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Astrology : आपकी राशि में छिपा होता है आपके भक्ति का राज, जाने कौन सी राशि होती भगवान के सबसे प्रिय...
नई दिल्ली, Astrology : हम अपने जीवन के उद्देश्य और कई छिपे हुए पहलुओं का पता लगा सकते हैं और जीवन के पथ पर आगे बढ़ सकते हैं। हमारी जन्म कुंडली का विश्लेषण हमें अपनी ताकत, कमजोरियों, रिश्तों, करियर, व्यवसाय, धन और जन्म के उद्देश्य के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देता है। जब व्यक्ति …
नई दिल्ली, Astrology : हम अपने जीवन के उद्देश्य और कई छिपे हुए पहलुओं का पता लगा सकते हैं और जीवन के पथ पर आगे बढ़ सकते हैं। हमारी जन्म कुंडली का विश्लेषण हमें अपनी ताकत, कमजोरियों, रिश्तों, करियर, व्यवसाय, धन और जन्म के उद्देश्य के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देता है। जब व्यक्ति का जन्म होता है तब उसे एक राशि के अनुसार एक नाम मिलता है और उस नाम से वह जाना जाता है. लेकिन क्या आपको आपका पता आपका नाम और राशि से पता चल सकता है की आप भगवान के कितने प्रिय है.
जन्मपत्री या जन्म कुंडली बताती है कि हमारे जन्म के समय सौर मंडल में सभी ग्रहों की सही स्थिति क्या थी, जिसके कारण हम जैसे अद्वितीय व्यक्तित्व का निर्माण हुआ। इसलिए हमारे साथ जो कुछ भी होता है, अच्छा या बुरा, हमारा व्यक्तित्व, हमारा व्यवहार जो हम दूसरों के साथ अपनाते हैं, इन सभी की हमारी जन्म कुंडली में एक निश्चित व्याख्या है। आइए कुंडली के माध्यम से जानते हैं कि भगवान के प्रति भक्ति भाव कैसा है-
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यदि कुंडली के पंचम भाव में सूर्य, मंगल या बृहस्पति या इनमें से किसी ग्रह पर दृष्टि रखते हुए किसी पुरुष ग्रह की उपस्थिति हो तो ऐसी स्थिति में व्यक्ति का झुकाव हमेशा ईश्वर की ओर रहता है।
यदि पंचम भाव संतुलन में हो और चन्द्रमा या गुरु ग्रह या उनमें से कोई भी उस पर दृष्टि रखता हो तो जातक पर देवी लक्ष्मी की कृपा बरसती है।
यदि कुंडली में किसी भी घर में 4 या 5 से अधिक ग्रह हों तो उस जातक पर भगवान की पूर्ण कृपा होती है और जातक सांसारिक सुखों से विरक्त हो जाता है।
यदि दशम भाव में मीन राशि हो और उसमें बुध या मंगल ग्रह की उपस्थिति हो तो यह जातक के आध्यात्मिक जीवन का जीना पसंद करता है। ऐसे लोग अपना ज्यादातर समय धार्मिक कार्यों में बिताना पसंद करते हैं।
यदि जातक की कुण्डली में दशमाधिपति नवम भाव में बैठा हो और बली नवमेश की दृष्टि गुरु या युति में हो तो जातक अपना पूरा जीवन धर्म के लिए ही व्यतीत करता है।
यदि कुण्डली में नवमाधिपति बलि या गुरु के साथ-साथ गुरु और शुक्र की पूर्ण दृष्टि हो तो यह योग जातक को ईश्वर की कृपा का पात्र बनाता है।