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Chhattisgarh

Nagar Nigam Raipur : अगर आपके पास भी है E-Waste, तो इस नंबर पर करें Whatsapp, घर से किया जाएगा पिकअप

naveen sahu
12 Jan 2023 5:24 PM GMT
Nagar Nigam Raipur
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रायपुर। रायपुर नगर निगम (Nagar Nigam Raipur) शहरवासियों के लिए नई पहल लेकर आई हैं। जिसके तहत दुनियाभर में गंभीर समस्या बनकर उभर रही E-Waste (इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट) का निपटारण किया जाएगा। ऐसे में अगर आपके घर में भी इ-वेस्ट है तो आप नगर निगम रायपुर द्वारा जारी Whatsapp नंबर (7879307743) पर सम्पर्क कर सकते हैं। …

रायपुर। रायपुर नगर निगम (Nagar Nigam Raipur) शहरवासियों के लिए नई पहल लेकर आई हैं। जिसके तहत दुनियाभर में गंभीर समस्या बनकर उभर रही E-Waste (इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट) का निपटारण किया जाएगा। ऐसे में अगर आपके घर में भी इ-वेस्ट है तो आप नगर निगम रायपुर द्वारा जारी Whatsapp नंबर (7879307743) पर सम्पर्क कर सकते हैं। जिसके बाद टीम खुद आकर आपके घर ने कचरा पीकअप करेगी।

रायपुर नगर निगम ने Door to door कचरा कलेक्शन के संबंध में नई जानकारी साझा की हैं। जिसका PDF आप नीचे लिंक पर क्लिक कर डाउनलोड कर सकते हैं।

Door to Door Collection FAQ

क्या है E-Waste

हम अपने घरों और उद्योगों में जिन इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स सामानों को इस्तेमाल के बाद फेंक देते है, वहीं बेकार फेंका हुआ कचरा इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट (ई-वेस्ट) कहलाता है। इनसे समस्या तब उत्पन्न होती है जब इस कचरे का उचित तरीके से कलेक्शन नहीं किया जाता। साथ ही इनके गैर-वैज्ञानिक तरीके से निपटान किए जाने की वजह से पानी, मिट्टी और हवा जहरीले होते जा रहे हैं। जो स्वास्थ्य के लिए भी समस्या बनते जा रहे हैं।

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हर वर्ष दुनिया में कितना उत्पन्न होता है इलेक्ट्रॉनिक कचरा?

संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी रिपोर्ट ग्लोबल ई-वेस्ट मॉनिटर 2020 रिपोर्ट के अनुसार, 2019 में करीब 5.36 करोड़ मीट्रिक टन इलेक्ट्रॉनिक कचरा उत्पन्न हुआ था जोकि 2030 में बढ़कर 7.4 करोड़ मीट्रिक टन पर पहुंच जाएगा। 2019 में अकेले एशिया में सबसे ज्यादा 2.49 करोड़ टन कचरा उत्पन्न हुआ था। इसके बाद अमेरिका में 1.31 करोड़ टन, यूरोप में 1.2 करोड़ टन, अफ्रीका में 29 लाख टन और ओशिनिया में 7 लाख टन इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट उत्पन्न हुआ था। अनुमान है कि केवल 16 वर्षों में यह ई-वेस्ट लगभग दोगुना हो जाएगा।

दुष्प्रभाव

इलेक्ट्रॉनिक चीजों को बनाने के उपयोग में आने वाली सामग्रियों में ज्यादातर कैडमियम, निकेल, क्रोमियम, एंटीमोनी, आर्सेनिक, बेरिलियम और मरकरी का इस्तेमाल किया जाता है। ये सभी पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए घातक हैं। इनमें से काफी चीजें तो रिसाइकल करने वाली कंपनियां ले जाती हैं, लेकिन कुछ चीजें नगर निगम के कचरे में चली जाती हैं। वे हवा, मिट्टी और भूमिगत जल में मिलकर जहर का काम करती हैं। कैडमियम से फेफड़े प्रभावित होते हैं, जबकि कैडमियम के धुएं और धूल के कारण फेफड़े व किडनी दोनों को गंभीर नुकसान पहुंचता है।

एक कम्प्यूटर में प्राय: 3.8 पौंड सीसा, फासफोरस, केडमियम व मरकरी जैसे घातक तत्व होते हैं, जो जलाए जाने पर सीधे वातावरण में घुलते हैं। इनका अवशेष पर्यावरण के विनाश का कारण बनता है। अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण संगठन "ग्रीनपीस" के एक अध्ययन के अनुसार 49 देशों से इस तरह का कचरा भारत में आयात होता है। तमिलनाडु में सूचना प्रोद्योगिकी के विस्तार ने ई-कचरे के रूप में पर्यावरण के लिए गंभीर संकट पैदा कर दिया है। रायों में जहां-जहां सूचना प्रोद्योगिकी से जुड़ी कंपनियों द्वारा लगातार अपने ठिकाने बनाए जाने से ई-कचरे का संकट व्यापक रूप लेता जा रहा है।

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