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Ajab-gajab : सारी सुविधाएं होने के बाद भी यहां के लोग नहीं पहनते कपड़े, कड़ाके की ठंड का नहीं पड़ता जरा भी असर, जानें वजह...

naveen sahu
15 Jan 2023 4:41 AM GMT
Ajab-gajab
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ब्रिटेन। Ajab-gajab कोई भी त्यौहार हो लोग रंग बिरंगे कपड़े खरीदने की प्लानिंग पहले से ही कर लेते हैं। कई लोग तो कपड़े खरीदने के इतने शौकीन होते हैं कि आलमारी तक में भी जगह नहीं बन पाता। लेकिन अगर हम आपको कहें कि एक ऐसा गांव हैं जहाँ पूरे का पूरे गांव कपड़े नहीं पहनते। …

Ajab-gajab

ब्रिटेन। Ajab-gajab कोई भी त्यौहार हो लोग रंग बिरंगे कपड़े खरीदने की प्लानिंग पहले से ही कर लेते हैं। कई लोग तो कपड़े खरीदने के इतने शौकीन होते हैं कि आलमारी तक में भी जगह नहीं बन पाता। लेकिन अगर हम आपको कहें कि एक ऐसा गांव हैं जहाँ पूरे का पूरे गांव कपड़े नहीं पहनते। जी हां हम कोई मजाक नहीं कर रहे बल्कि यह बिलकुल सत्य हैं। दुनिया में ऐसा भी एक गांव है, जहां के रहने वाले लोग कभी कपड़ा नहीं पहनते हैं।

आपके मन में यह सवाल उठ रहा होगा कि कहीं गरीबी की वजह से तो ऐसा नहीं है। ऐसे में आपको यह बता दें कि यहां के लोगों के पास धन -दौलत की किसी तरह की कोई कमी नहीं है, इसके बाद भी यहां के लोग ऐसा ही करते हैं। चलिए जानते हैं इसके पीछे क्या कहानी हैं।

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ब्रिटेन के हर्टफोर्डशायर में स्थित इस गांव का नाम स्पीलप्लाट्ज हैं। करीब 85 सालों से यहां के लोग बिना कपड़ों के ही रहते हैं। इस गांव के लोग शिक्षित हैं। धन-दौलत की भी कमी नही है लेकिन, इसके बावजूद भी बच्चे, बूढ़े, महिलाएं और पुरुष सभी बिना कपड़ों के ही रहते हैं। बड़ी बात यह हैं कि ऐसा करने में किसी को भी असहज नहीं लगता हैं।

मिरर की रिपोर्ट के अनुसार, गांव में दो बेडरूम वाले बंगले भी हैं, जिनकी कीमत £85,000 या इससे भी अधिक है। गांव के लोगों के पास मूलभूत सुविधाओं की कोई कमी नहीं है। लेकिन परंपरा और मान्यताओं को मानने वाले लोग बिना कपड़े के ही रहते हैं। हर्टफोर्डशायर के स्पीलप्लाट्ज गांव में न सिर्फ बड़े-बूढ़े बल्कि बच्चे भी बिना कपड़ों के ही रहते हैं। स्पीलप्लाट्ज, जिसका जर्मन में मतलब खेल का मैदान है। इस गांव में पब, स्वीमिंग पूल से लेकर क्लब की भी व्यवस्था हैं। इतना ही नहीं जो भी लोग इस गांव को देखने आते हैं उन्हें भी इन नियमों का पालन करने पड़ते है।

ये हैं कारण
यहाँ के लोगो का मानना हैं कि प्रकृतिवादियों और सड़क पर रहने वाले लोगों के बीच कोई अंतर नहीं है। इस पर दुनियाभर में लोगों ने कई डॉक्यूमेंट्री और शॉर्ट फिल्म भी बना चुके हैं।

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