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Maa Baglamukhi Temple : अगर संतान सुख से है वंचित तो एक बार जरूर जाए ये मंदिर, दीवार पर स्वास्तिक बनाने से होगी आपकी मनोकामना पूर्ण! एक ही गर्भगृह में विराजती है तीन देवियां, जानें और कई खासियत...
उज्जैन : मध्यप्रदेश में तीन मुखों वाली त्रिशक्ति माता बगलामुखी का यह मंदिर शाजापुर तहसील नलखेड़ा में लखुंदर नदी के किनारे स्थित है। द्वापर युगीन यह मंदिर अत्यंत चमत्कारिक है। यहां देशभर से शैव और शाक्त मार्गी साधु-संत तांत्रिक अनुष्ठान के लिए आते रहते हैं। इस मंदिर में माता बगलामुखी के अतिरिक्त माता लक्ष्मी, …
उज्जैन : मध्यप्रदेश में तीन मुखों वाली त्रिशक्ति माता बगलामुखी का यह मंदिर शाजापुर तहसील नलखेड़ा में लखुंदर नदी के किनारे स्थित है। द्वापर युगीन यह मंदिर अत्यंत चमत्कारिक है। यहां देशभर से शैव और शाक्त मार्गी साधु-संत तांत्रिक अनुष्ठान के लिए आते रहते हैं। इस मंदिर में माता बगलामुखी के अतिरिक्त माता लक्ष्मी, कृष्ण, हनुमान, भैरव तथा सरस्वती भी विराजमान हैं। नवरात्रि में भी यहां प्रतिवर्ष लाखों भक्तों का तांता लगा रहता है. कहा जाता है कि महाभारत काल में यहां से पांडवों को विजयश्री का वरदान प्राप्त हुआ था.
मां बगलामुखी की मंदिर विश्व के सर्वाधिक प्राचीन मंदिरों में एक है। यहां मां बगलामुखी की स्वयंभू प्रतिमा है। यह श्मशान क्षेत्र में स्थित है। बताया जाता है कि इस मंदिर की स्थापना महाभारत युद्ध के दौरान 12वें दिन युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण के निर्देशानुसार किया था। बताया जाता है कि इस मंदिर की स्थापना महाभारत में विजय पाने के लिए युधिष्ठिर ने की थी। कहा जाता है कि मां बगलामुखी तंत्र की देवी हैं।
मां बगलामुखी स्तंभव शक्ति की अधिष्ठात्री हैं अर्थात यह अपने भक्तों के भय को दूर करके शत्रुओं और उनके बुरी शक्तियों का नाश करती हैं। मां बगलामुखी का एक नाम पीताम्बरा भी है इन्हें पीला रंग अति प्रिय है इसलिए इनके पूजन में पीले रंग की सामग्री का उपयोग सबसे ज्यादा होता है. देवी बगलामुखी का रंग स्वर्ण के समान पीला होता है अत: साधक को माता बगलामुखी की आराधना करते समय पीले वस्त्र ही धारण करना चाहिए।
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संतान की प्राप्ति के लिए बनाते हैं मंदिर की दीवार पर स्वास्तिक
बगलामुखी की यह प्रतिमा पीतांबर स्वरुप की है. पित्त यानी पीला, इसलिए यहां पीले रंग की सामग्री चढ़ाई जाती है. जिसमें पीला कपड़ा, पीली चुनरी, पीला प्रसाद शामिल है. इसके साथ ही संतान की प्राप्ति के लिए मंदिर की पिछली दीवार पर स्वास्तिक बनाने की परंपरा है. मनोकामनाओं की पूर्ति होती है. नवरात्रि के दौरान हवन की क्रियाओं को संपन्न कराने का विशेष महत्व है. अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए किए जाने वाले इस हवन में तिल, जो, घी, नारियल, आदि का इस्तेमाल किया जाता है. कहते है कि माता के सामने हवन करने से सफलता के अवसर दोगुने हो जाते हैं.
मंत्रियों से लेकर कई दिग्गज टेक चुके हैं माथा
जानकारों के मुताबिक, मां के इस मंदिर में पूरे साल भर भक्तों का तांता लगा रहता है. इस मंदिर में प्रधानमंत्री मोदी के परिवार समेत कई केंद्रीय मंत्री, कई दिग्गज नेताओं का आना हुआ है. कई अभिनेता व अभिनेत्री भी मां के दरबार में माथा टेक चुके हैं. मां के आशीर्वाद के लिए नेता मंदिर में माथा टेकते और हवन करते हैं.