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Hal Shashti Vrat 2022 : संतान की लम्बी उम्र के लिए माताएं रखेंगी हल षष्ठी व्रत, जानें पूजा विधि और शुभ मुहूर्त...
नई दिल्ली, Hal Shashti Vrat 2022 : हर मां चाहती है की उसके संतान के जीवन में कभी कोई दुःख-दर्द न हो और उसकी उम्र लम्बी हो जिसके लिए वह बचपन से लेकर बड़े होने तक उसकी सेवा व देख रेख करती है, इसलिए ईश्वर की भक्ति की समर्पित भाद्रपद मास की …
नई दिल्ली, Hal Shashti Vrat 2022 : हर मां चाहती है की उसके संतान के जीवन में कभी कोई दुःख-दर्द न हो और उसकी उम्र लम्बी हो जिसके लिए वह बचपन से लेकर बड़े होने तक उसकी सेवा व देख रेख करती है, इसलिए ईश्वर की भक्ति की समर्पित भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को हल षष्ठी, हलछठ या फिर कहें ललही छठ के पर्व के रूप में मनाया जाता है. सनातन परंपरा में हल षष्ठी व्रत संतान की लंबी आयु और उसके सुख सौभाग्य की कामना के लिए रखा जाता है. पौराणिक मान्यता के अनुसार इसी पावन तिथि पर भगवान श्री कृष्ण के बड़े भाई बलराम का जन्म हुआ था। मान्यता है कि इस व्रत को विधि विधान से करने पर संतान से जुड़ी बड़ी से बड़ी बलाएं दूर हो जाती हैं. संतान के सुख को बढ़ाने वाला हलषष्ठी व्रत इस साल 17 अगस्त 2022, बुधवार को मनाया जाएगा. आइए इस व्रत की पूजा विधि, जरूरी नियम और धार्मिक महत्व को विस्तार से जानते हैं.
हल षष्ठी व्रत का शुभ मुहूर्त
भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली पावन षष्ठी तिथि 16 अगस्त 2022 को रात्रि 08:17 बजे प्रारंभ होकर 17 अगस्त 2022 की रात्रि 08:24 बजे तक रहेगी. चूंकि सनातन परंपरा में उदया तिथि में ही तीज त्योहार मनाए जाने की परंपरा है, ऐसे में हलषष्ठी व्रत 17 अगस्त 2022 को रखा जाएगा.
हल षष्ठी व्रत की पूजा विधि
हल षष्ठी या फिर कहें ललही छठ के व्रत वाले दिन महिलाएं सबसे पहले पवित्र मिट्टी की मदद से एक बेदी बनाकर उसमें पलाश, गूलर आदि की टहनियों और कुश को मजबूती से लगाती हैं. इसके बाद विधि विधान से पूजा करते हुए बगैर जुते हुए खाद्य पदार्थ को अर्पित करती हैं. इस व्रत में महुआ, फसही का चावल और भैंस का दूध और उससे बनी चीजों का प्रयोग किया जाता है और महिलाएं इन्हीं के माध्यम से इस व्रत का पारण करती हैं.