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Maharashtra Politics : शिवसेना पर अधिकार की लड़ाई में आया ट्विस्ट, ठाकरे और शिंदे को मिला नए चुनाव चिन्ह और नाम, EC ने की घोषणा  

viplav
10 Oct 2022 5:07 PM GMT
Maharashtra Politics
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नई दिल्ली : Maharashtra Politics महाराष्ट्र की राजनीती में दो घुटो के बीच जंग चल रही थी, दोनों ही खुदको अलसी शिव सेना जताने में पीछे नहीं हट रही थी. लेकिन अब EC ने इसे सुलझा दिया है. चुनाव आयोग ने पार्टी के नाम और चिन्ह के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है. वहीं दोनों …

नई दिल्ली : Maharashtra Politics महाराष्ट्र की राजनीती में दो घुटो के बीच जंग चल रही थी, दोनों ही खुदको अलसी शिव सेना जताने में पीछे नहीं हट रही थी. लेकिन अब EC ने इसे सुलझा दिया है. चुनाव आयोग ने पार्टी के नाम और चिन्ह के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है. वहीं दोनों गुटों को नया नाम दे दिया है. शिवसेना के उद्धव ठाकरे धड़े को अब शिवसेना उद्धव बाला साहेब ठाकरे के नाम से जाना जाएगा और इसका नया पार्टी चिन्ह मशाल होगा. भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने आज यह घोषणा की. चुनाव आयोग ने कहा कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को बाला साहेब की शिवसेना कहा जाएगा.

Maharashtra Politics : शिंदे धड़े को अभी तक पार्टी का चुनाव चिह्न आवंटित नहीं किया गया है, क्योंकि चुनाव आयोग ने पार्टी से तीन नए विकल्प देने को कहा है. इससे पहले, शिंदे गुट द्वारा प्रस्तावित गदा और त्रिशूल को चुनाव आयोग ने खारिज कर दिया था, क्योंकि वे धार्मिक प्रतीक थे.

Maharashtra Politics : इससे पहले आज, उद्धव ठाकरे ने प्रतिद्वंद्वी गुटों के बीच टकराव के बीच शिवसेना के प्रतीक और नाम पर चुनाव आयोग की रोक को चुनौती दी थी. महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री ने शनिवार के आदेश के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह बिना किसी सुनवाई के फ्रीज कर दिया गया है, जो "प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ" है.

Maharashtra Politics : चुनाव आयोग ने ठाकरे और प्रतिद्वंद्वी एकनाथ शिंदे गुट को मुंबई के अंधेरी पूर्व निर्वाचन क्षेत्र में 3 नवंबर को होने वाले उपचुनाव के लिए नए नाम और प्रतीकों को चुनने के लिए कहा था.

Maharashtra Politics : शिवसेना के चिन्ह को लेकर टीम उद्धव और टीम शिंदे के बीच बीते कई महीनों से आपसी खींचतान चल रही थी. उद्धव ठाकरे जहां इसे अपने पिता की पार्टी बताकर इस पर अपना दावा कर रहे थे. वहीं सीएम शिंदे का कहना था कि लोकतंत्र में पार्टी उसी की होती है जिसके पास बहुमत होता है और फिलहाल बहुमत का आंकड़ा हमारे पास है. लेकिन अब चुनाव आयोग के इस ऐलान के बाद दोनों ही पक्ष पार्टी के नाम और चिन्ह के इस्तेमाल से वंचित कर दिए गए हैं.

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