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Ganesh Chaturthi 2022 : गणेश चतुर्थी की तैयारियां जोरो पर, इस दिन विराजेंगे गणपति, जाने पूजा से लेकर विसर्जन तक का मुहूर्त

naveen sahu
23 Aug 2022 4:54 PM GMT
Ganesh Chaturthi 2022 : गणेश चतुर्थी की तैयारियां जोरो पर, इस दिन विराजेंगे गणपति, जाने पूजा से लेकर विसर्जन तक का मुहूर्त
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रायपुर। Ganesh Chaturthi 2022 देशभर में गणेशचतुर्थी का इंतजार छोटों से लेकर बुजुर्गो तक करते हैं। हिंदू धर्म में गणेश उत्सव पर्व का खास महत्व है। भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणपति की स्थापना की जाती है और इस पर्व को 11 दिनों तक बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस …

रायपुर। Ganesh Chaturthi 2022 देशभर में गणेशचतुर्थी का इंतजार छोटों से लेकर बुजुर्गो तक करते हैं। हिंदू धर्म में गणेश उत्सव पर्व का खास महत्व है। भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणपति की स्थापना की जाती है और इस पर्व को 11 दिनों तक बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस महीने के अंत में ही बप्पा हमारे घर में विराजेंगे। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस साल गणेश चतुर्थी पर बेहद खास योग बन रहे हैं जिसके इस उत्सव का महत्व कई गुणा बढ़ जाएगा। आइये जानते है विस्तार से।

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गणेश चतुर्थी मुहूर्त
31 अगस्त को सुबह 11 बजकर 05 मिनट से दोपहर 01 बजकर 38 मिनट के बीच भगवान गणेश की पूजा का शुभ मुहूर्त है। इस दिन रवि योग सुबह 05 बजकर 58 मिनट से दोपहर 12 बजकर 12 मिनट तक रहेगा। इस अवधि में शुभ कार्यों को करना अति उत्तम माना जाता है।

चतुर्थी की पूजा

गणेश चतुर्थी के दिन प्रात:काल स्नान-ध्यान करने के बाद सबसे पहले गणपति के लिए रखे जाने वाले व्रत का संकल्प लें और उसके बाद मध्याह्न काल में किसी चौकी पर लाल कपड़ा या आसन बिछाकर गणपति की मूर्ति प्रतिमा स्थापित करें। इसके बाद गणपति को दूर्वा, फूल, फल, अक्षत, पान, सुपाड़ी आदि चढ़ाने के बाद उनका मनपसंद भोग यानि मोदक चढ़ाए और गणपति अथर्वशीर्ष अथवा गणेश चालीसा का पाठ करें। सबसे अंत में गणेश जी की आरती करने के बाद अधिक से अधिक लोगों को प्रसाद बांटें और खुद भी ग्रहण करें।

9 सितंबर को होगा गणपति विसर्जन

31 अगस्‍त को गणपति स्‍थापना के 10 दिन बाद 9 सितंबर को भगवान गणेश अपने धाम को लौट जाते हैं. इसी दिन लोग ‘गणपति बप्‍पा मोरिया अगले बरस तू जल्‍दी आ’ के जयकारों के साथ गणेश विसर्जन करते हैं। इस दिन अनंत चतुदर्शी तिथि रहती है। इसके बाद 15 दिन के पितृ पक्ष शुरू होते हैं। पितृ पक्ष के दौरान लोग पितरों की आत्‍मा की शांति के लिए पिंडदान, तर्पण, श्राद्ध आदि करते हैं।

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