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26/11 Terror Attack : 26/11 मुंबई आतंकी हमले के 14 साल, जब डर से कांपी थी पूरी मुंबई, 160 बेगुनाहों की गई जान, जानें एक-एक पल की कहानी...

Sharda Kachhi
26 Nov 2022 6:15 AM GMT
26/11 Terror Attack
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मुंबई : साल 2008 में देश की आर्थिक राजधानी मुंबई पर एक आतंकवादी हमला हुआ था, जिसने भारत समेत पूरी दुनिया को हैरान कर दिया था। जिसे आज पुरे 14 वर्ष पूरे हो गए है, आज ही के दिन यानी 26 नवंबर 2008 को लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकियों ने मुंबई को बम धमाकों …

26/11 Terror Attack

मुंबई : साल 2008 में देश की आर्थिक राजधानी मुंबई पर एक आतंकवादी हमला हुआ था, जिसने भारत समेत पूरी दुनिया को हैरान कर दिया था। जिसे आज पुरे 14 वर्ष पूरे हो गए है, आज ही के दिन यानी 26 नवंबर 2008 को लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकियों ने मुंबई को बम धमाकों और गोलीबारी से दहला दिया था। एक तरह से करीब साठ घंटे तक मुंबई बंधक बन चुकी थी। इस आतंकी हमले को आज 12 साल हो गए हैं मगर यह भारत के इतिहास का वो काला दिन है जिसे कोई भूल नहीं सकता। हमले में 160 से ज्यादा लोग मारे गए थे और 300 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। मुंबई हमले को याद करके आज भी लोगों को दिल दहल उठता है। जानिए क्या हुआ था उस दिन…

आतंकी हमले में लगभग 64 लोग मारे गए थे और 600 से अधिक लोग इसमें घायल-

ताज होटल में लगभग छह विस्फोट हुए और इसमें कई लोग मारे गए। आतंकियों ने कई दिनों तक लोगों को बंधक भी बनाए रखा था। मुंबई में अलग-अलग जगहों पर किए गए इस आतंकी हमले में लगभग 64 लोग मारे गए थे और 600 से अधिक लोग इसमें घायल हुए थे। इस हमले में सभी आतंकवादी मारे गए लेकिन मोहम्मद अजमल आमिर कसाब जिंदा पकड़ा गया। जिसे यरवदा जेल में 21 नवंबर 2012 को फांसी दी गई थी।

जमात-उद-दावा का सरगना हाफिज सईद 26/11 के मुंबई हमलों का मास्टरमाइंड-

इस हमले में सेवानिवृत्त फौजी तुकाराम ओंबले और मुंबई पुलिस के सहायक सब-इंस्पेक्टर ने एकमात्र जीवित आतंकवादी अजमल कसाब को पकड़ने के लिए अपनी जान दे दी थी। ओंबले को कर्तव्य के पालन में असाधारण बहादुरी और वीरता के लिए अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था। जमात-उद-दावा का सरगना हाफिज सईद 26/11 के मुंबई हमलों का मास्टरमाइंड था।

कराची से नाव के रास्ते मुंबई में घुसे-

मुंबई हमलों की छानबीन से जो कुछ सामने आया है, वह बताता है कि 10 हमलावर कराची से नाव के रास्ते मुंबई में घुसे थे। इस नाव पर चार भारतीय सवार थे, जिन्हें किनारे तक पहुंचते-पहुंचते ख़त्म कर दिया गया। रात के तकरीबन आठ बजे थे, जब ये हमलावर कोलाबा के पास कफ़ परेड के मछली बाजार पर उतरे। वहां से वे चार ग्रुपों में बंट गए और टैक्सी लेकर अपनी मंजिलों का रूख किया।

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मछुआरों को था शक-

बताया जाता है कि इन लोगों की आपाधापी को देखकर कुछ मछुआरों को शक भी हुआ और उन्होंने पुलिस को जानकारी भी दी। लेकिन इलाक़े की पुलिस ने इस पर कोई ख़ास तवज्जो नहीं दी और न ही आगे बड़े अधिकारियों या खुफिया बलों को जानकारी दी।

लगातार 3 दिन तक आतंकियों से जूझते रहे सुरक्षा बल-

तीन दिन तक सुरक्षा बल आतंकवादियों से जूझते रहे. इस दौरान, धमाके हुए, आग लगी, गोलियां चली और बंधकों को लेकर उम्मीद टूटती जुड़ती रही और ना सिर्फ भारत से सवा अरब लोगों की बल्कि दुनिया भर की नज़रें ताज, ओबेरॉय और नरीमन हाउस पर टिकी रहीं।

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