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Shinzo abe funeral : जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे का राजकीय अंतिम संस्कार, भारत से मिलती जुलती है परंपरा
टोक्यो। Shinzo abe funeral जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे का कल 27 सितंबर को राजकीय अंतिम संस्कार में शामिल होंगे। अंतिम संस्कार कार्यक्रम मे शामिल होने के लिए सोमवार को नरेंद्र मोदी जापान के टोक्यो के लिए रवाना हो गए। जिसके बाद टोक्यो के अकासाका पैलेस में अभिवादन का अवसर होगा। विदेश सचिव …
टोक्यो। Shinzo abe funeral जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे का कल 27 सितंबर को राजकीय अंतिम संस्कार में शामिल होंगे। अंतिम संस्कार कार्यक्रम मे शामिल होने के लिए सोमवार को नरेंद्र मोदी जापान के टोक्यो के लिए रवाना हो गए। जिसके बाद टोक्यो के अकासाका पैलेस में अभिवादन का अवसर होगा।
विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा ने जानकारी देते हुए कहा कि 20 से अधिक राष्ट्राध्यक्षों और शासनाध्यक्षों समेत 100 से अधिक देशों के प्रतिनिधियों के अंतिम संस्कार में शामिल होने की उम्मीद है।
शिंजो आबे की ये प्रतीकात्मक अंतिम विदाई होगी। शिंजो आबे के राजकीय अंतिम संस्कार में 97 करोड़ रुपए खर्च होंगे। 8 जुलाई को शिंजो आबे की गोली मार कर हत्या कर दी गई थी। इसके बाद पारिवारिक तौर पर शिंजो आबे का अंतिम संस्कार 15 जुलाई को हुआ था। इस लिहाज से आबे का ये अंतिम संस्कार प्रतीकात्मक होगा।
गोली मारकर कर दी गई थी हत्या
शिंजो आंबे जापान के सबसे अधिक समय तक प्रधानमंत्री रहे थे। एक चुनावी कार्यक्रम के दौरान शिंजो आबे की आठ जुलाई को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। 67 वर्षीय आंबे को हमलावर ने पीछे से गोली मारी थी। आबे को विमान से एक अस्पताल ले जाया गया। जहां उपचार के प्रयास के बाद डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने हमलावर को मौके से गिरफ्तार कर लिया था। उधर, दुनिया में सबसे सुरक्षित देशों में से एक जापान में इस तरह की घटना को विश्व को चौंका दिया था।
अंतिम संस्कार को लेकर विवाद
इतिहासकार जुनिची मियामा ने कहा, ‘‘राजकीय अंतिम संस्कार लोकतंत्र की भावना के विपरीत है।’’
आबे का राजकीय अंतिम संस्कार इसलिए किया जा रहा है क्योंकि प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा का कहना है कि आबे एक राजकीय अंतिम संस्कार के हकदार हैं क्योंकि वह जापान के आधुनिक राजनीतिक इतिहास में सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले नेता थे और उनकी राजनयिक, सुरक्षा और आर्थिक नीतियों के चलते जापान का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मान बढ़ा।
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि आबे के लिए राजकीय अंतिम संस्कार किशिदा के उन प्रयासों का हिस्सा है, जिसके तहत वह आबे के रूढ़िवादी राजनीतिक धड़े से संबंधित सत्तारूढ़ लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (एलडीपी) के सांसदों को खुश करना चाहते हैं ताकि सत्ता पर उनकी पकड़ मजबूत बनी रहे।
भारत से मिलती जुलती है परंपरा
जापान में शवों को जलाने से जुड़ी परंपरा है। एक अग्नि चेंबर में ताबूत को धीरे-धीरे खिसकते हुए परिजन देखते हैं और फिर घर चले जाते हैं। दो से तीन घंटे बाद परिजनों को सूचना देकर वापस बुलाया जाता है। परिजन चॉप स्टिक से हड्डियों को इकट्ठा करते हैं। इसमें भी कई परंपराएं हैं। कई जगहों पर एक हड्डी को दो लोग एक साथ अपनी-अपनी चॉप स्टिक से उठा कर कलश में रखते जाते हैं। वहीं कई जगहों पर एक हड्डी को चॉप स्टिक से चॉप स्टिक ट्रांसफर के जरिए कलश तक पहुंचाया जाता है। इसी कारण जापान में किसी खाने की चीज को दो लोग चॉपस्टिक से पकड़ें तो अच्छा नहीं माना जाता। सबसे पहले पैर और फिर सिर की हड्डी कलश में रखी जाती है।