CG : हिंदी – अंग्रेजी भाषी भी अब आसानी से सिख और बोल पाएंगे गोंडी, जिला प्रशासन ने 90 पृष्ठ के पुस्तक को किया तैयार

 

 

गुप्तेश्वर जोशी, बीजापुर। CG : अब जिले के अंदर का या बाहर का कोई भी व्यक्ति आसानी से अब यहाँ के स्थानीय गोंडी भाषा को आसानी से सीख या बोल पायेगा और यहाँ के स्थानीय लोगों के साथ बेहतर तालमेल बना पायेगा और उनकी भावनाओं को उनके साथ जुड़कर समझ पायेगा।

CG : हम ऐसा इसलिए कह रहे है क्यूंकि जिला प्रशासन के पहल पर यहाँ हिंदी -गोंडी संवाद पुस्तिका का प्रकाशन किया जा रहा है। इस पुस्तक का विमोचन आने वाले 26 जनवरी (गणतंत्र दिवस) को किया जायेगा। इसके लिए जिला प्रशासन के कर्मचारियों ने सारी तैयारी कर ली है।

CG : आकांक्षी जिला सहयोग के प्रोग्राम लीडर मांशु शुक्ला ने जानकारी देते हुए बताया की कलेक्टर राजेंद्र कटारा के मार्गदर्शन में इस पुस्तक को तैयार किया गया है। इस पुस्तक में अक्षर, शब्द,वाक्य और कहानी को आसानी से बना पाएंगे। इस पुस्तक में स्थानीय मँडई, मेला,गोंडी की लोककथाएं और लोकगीत के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी गई है।

CG : जैसे उदहारण के लिए हिंदी में शेर को शेर कहते है तो अंग्रेजी में टाइगर तो ऐसे ही गोंडी में शेर डूव कहलायेगा वैसे ही बंदर को गोंडी में कोवे कहेंगे। पहले इस पुस्तक की 1000 कॉपी छापने के लिए भेज दिया गया है। इस बुक की फाइनल एडिटिंग का काम लगभग पूर्ण हो चूका है।

CG : इस पुस्तक के बारे कलेक्टर राजेंद्र कुमार कटारा ने TCP24 से चर्चा में कहा की यह हिंदी -गोंडी संवाद पुस्तिका 90 पेज की होगी।इस पुस्तक को यहाँ के 20 स्थानीय और गोंडी भाषा में अच्छी पकड़ रखने वाले शिक्षकों ने मिलकर तैयार किया है। इस पुस्तक को प्रकाशन करने का एक खास मसकद यह है की जिले की 84 प्रतिशत आबादी गोंडी भाषा का इस्तेमाल करते है।

CG : दक्षिण छोर में बसे बीजापुर जिले को महाराष्ट्र एवं तेलंगाना की सीमाएं स्पर्श करती है। यह धुर नक्सल प्रभावित एवं घोर संवेदनशील जिला है।लेकिन जिले में विकास की असीम संभावनायें है। छत्तीसगढ़ शासन द्वारा अनेक लोकोपयोगी योजनायें लागू है एवं विभागों द्वारा अनेक जन्नोमुखी कार्यक्रम प्रारंभ किये गए है।

CG : इन कार्यक्रमों एवं योजनाओं का क्रियान्वयन जमीनी स्तर पर बेहतर रूप से जारी है तथा ऐसे कल्याणकारी योजनाओं का समस्त लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुँच रहा है एवं इन्हे बेहतर एवं सम्यक तरीके रूप से फलीभूत किया जा सकता है।इसकी पड़ताल और निगरानी जरुरी है।इस कारण जिले में प्रमुखता से बोली जाने वाली लोक बोली गोंडी का व्याकरण तैयार किया गया है।

CG : इस पुस्तक की सहायता से जिले की आम जनता के साथ सीधे संपर्क स्थापित हो सकेगा और इस पुस्तक के जरिये कोई भी हिंदी या अंग्रेजी भाषी बहुत ही सहज़ और सरल तरीके से गोंडी भाषा को सीख पाएंगे।

CG : अमेजन और किंडर जैसे ऐप पर भी मिलेगी यह किताब- हिंदी – गोंडी संवाद नाम की यह पुस्तक अब किंडर, अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसे एप पर भी यह किताब उपलब्ध होगी। जिसे कोई भी व्यक्ति कुछ रुपये देकर इस किताब को खरीद पायेगा।

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