थे।

पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि शुरुआत में उन्हें सुजान मांझी की बातों पर यकीन नहीं हुआ। बाद में उन्हें तब विश्वास हुआ जब सुजान ने उनकी बात अपने बेटे से वीडियो कॉल पर करवाई। पुलिस ने बताया कि जिस कमरे में महिला अपने बच्चे के साथ पिछले तीन सालों से रह रही थी उस कमरे में बहुत गंदगी जमा हो गई थी। पुलिस ने बताया कि महिला के बच्चे ने तीन सालों में सूरज की रोशनी नहीं देखी। साथ ही पिछले तीन सालों से महिला ने गैस सिलेंडर और बोतल बंद पानी का इस्तेमाल भी कोरोना के डर से नहीं किया।

महिला के पति ने पुलिस को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि मेरी जिंदगी जल्द ही वापस पटरी पर लौट आएगी। बता दें कि महिला और उसके बेटे दोनों को हॉस्पिटल में एडमिट किया गया है। वहां उनका इलाज चल रहा है।

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