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Chhattisgarh

पटाखों से झुलसे लोगों के लिए नि:शुल्क नेत्र शिविर का 32वॉ वर्ष, पटाखों को सावधानी से चलावें – डॉ. दिनेश मिश्र...

Sharda Kachhi
23 Oct 2022 8:28 AM GMT

रायपुर। नगर के वरिष्ठ नेत्र एवं कॉन्टेक्ट लेंस विशेषज्ञ डॉ. दिनेश मिश्र द्वारा इस वर्ष भी दीवाली में पटाखों से आंखों में लगी चोटों के नि:शुल्क परीक्षण एवं उपचार के लिए दो दिवसीय नि:शुल्क नेत्र शिविर लगाया जा रहा है। यह शिविर डॉ. दिनेश मिश्र के फूल चौक स्थित रायपुर नेत्र चिकित्सालय …

पटाखों

रायपुर। नगर के वरिष्ठ नेत्र एवं कॉन्टेक्ट लेंस विशेषज्ञ डॉ. दिनेश मिश्र द्वारा इस वर्ष भी दीवाली में पटाखों से आंखों में लगी चोटों के नि:शुल्क परीक्षण एवं उपचार के लिए दो दिवसीय नि:शुल्क नेत्र शिविर लगाया जा रहा है। यह शिविर डॉ. दिनेश मिश्र के फूल चौक स्थित रायपुर नेत्र चिकित्सालय में 23 अक्टूबर की शाम से 24 अक्टूबर की रात्रि तक संचालित होगा। दीपावली में चिकित्सकों की अनुपलब्धता व मरीजों को होने वाली कठिनाईयों को देखते हुए यह शिविर लगातार 32 वें वर्ष आयोजित किया जा रहा है। पटाखों से होने वाली दुर्घटनाओं को ध्यान में रखकर सन् 1991 में इस प्रकार के शिविर की शुरूआत की गई थी ताकि पटाखों के कारण जलने व आंख को होने वाली चोटों के त्वरित एवं नि:शुल्क उपचार की सुविधा मरीजों को प्राप्त हो सके। पिछले 31 वर्षो में करीब 2600 से अधिक ऐसे मरीजों का उपचार एवं चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करायी गई है तथा इस शिविर की अंचल में एक विशिष्ट पहचान बन चुकी है।

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डॉ. दिनेश मिश्र ने कहा दीपावली ज्योति पर्व है, नेत्र ज्योति अनमोल है, लेकिन असावधानी से चलाये गये पटाखे किसी भी व्यक्ति की नेत्र ज्योति के लिए गंभीर खतरा साबित हो सकते है। उन्होंने आम जनता से अपील की है कि दीवाली में पटाखों को लापरवाही से न चलावें, बल्कि अपनी सुरक्षा के प्रति सतर्क रहें। बम,अनारदाना, रॉकेट आदि चलाते समय पर्याप्त दूरी व सावधानी रखें। पटाखों को अधिक झुककर न चलावें, क्योंकि पटाखें कई बार अपेक्षाकृत जल्दी फूट जाते हैं व बचाव का समय नहीं मिलता। पटाखे जलाकर सड़क पर न उछालें। छोटे बच्चों को जलते हुए दिये व मोमबत्ती के पास अकेला न छोड़ें। बच्चों को अकेले पटाखें न चलाने दें। पटाखा शरीर के नजदीक फटने से हाथ, चेहरा, आंखे, कपड़ों के झुलसने का खतरा रहता है। सिर के बाल, भौंहे, बरौनियां, पलकें, आंखों का भीतरी भाग साधारण से गंभीर रूप से झुलस सकता । पटाखा बनाने में गंधक, पोटाश, कोयला, कंकड़, सुतली, कपड़े, कागज का उपयोग होता है। आंख के नजदीक पटाखा फूटने से आंखों में गैस, बारूद, कोयला चला जाता है। जिससे पलकें, आंखों की झिल्ली, कंजेक्टाइवा, पुतली व अन्दरूनी हिस्से को साधारण से गंभीर रूप से क्षति पहुंच सकती है।

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