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Viral Video : बेबस पिता... एक हाथ में रिक्शे का हैंडल, तो दूसरे में बिना कपड़े के मासूम बच्चा, रिक्शा चलते वायरल हुआ इस मजबूर पिता का वीडियो
जबलपुर : एक पता अपने परिवार और बच्चों का पेट पलने के लिए क्या कुछ नहीं करता। वह दिन-रात मेहनत करता ताकि दो वक्त की रोटी के लिए पैसे कमा सके आज हम एक ऐसे ही लाचार और मजबूर बाप से मिलवाने जा रहे हैं जो कंधे पर एक हाथ से अपने मासूम बेटे …
जबलपुर : एक पता अपने परिवार और बच्चों का पेट पलने के लिए क्या कुछ नहीं करता। वह दिन-रात मेहनत करता ताकि दो वक्त की रोटी के लिए पैसे कमा सके आज हम एक ऐसे ही लाचार और मजबूर बाप से मिलवाने जा रहे हैं जो कंधे पर एक हाथ से अपने मासूम बेटे को संभालता है तो दूसरे हाथ से साइकिल रिक्शे की हैंडल थामता है.
राजेश नाम का यह मजबूर बाप रोजाना घर से निकलता है तो साथ में उसका दुधमुंहा बेटा भी रहता है और उसी को साथ लेकर राजेश जबलपुर शहर भर में घूमकर सवारियां तलाशता है और सवारी मिलने पर एक हाथ से ही रिक्शा चलाकर उन्हें उनकी मंजिल तक पहुंचाने की जतन में जुट जाता है.
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पेट और परिवार पालने की मजबूरी इंसान से क्या-क्या नहीं कराती, मजबूर राजेश इस बात का जीता जागता उदाहरण है. राज्य से लेकर केंद्र सरकार तक की तमाम योजनाएं ऐसे लाचार लोगों के पास आकर दम तोड़ देती हैं, सरकारी दावों के उलट राजेश की यह मजबूरी यह बताने के लिए काफी है कि सरकारी योजनाओं का फायदा भले ही किसी को मिले लेकिन जरूरतमंदों को अब भी नसीब नहीं हो पा रही हैं.
जबलपुर -
यह राजेश हैं। इनके 2 बच्चे हैं। बड़ी बच्ची को झुग्गी में सुलाकर आते हैं और नन्हें बच्चे को गोद में लेकर दिनभर रिक्शा चलाते हैं।
ममता का कोई विकल्प नहीं होता लेकिन राजेश को देखकर लगता है कि पिता होना आसान नहीं।
आपके जज्बे को सलाम है।
संभव हो तो इनकी मदद करें @jabalpurdm pic.twitter.com/S3GpWeoiJO— Makarand Kale (@makarandkale) August 25, 2022
बिहार के कटिहार जिले के रहने वाले राजेश के दो बच्चे हैं। बड़ी बेटी तीन साल की है और छोटा बेटा एक साल का। एक महीने पहले उसकी पत्नी अपने प्रेमी के साथ भाग गई। तब से राजेश अपने बच्चे को गोद में थामे रिक्शा चलाता है। वह जिधर से भी गुजरता है, उसे देखकर लोगों की आंखों में आंसू आ जाते हैं।
दरअसल रिक्शा चालक राजेश की शादी करीब 10 साल पहले हुई थी। शादी के बाद उसे उम्मीद थी कि उसकी जिंदगी एक बार नए अंदाज में करवट लेगी। हुआ यूं ही राजेश को एक बेटी और बेटे की प्राप्ति हुई। वह स्टेशन के पास ही झोपड़ी बनाकर रहने लगा। वह रिक्शा चलाकर परिवार का भरण पोषण करने लगा।
मेहनत और ज़िंदादिली की दाद दे रहे लोग
बिन कपड़ों के अपने मासूम बेटे को कंधे पर लेकर और एक हाथ से साइकिल रिक्शा चलाते राजेश पर जिस की भी नजर पड़ती है वह उसकी मेहनत और ज़िंदादिली की दाद देने से खुद को रोक नहीं पाता. साथ ही ऐसे लोग सरकार से भी सवाल करते हैं कि तरक्की के असली मायने बड़ी-बड़ी इमारतें तानना नहीं बल्कि ऐसे लोगों को विकास की मुख्यधारा से जोड़ना भी है, जिसे फिलहाल सरकारें नहीं समझ पा रही हैं.