Good News : नए साल में केंद्र सरकार का आम जनता को बड़ा तोहफा, 2023 तक मुफ्त में मिलेगी राशन, 81.3 करोड़ लोगों को मिलेगा योजना का लाभ, आदेश जारी...
नई दिल्ली : मोदी सरकार ने नए साल पर देश के 80 करोड़ से भी ज्यादा लोगों को तोहफा दिया है। आज केंद्रीय खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री पीयूष गोयल ने ऐलान किया कि केंद्र सरकार राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा एक्ट के तहत चावल, गेंहू और मोटा अनाज साल 2023 में भी बांटना जारी रखेगी। पीयूष …
नई दिल्ली : मोदी सरकार ने नए साल पर देश के 80 करोड़ से भी ज्यादा लोगों को तोहफा दिया है। आज केंद्रीय खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री पीयूष गोयल ने ऐलान किया कि केंद्र सरकार राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा एक्ट के तहत चावल, गेंहू और मोटा अनाज साल 2023 में भी बांटना जारी रखेगी। पीयूष गोयल ने कहा कि अभी सरकार चावल, गेंहू और मोटे अनाज पर क्रमश: 3, 2 और 1 रुपए प्रति किलो की दर से कीमत लेती है, लेकिन अब सरकार ने फैसला लिया है कि दिसंबर 2023 तक यह अनाज पूरी तरह से मुफ्त में मिलेगा।
मोदी सरकार ने गरीबों को फ्री अनाज दिए जाने को लेकर कैबिनेट की बैठक में बड़ा फैसला लिया। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (National Food Security Act) के तहत अब 80 करोड़ से अधिक लोगों को मुफ्त खाद्यान्न मिलेगा। उन्होंने कहा कि उन्हें दिसंबर 2023 तक खाद्यान्न प्राप्त करने के लिए एक रुपए का भुगतान नहीं करना पड़ेगा। सरकार इस पर प्रति वर्ष करीब 2 लाख करोड़ रुपए खर्च करेगी।
सरकार ने शुक्रवार को एक बड़ा फैसला लेते हुए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून ( NFSA) के तहत 80 करोड़ गरीबों को एक साल तक मुफ्त राशन देने का फैसला किया। NFSA के तहत, जिसे खाद्य कानून भी कहा जाता है, सरकार वर्तमान में प्रति व्यक्ति प्रति माह 5 किलोग्राम खाद्यान्न 2-3 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से प्रदान करती है। अंत्योदय अन्न योजना (एएवाई) के तहत आने वाले परिवारों को प्रति माह 35 किलो अनाज मिलता है। NFSA के तहत गरीब लोगों को चावल 3 रुपये प्रति किलो और गेहूं 2 रुपये प्रति किलो की दर से दिया जाता है।
खाद्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि NFSA के तहत मुफ्त खाद्यान्न उपलब्ध कराने का पूरा भार केंद्र वहन करेगा। राजकोष की वार्षिक लागत 2 लाख करोड़ रुपयए आंकी गई है। सरकारी अधिकारियों ने नवीनतम कैबिनेट के फैसले को ‘देश के गरीबों के लिए नए साल का तोहफा’ बताया, जिसमें कहा गया है कि अब 80 करोड़ से अधिक लोगों को NFSA के तहत मुफ्त खाद्यान्न मिलेगा। हितग्राहियों को खाद्यान्न प्राप्त करने के लिए 1 रुपए का भुगतान नहीं करना होगा। उन्होंने कहा कि केंद्र अब इस योजना पर प्रति वर्ष करीब 3 लाख करोड़ रुपये खर्च करेगा।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत 81.35 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को दिसंबर 2023 तक मुफ्त अनाज मिलेगा।
केंद्र सरकार इस पर लगभग 2 लाख करोड़ रुपये खर्च करेगी
~ केंद्रीय मंत्री @PiyushGoyal#CabinetDecisions pic.twitter.com/46xGEw4w16
— पीआईबी हिंदी (@PIBHindi) December 23, 2022
सरकार के इस फैसले के बाद कोरोना काल से चल रही मुफ्त राशन योजनाओं को बंद किया जाएगा तो। कोरोना काल में जो दो तरह का योजनाओं का लाभ आम लोगों को मिलता था उसमे से एक योजनाओं का लाभ अब आम लोगों को नहीं मिल पाएगा। कोरोना काल में PMGKAY योजना के तहत प्रधानमंत्री के तरफ से हरएक वक्ति को 5 किलो मुफ्त अनाज दिया जाता था, और उसके साथ साथ सभी वक्ति को 5 किलो पैसा लेकर दिया जाता था। यानि कह सकते है की बिते दिनों एक आदमी को 10 किलो अनाज मिलता था, जिसमे से 5 किलो अनाज का पैसा लिया जाता था और अब सरकार के इस नए फैसले के बाद हरएक आदमी को अब 5 किलो अनाज मिलेगा, जिसके लिए ग्राहक को अब एक भी रूपया देने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इसकी खर्च अब केंद्र सरकार उठाएगी।
इस बीच, सरकार ने मुफ्त राशन योजना प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) का विस्तार नहीं करने का फैसला किया, जो 31 दिसंबर को समाप्त हो रही है। PMGKAY के तहत, NFSA के तहत कवर किए गए 80 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को प्रति व्यक्ति प्रति माह 5 किलोग्राम खाद्यान्न मुफ्त प्रदान किया जाता है। यह NFSA के तहत अत्यधिक सब्सिडी वाले खाद्यान्न के मासिक वितरण के अतिरिक्त है।
कोरोना की वजह से लॉकडाउन होने पर अप्रैल 2020 में गरीबों और जरूरतमंदों के लिए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) की शुरुआत की गई थी। जिसमें हर महीने गरीबों और जरूरतमंदों को 5 किलो मुफ्त अनाज (गेहूं या चावल) दिया जाता था।
2013 में लागू हुआ था खाद्य सुरक्षा कानून
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून देश में 10 सितंबर 2013 को यूपीए सरकार के दौरान लागू हुआ था। इसका उद्देश्य लोगों को गरिमा के साथ जीवन जीने के लिए सस्ती कीमतों पर गुणवत्तापूर्ण भोजन की पर्याप्त मात्रा सुनिश्चित कराना है, ताकि लोगों खाद्य और पोषण सुरक्षा दी जा सके। इस कानून के तहत 75 फीसदी ग्रामीण आबादी और 50 फीसदी शहरी आबादी को कवरेज मिला है, जिन्हें बेहद कम कीमतों पर सरकार द्वारा अनाज मुहैया कराया जाता है। सरकार प्रति व्यक्ति प्रति माह 1-3 रुपये प्रति किलोग्राम पर पांच किलोग्राम खाद्यान्न प्रदान करती है। इस अधिनियम के तहत व्यक्ति को चावल 3 रुपये, गेहूं 2 रुपये और मोटा अनाज 1 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से मिलता है।
तीन तरह के अधिकारों की गारंटी देता ये कानून
यह अधिनियम तीन तरह के अधिकारों की गारंटी देता है। इसके अंतर्गत बच्चों को पोषण आहार देना, मातृत्व लाभ देना तथा सार्वजनिक वितरण प्रणाली के जरिए सस्ते दर पर खाद्य पदार्थ देना शामिल है। जिला और राज्य स्तर पर शिकायत निवारण तंत्र भी स्थापित किया गया है, ताकि पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जा सके। बिहार जैसे राज्यों में इस अधिनियम को लागू करने से आम लोगों को काफी लाभ मिला है।