Chhath Puja 2022 : आज डूबते सूर्य को दिया जायेगा अर्घ्य, जाने क्या है शुभ मुहूर्त और जल चढ़ाने की सही विधि...
नई दिल्ली : आज छठ महापर्व का तीसरा दिन है। आज के दिन संध्या अर्घ्य दिया जाता है। मतलब आज डूबते हुए सूर्य क अर्घ्य दिया जाता है। संतान प्राप्ति और संतान की उन्नति के लिए रखा जाने वाला चार दिवसीय छठ पर्व शुरू हो चुका है। इस साल छठ पूजा 28 अक्तूबर …
नई दिल्ली : आज छठ महापर्व का तीसरा दिन है। आज के दिन संध्या अर्घ्य दिया जाता है। मतलब आज डूबते हुए सूर्य क अर्घ्य दिया जाता है। संतान प्राप्ति और संतान की उन्नति के लिए रखा जाने वाला चार दिवसीय छठ पर्व शुरू हो चुका है। इस साल छठ पूजा 28 अक्तूबर से शुरू होकर 31 अक्तूबर तक चलने वाली है। पंचांग के अनुसार, हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ पर्व मनाया जाता है, लेकिन इससे दो दिन पहले यानी चतुर्थी तिथि को नहाय-खाय के साथ छठ पूजा की शुरुआत हो जाती है। मुख्य रूप से छठ का महापर्व बिहार में मनाया जाता है, लेकिन देश से लेकर विदेशों तक में इस पर्व की धूम रहती है। 30 अक्टूबर को इस महापर्व का तीसरा दिन होगा। इस पर्व का तीसरा दिन संध्या अर्घ्य के लिए होता है, जिसमें व्रत करने वाली महिलाएं पानी के अंदर जाकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देती हैं। छठ पूजा का व्रत सबसे कठिन व्रतों में से एक होता है. इसमें पूरे चार दिनों तक व्रत के नियमों का पालन करना पड़ता है और व्रती महिलाएं पूरे 36 घंटे का निर्जला व्रत रखती हैं. आइए आपको इसका महत्व और मुहूर्त बताते हैं.
डूबते सूर्य को क्यों देते हैं अर्घ्य?
छठ के महापर्व में कार्तिक शुक्ल षष्ठी तिथि को व्रती महिलाएं उपवास रखती हैं और शाम को किसी नदी या तालाब में जाकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देती हैं. ये अर्घ्य एक बांस के सूप में फल, ठेकुआ प्रसाद, ईख, नारियल आदि रखकर दिया जाता है. इसके बाद कार्तिक शुक्ल सप्तमी की सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देते हैं. इस दिन छठ व्रत संपन्न हो जाता है और व्रती महिलाएं व्रत का पारण करती है।
READ MORE :CG : सरकारी कर्मचारी और उनके परिवार इन प्रायवेट अस्पतालों में करा सकेंगे इलाज, नई लिस्ट हुई जारी, 31 मार्च तक रहेगी मान्यता
डूबते सूर्य को अर्घ्य देने के लाभ
छठ का पहला अर्घ्य षष्ठी तिथि को दिया जाता है. यह अर्घ्य अस्ताचलगामी यानी डूबते सूर्य को दिया जाता है. इस दिन जल में दूध डालकर सूर्य की अंतिम किरण को अर्घ्य देने का विधान है. ऐसा माना जाता है कि सूर्य की एक पत्नी का नाम प्रत्यूषा है और ये अर्घ्य उन्हीं को समर्पित है. संध्या समय अर्घ्य देने से कुछ विशेष तरह के लाभ होते हैं. इससे नेत्र ज्योति बढ़ती है और लम्बी आयु का वरदान मिलता है. साथ ही जीवन में आर्थिक संपन्नता भी आती है.
संध्या अर्घ्य का शुभ मुहूर्त
छठ पूजा में डूबते सूर्य को अर्घ्य देने का विशेष महत्व बताया गया है. इस साल छठ के महापर्व में संध्या अर्घ्य रविवार, 30 अक्टूबर को शाम 5 बजकर 34 मिनट पर दिया जाएगा. इसके बाद अगले दिन यानी सोमवार, 31 अक्टूबर को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. इस दिन सूर्योदय सुबह 6 बजकर 27 मिनट पर होगा.
सूर्य देव कैसे दें अर्घ्य?
छठ पूजा में सूर्यदेव की पूजा और उन्हें अर्घ्य देने का विशेष महत्व होता है। षष्ठी तिथि पर सभी पूजन सामग्री को बांस की टोकरी में रख लें। नदी, तालाब या जल में प्रवेश करके सबसे पहले मन ही मन सूर्य देव और छठी मैया को प्रणाम करें। इसके बाद सूर्य देव और अर्घ्य दें। सूर्य को अर्घ्य देते समय "एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते, अनुकम्पय मां देवी गृहाणार्घ्यं दिवाकर" इस मंत्र का उच्चारण करें।