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भारत में अविवाहित महिलाएं भी करा पाएंगी गर्भपात, Supreme Court ने लिया फैसला...

Sharda Kachhi
29 Sep 2022 6:46 AM GMT
Supreme Court
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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में कहा कि एक अविवाहित महिला को भी विवाहित महिला की तरह गर्भपात का अधिकार है। इसी के साथ उसने एक अविवाहिता को 24 सप्ताह का गर्भ गिराने की अनुमति प्रदान कर दी। इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने महिला को गर्भपात कराने की अनुमति …

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में कहा कि एक अविवाहित महिला को भी विवाहित महिला की तरह गर्भपात का अधिकार है। इसी के साथ उसने एक अविवाहिता को 24 सप्ताह का गर्भ गिराने की अनुमति प्रदान कर दी। इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने महिला को गर्भपात कराने की अनुमति नहीं दी थी। इस पर महिला ने याचिका दायर कर शीर्ष कोर्ट का सहारा लिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि भारत में अविवाहित महिलाओं को भी MTP एक्ट के तहत गर्भपात का अधिकार है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि भारत में सभी महिलाओं को चुनने का अधिकार है. अदालत ने कहा है कि भारत में अविवाहित महिलाओं को भी एमटीपी एक्ट के तहत गर्भपात कराने का अधिकार है.सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का अर्थ ये है कि अब अविवाहित महिलाओं को भी 24 हफ्ते तक गर्भपात का अधिकार मिल गया है. SC ने मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी रूल्स के नियम 3-B का विस्तार कर दिया है.

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बता दें कि सामान्य मामलों में 20 हफ्ते से अधिक और 24 हफ्ते से कम के गर्भ के एबॉर्शन का अधिकार अब तक विवाहित महिलाओं को ही था. भारत में गर्भपात कानून के तहत विवाहित और अविवाहित महिलाओं में भेद नहीं किया गया है. गर्भपात के उद्देश्य से रेप में वैवाहिक रेप भी शामिल है. SC ने विवाहित और अविवाहित महिलाओं के बीच गर्भपात के अधिकार को मिटाते हुए अपने फैसले मे कहा है कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (MTP) एक्ट से अविवाहित महिलाओं को लिव-इन रिलेशनशिप से बाहर करना असंवैधानिक है.

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सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि हाई कोर्ट ने जो मत लिया है वह अनावश्यक प्रतिबंध है। एमपीटी रूल्स के मुताबिक जो कानूनी बदलाव किए गए हैं उसमें एक्ट की धारा -3 के व्याख्या को भी देखना होगा जो एक से लेकर तीन तक है। साथ ही मेरिटल स्टेटस को बदले जाने के मामले में भी व्याख्या की गई है। कोर्ट विधायिका के कानून के मकसद के मामले में अविवेकहीन नहीं हो सकता है। रूल्स के एक्सप्लनेशन में कहा गया है कि अगर अनचाहा गर्भ है और वह महिला या फिर उनके पार्टनर द्वारा इस्तेमाल उपाय के फेल होने के कारण हुआ है तो वह अनचाहा गर्भ माना जाएगा। यहां पार्टनर शब्द का इस्तेमाल है और यह दिखाता है कि कानून में अविवाहित महिला को भी कवर किया गया है और यह संविधान के अनुच्छेद-14 के मद्दनेजर है।

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