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Chhattisgarh

CG : आदिवासी इलाकों में गई कई लोगों की जान, कलेक्टर ने गांवो में भेजा मेडिकल टीम 

naveen sahu
24 Sep 2022 10:54 AM GMT
CG : आदिवासी इलाकों में गई कई लोगों की जान, कलेक्टर ने गांवो में भेजा मेडिकल टीम 
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गुप्तेश्वर जोशी ,बीजापुर। CG बीते दो महीनों से हो रही बारिश और बाढ़ ने आदिवासी इलाकों में तबाही मचा दी है। अंदरूनी इलाके में ग्रामीण सुविधाओ के अभाव में मौत के आगोश में समा रहे हैं। नदी, नालों और बाढ़ में डूबे रास्तों ने मरीजों के जीवन को टापू में तब्दील गांवो ने रोक …

गुप्तेश्वर जोशी ,बीजापुर। CG बीते दो महीनों से हो रही बारिश और बाढ़ ने आदिवासी इलाकों में तबाही मचा दी है। अंदरूनी इलाके में ग्रामीण सुविधाओ के अभाव में मौत के आगोश में समा रहे हैं। नदी, नालों और बाढ़ में डूबे रास्तों ने मरीजों के जीवन को टापू में तब्दील गांवो ने रोक रखा है। छत्तीसगढ़ के दो जिले बीजापुर और नारायणपुर गंभीर हालातो से मौतों की आगोश में हैं। यहां मरने वालों में ज्यादा जनसंख्या आदिवासियों की है, जो बुखार और शरीर मे सूजन की शिकायत के बाद मौत हुई है।

इंद्रावती नदी पार के ग्रामीणों ने बताया की मर्रामेटा , रेकावाया ,पेंटा, गुडरा ,पीडियाकोट और बड़े पल्ली क्षेत्र में महामारी सी स्तिथि निर्मित हो चुकी है । दो माह के भीतर ही बीजापुर जिले के मर्रामेटा पंचायत, पेंटा , पीडियाकोट , बड़े पल्ली पंचायत में लोगो की शरीर फूलने और तेज बुखार के कारण मौत हो गई है । वही नारायणपुर जिले के अंतर्गत आने वाली ग्राम रेकावाया में 10 लोगो की इन्ही लक्षण वाली बीमारियों के कारण मौत हो गई है ।

इन क्षेत्रों में अब भी 50 से अधिक ग्रामीण इन्ही बीमारियों के चपेट में है । इनकी सुध लेने वाला कोई नही है। बीते 5 माह से कोई भी स्वास्थ अमला इन क्षेत्रों में नही पंहुचा पाया है। मरीज अपनी मौत के दिन गिन रहे है ।
इन गांवो में शिक्षा का प्रसार भी वैसा नही हुआ है। जैसा होना चाहिए, यही वजह है कि ये आज भी हिंदी नही बल्कि गोंडी और मुरिया बोली ही बोलते हैं।

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मजबूरन मरीज गांव में ही बैगा-गुनिया से अपना उपचार करवा रहे है। परिजन अपने बीमार रिश्तेदारों को धीरे - धीरे मौत के आगोश में जाते देख रहे है। उन्हें अब सरकार से कोई उम्मीद नही है , ग्रामीण यह मान चुके है कि उनकी जिंदगी सरकार के नजरो में कीड़े - मकोड़े से ज्यादा कुछ नही है । कोई भी जनप्रतिनिधि उन क्षेत्रों के ओर रुख करने का कभी सोचते ही नही है । सिरहा गुनिया से ईलाज कराने वाले के भी अपने तर्क हैं उनका मानना है कि कुछ बीमारियां सिरहा गुनिया ठीक करते हैं ।

लेकिन जब उनके हाथों से सब निकल जाता है तो मौत ही एकमात्र सत्य बनकर सामने आता है। आजादी के 75 वें अमृत महोत्सव में भी देश सिरहा गुनिया के अंधकार और अंधविश्वास से बाहर नही आया है। बीजापुर के कलेक्टर राजेन्द्र कटारा कहा की अंदरूनी इलाकों में ग्रामीणों की मौत की खबर आयी है लेकिन मौत बीमारियों की वजह से हुई है या प्राकृतिक मौत हुई है यह रिपोर्ट आने के बाद ही स्पष्ट हो पायेगा। हमारी स्वास्थ्य टीम को यहां के लिए रवाना कर दिया गया है। सीएमएचओ सुनील भारती ने कहा कि उन्हें इस घटना की जानकारी गुरुवार को जैसे ही लगी एक टीम गठित कर घटनास्थल के लिए रवाना कर दिया गया हैं।

सीएमएचओ भारती ने कहा कि ग्रमीणों की मौत की जानकारी उन्हें लगी है। कलेक्टर द्वारा टीम गठित कर घटनास्थल भेजा गया है। टीम के वापस लौटने के बाद ही किन कारणों से और कितनी मौतें हुई है इसका कारण स्पष्ट हो पायेगा। स्वास्थ्य विभाग के 20 लोगों को इन इलाकों में भेजा गया है। जो गाँव -गाँव जाकर सर्वे करेगी औऱ मौत किस वजह से हुई इसकी जानकारी गाँव वालों से लेगी। रविवार को स्वास्थ्य विभाग की टीम जिला मुख्यालय पहुंचेगी इसके बाद ही मौतों का कारण स्पष्ट हो पायेगा।

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