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Project Cheetah : 70 साल बाद देश में चीतों की वापसी, PM ने पिंजरा खोल चीतों को छोड़ा कूनो नेशनल पार्क में, देखें वीडियों...
ग्वालियर : 70 साल बाद देश के धरती पर एक बार फिर चीते दौड़ते हुए नजर आएंगे। प्रधानमंत्री के जन्म दिवस के अवसर पर नामीबिया से आए आठ चीते एक विशेष मालवाहक विमान से भारत लाए गए है। जो कि आज सुबह ये चीते ग्वालियर के महाराजा एयरपोर्ट पर पहुंचे है। इसके बाद इन्हें …
ग्वालियर : 70 साल बाद देश के धरती पर एक बार फिर चीते दौड़ते हुए नजर आएंगे। प्रधानमंत्री के जन्म दिवस के अवसर पर नामीबिया से आए आठ चीते एक विशेष मालवाहक विमान से भारत लाए गए है। जो कि आज सुबह ये चीते ग्वालियर के महाराजा एयरपोर्ट पर पहुंचे है। इसके बाद इन्हें सेना के तीन विशेष हेलीकॉप्टर्स से कूनो नेशनल पार्क पहुंचाया गया।
PM Modi releases 8 cheetahs in MP's Kuno National Park
Read @ANI Story | https://t.co/NVlXzeiKWp#CheetahIsBack #Cheetahs #NarendraModi #PMModi pic.twitter.com/vmUMwm4yHm
— ANI Digital (@ani_digital) September 17, 2022
Project Cheetah is our endeavour towards environment and wildlife conservation. https://t.co/ZWnf3HqKfi
— Narendra Modi (@narendramodi) September 17, 2022
बता दें कि इन 8 चीतें को कुछ दिनों तक विशेष बाड़े में रखा जाएंगा। जब ये चीते यहां के जलवायु में अभ्यस्त हो जाएंगे.तब इन्हें बाड़े से जंगल में छोड़ दिया जाएंगा। पुन देश में चीतो के आने से प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी खुश हैं, बल्कि संपूर्ण भारत में खुशी की लहर छाई हुई हैं और इसी के साथ सोशल मीडिया पर #CheetahIsBack टॉप पर ट्रेंड कर रहा है। इस पर यूजर्स कई तरह के प्रतिक्रियाएं भी दे रहे है। कोई वेलकम बैक कर रहा है ,तो कोई मीम्स बनाकर शेयर कर अपनी खुशी को बया कर रहा है। इसी के साथ प्रधानमंत्री मोदी का प्रोजेक्ट चीता सफल हो गया।
PM @narendramodi emplanes for Madhya Pradesh, where two major programmes will be held. In a historic occasion, Cheetahs will be released at the Kuno National Park. PM Modi will also attend a programme of Self Help Groups in Sheopur. https://t.co/1RUQjlCQRO pic.twitter.com/ocnMHyEumz
— PMO India (@PMOIndia) September 17, 2022
वही पीएम ने कहा, ”आज देश में 75 वैटलैंड्स को रामसर साइट्स के रूप में घोषित किया गया है, जिनमें 26 साइट्स पिछले 4 सालों में ही जोड़ी गई हैं. देश के इन प्रयासों का प्रभाव आने वाली सदियों तक दिखेगा, और प्रगति के नए पथ प्रशस्त करेगा. टाइगर्स की संख्या को दोगुना करने का जो लक्ष्य तय किया गया था, उसे समय से पहले हासिल किया है. असम में एक समय एक सींग वाले गैंडों का अस्तित्व खतरे में पड़ने लगा था, लेकिन आज उनकी भी संख्या में वृद्धि हुई है. हाथियों की संख्या भी पिछले सालों में बढ़कर 30 हजार से ज्यादा हो गई है.”