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Last Durgashtami 2022 : साल की आखिरी दुर्गाष्टमी आज, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, और माता को प्रसन्न करने विशेष मंत्र...
नई दिल्ली : आज 30 दिसंबर 2022, शुक्रवार को दुर्गा अष्टमी है. दुर्गाष्टमी का शुक्रवार के दिन पड़ना बहुत शुभ माना जाता है. साथ ही आज सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत योग भी पड़ने से ग्रह-नक्षत्रों का बेहद अद्भुत संयोग भी बन रहा. ऐसे में आज के दिन की गई माता की आराधना और विशेष …
नई दिल्ली : आज 30 दिसंबर 2022, शुक्रवार को दुर्गा अष्टमी है. दुर्गाष्टमी का शुक्रवार के दिन पड़ना बहुत शुभ माना जाता है. साथ ही आज सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत योग भी पड़ने से ग्रह-नक्षत्रों का बेहद अद्भुत संयोग भी बन रहा. ऐसे में आज के दिन की गई माता की आराधना और विशेष पूजा अर्चना भक्तों को जमकर लाभ देगी. आज के दिन दुर्गा अष्टमी का व्रत भी रखा जाता है. साथ ही सच्चे मन से दुर्गा मां से प्रार्थना करने पर मां की अपार कृपा भी बरसती है. आइए जानते हैं मासिक दुर्गा अष्टमी व्रत पूजा की विधि और आज के दिन क्या करें क्या ना करें.
दुर्गाष्टमी की पूजा विधि
पूरे विधि विधान से दुर्गाष्टमी पर व्रत और पूजन करने से मनोवांछित फल मिलता है. दुर्गाष्टमी के दिन सुबह उठकर जल्दी स्नान कर लें, फिर पूजा के स्थान पर गंगाजल डालकर उसकी शुद्धि कर लें. लकड़ी के पाट पर लाल वस्त्र बिछाकर उस पर मां दुर्गा की प्रतिमा रखें. माता को अक्षत, सिन्दूर और लाल पुष्प अर्पित करें, प्रसाद के रूप में फल और मिठाई चढ़ाएं. धूप और दीपक जलाकर दुर्गा चालीसा का पाठ करें और फिर मां की आरती करें. हाथ जोड़कर देवी से प्रार्थना करें, दुर्गा मां आपकी सारी इच्छा पूरी करेंगी.
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दुर्गाष्टमी कथा
शास्त्रों के अनुसार, सदियों पहले पृथ्वी पर असुर बहुत शक्तिशाली हो गए थे और वे स्वर्ग पर चढ़ाई करने लगे. उन्होंने कई देवताओं को मार डाला और स्वर्ग में तबाही मचा दी. इन सबमें सबसे शक्तिशाली असुर महिषासुर था. भगवान शिव, भगवान विष्णु और भगवान ब्रह्मा ने शक्ति स्वरूप देवी दुर्गा को बनाया. हर देवता ने देवी दुर्गा को विशेष हथियार प्रदान किया. इसके बाद आदिशक्ति दुर्गा ने पृथ्वी पर आकर असुरों का वध किया. मां दुर्गा ने महिषासुर की सेना के साथ युद्ध किया और अंत में उसे मार दिया. उस दिन से दुर्गाष्टमी का पर्व प्रारम्भ हुआ.
मासिक दुर्गाष्टमी के दिन इन नियमों का करें पालन-
इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए
इस दिन मांस, मदिरा या प्याज-लहसुन वाला भोजन नहीं करना चाहिए.
व्रत के दिन व्यक्ति को झूठ नहीं बोलना चाहिए और ना ही किसी को अपशब्द बोलने चाहिए.
व्रत के दिन बार-बार पानी पीने और गुटका, सिगरेट आदि का सेवन करने से बचना चाहिए.
मां दुर्गा की आरती
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी.
तुमको निशिदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी॥
जय अम्बे गौरी
माँग सिन्दूर विराजत, टीको मृगमद को.
उज्जवल से दोउ नैना, चन्द्रवदन नीको॥
जय अम्बे गौरी
कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै.
रक्तपुष्प गल माला, कण्ठन पर साजै॥
जय अम्बे गौरी
केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी.
सुर-नर-मुनि-जन सेवत, तिनके दुखहारी॥
जय अम्बे गौरी
कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती.
कोटिक चन्द्र दिवाकर, सम राजत ज्योति॥
जय अम्बे गौरी
शुम्भ-निशुम्भ बिदारे, महिषासुर घाती.
धूम्र विलोचन नैना, निशिदिन मदमाती॥
जय अम्बे गौरी
चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे.
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे॥
जय अम्बे गौरी
ब्रहमाणी रुद्राणी तुम कमला रानी.
आगम-निगम-बखानी, तुम शिव पटरानी॥
जय अम्बे गौरी
चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरूँ.
बाजत ताल मृदंगा, अरु बाजत डमरु॥
जय अम्बे गौरी
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता.
भक्तन की दु:ख हरता, सुख सम्पत्ति करता॥
जय अम्बे गौरी
भुजा चार अति शोभित, वर-मुद्रा धारी.
मनवान्छित फल पावत, सेवत नर-नारी॥
जय अम्बे गौरी
कन्चन थाल विराजत, अगर कपूर बाती..
श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति॥
जय अम्बे गौरी
श्री अम्बेजी की आरती, जो कोई नर गावै.
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख सम्पत्ति पावै॥
जय अम्बे गौरी