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Maruti Suzuki : भारतीय इंजीनियरों के देसी जुगाड़ देख दंग रह गए थे जापानी इंजीनियर, मैनेजमेंट कॉलेजों में आज भी सुनाया जाता है किस्सा - अतुल सचदेवा सीनियर जर्नलिस्ट दिल्ली

viplav
9 Nov 2022 3:41 PM GMT
Maruti Suzuki
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नई दिल्ली। Maruti Suzuki : मारुति उद्योग की शुरुआत स्वर्गीय संजय गांधी ने गुड़गांव में की थी। उनका एक सपना था कि भारत भी एक बढ़िया कार कार बनाएं जो मध्यम वर्गीय आम लोगों के काम आ सके उस समय Fiat और Ambassador car का बहुत बोलबाला था। Fiat और Ambassador का एक 1 …

नई दिल्ली। Maruti Suzuki : मारुति उद्योग की शुरुआत स्वर्गीय संजय गांधी ने गुड़गांव में की थी। उनका एक सपना था कि भारत भी एक बढ़िया कार कार बनाएं जो मध्यम वर्गीय आम लोगों के काम आ सके उस समय Fiat और Ambassador car का बहुत बोलबाला था। Fiat और Ambassador का एक 1 से 2, साल की वेटिंग पर लोगों को मिला करती थी। संजय गांधी ने सोचा था कि वह एक कार का निर्माण करना चाहिए, जिसके बाद उन्होंने मारुति कंपनी की स्थापना की।

Maruti Suzuki : मारुति उद्योग में उन्होंने कई तरह के प्रयोग किए। उस टाइम की बात है जब रोशनारा रोड पुरानी सब्जी मंडी पर आई टी आई ITI और Delhi का Transport Hub ट्रंसपोर्टेशन सेन्टर था। जहां पर पूरे भारत से दिल्ली में ट्रक आते थे, दिल्ली के अन्य जगह पर आई टीआई के केंद्र होते थे। जिसमें मोटर मकैनिक की पढ़ाई कराई जाती है।

Maruti Suzuki : संजय गांधी ने उन लोगों को ले जाकर मारुति में कुछ अपने हिसाब से डिजाइनिंग करते थे कार के इंजन पर भी प्रयोग किया जाता था बस की बाड़ी, तरह तरह के इंजन भी उन्होंने बनाएं ,संजय गांधी इतनी जल्दी सफल नहीं हो पाए। तब हरियाणा की सरकार कांग्रेस की थी बंसीलाल ने जो मुख्यमंत्री थे उन्होंने मारुति को सबसे पहला आर्डर हरियाणा परिवहन की बस की बॉडी बनाने के लिए दिया था इस तरह की शुरुआत हरियाणा की रोडवेज की बसें बना शुरू हुई मारुति में, उसकी कहानी फिर आगे चलती गई मारुति ने जापान की कंपनी सुजुकी से हाथ मिला । मारुति के इंजीनियर ने मोटर मकैनिक देसी जुगाड़ से किया कमाल।

Maruti Suzuki : फैक्ट्री में एक बहुत बड़ी मशीन को जमीन के अंदर सेट करना था। जापान में यह मामूली बात थी लेकिन भारत इसकी टेक्नोलॉजी नहीं थी। जापानी इंजीनियरों ने बहुत कोशिश की लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिली। आखिरकार उन्होंने हार मान ली और अपने होटल में चले गए। दूसरे दिन जब वे आए तो उन्हें पता चला कि भारतीय इंजीनियर और मैकेनिकों कई टन की उस मशीन को जमीन के अंदर सेट कर चुके हैं। जापानी इंजीनियरों को यह देखकर हैरानी हुई। जब उन्होंने इस बारे में पूछा गया तो उन्हें बताया गया कि यह इंजीनियरिंग विभाग के बॉस सिंह का आइडिया था।

Maruti Suzuki : मारुति में कुछ मैकेनिक दिल्ली के ITI में पढ़ आये थे। जो बहुत पुराने थे जो बसों की बॉडी बनाया करते थे वह बहुत अच्छे मैकेनिक भी थे। साथ ही उन्हें देसी जुगाड़ करने में महारत भी थी क्योंकि वह सब्जी मंडी दिल्ली के रोशनारा रोड में ट्रकों की बॉडी व ट्रक के काम और मैकेनिक का काम भी अच्छी तरह किया करते थे। उन्होंने आकर मारुति को भी ज्वाइन किया हुआ था।

जापानी इंजीनियरों ने जब इस बारे में भारतीय इंजीनियर और ITI में पढ़ाई करके बनें मैकेनिकों से पूछो से पूछा तो उन्होंने बताया यह आसान था। उन्होंने पूरे गड्ढे में बर्फ भर दी और फिर उसके ऊपर मशीन सरकाई। बर्फ धीरे-धीरे पिघलती गई और मशीन सेट हो गई। यह सुनकर जापानी इंजीनियरिंग दंग रह गए। यह सुनने में भले ही अजीब लगता हो लेकिन भारतीय इंजीनियरों ने देसी जुगाड़ से यह कमाल कर दिया।

आज भी मैनेजमेंट कॉलेजों में यह किस्सा सुनाया जाता है। इस योजना को अफ्रीकी देशों में पढाई रहे Auto engineering लोगों को भी समझाया जाता है। Maruti Suzuki India का आज शेयर बाजार में Rs.9,326 रुपए प्रति शेयर है। आज देश के सभी राज्य और सभी शहरों और कस्बों और गांवों में भी मारुति की कारें बहुत ही लोकप्रिय है। विदेशों में भी मारुति कारों को Export भी किया जाता है।

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