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CG News : मन की प्रसन्नता ही संसार में सबसे श्रेष्ठ मुहूर्त: आचार्य विशुद्ध सागर
रायपुर। CG News सन्मति नगर फाफाडीह में सोमवार को आचार्य विशुद्ध सागर महाराज ने मंगल देशना में कहा कि संसार में सबसे श्रेष्ठ मुहूर्त वही है जब आपका मन प्रसन्न रहता है। आपका मन जब मुस्कुराए इससे बड़ा कोई और मुहूर्त हो नहीं सकता। कोई भी श्रेष्ठ काम करने जाओ पंचांग को देखने से पहले …
रायपुर। CG News सन्मति नगर फाफाडीह में सोमवार को आचार्य विशुद्ध सागर महाराज ने मंगल देशना में कहा कि संसार में सबसे श्रेष्ठ मुहूर्त वही है जब आपका मन प्रसन्न रहता है। आपका मन जब मुस्कुराए इससे बड़ा कोई और मुहूर्त हो नहीं सकता। कोई भी श्रेष्ठ काम करने जाओ पंचांग को देखने से पहले अपने परिणामों को देख लेना और अपने चित को देख लेना। श्रेष्ठ मुहूर्त आपने निकाल लिया लेकिन मन में खिन्नता है तो काम सफल नहीं हो पाएगा। मन यदि प्रसन्न है तो सभी काम सफल हो जाएंगे।
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आचार्य ने कहा कि हर व्यक्ति अपनी बुराइयों को ढकना चाहता है। आप अपनी बुराइयों को ढक कर दूसरे की आंखों में धूल झोंक सकते हो,स्वयं के बिगड़े मन को क्या समझाओगे। दूसरों को समझाने की समझ हर किसी के पास है लेकिन स्वयं को समझाने की समझ बिरले आदमी को है। जो समझ दूसरों को समझाने की है उसका कुछ हिस्सा अपने पास रख लेना, दूसरा भी समझ जाएगा और तुम भी समझ जाओगे। मित्र ऐसा बनाना जो नींव की ईट की भांति हो। यदि ऐसा कोई मिल जाए तो उसे छोड़ना मत। देश, कुल, जाति, धर्म, स्वभाव और प्रीति का बोध न हो जाए तब तक हर व्यक्ति के साथ मित्रता मत कर लेना,वरना बाद में पछताना पडेगा। कोई विपरीत व्यक्ति आपका मित्र बन जाए तो 24 घंटे सोचते हो मित्रता कैसे छूटे। ऐसे ही किसी को जीवन में विपरीत घोड़ा,विपरीत विमान,विपरीत वाहन,विपरीत सलाहकार,विपरीत पत्नी मिल जाए तो उसका नाश निश्चित है।
अपने मन से प्रभावित होकर हम दुखी हैं: मुनिश्री निर्विकल्प सागर
मुनिश्री निर्विकल्प सागर ने कहा कि पंचम काल में मनुष्य सद्गुणों को ग्रहण न कर दुर्गुणों के पीछे भाग रहा है। पंचम काल में सबसे बड़ा तप स्वाध्याय है। स्वाध्याय भी 12 तपों में एक तप है। शरीर यदि साथ न दे तो उपवास न करें लेकिन स्वाध्याय करें। सभी जीव इस संसार में दुखी है। दुखी आप स्वयं के कारण हो, दुखी हम स्वयं के परिणामों से होते हैं। जो मायाचारी, क्रोध कषाय कर रहा वह वर्तमान में भी दुखी होगा और भविष्य में भी दुखी होगा। उसे सुखी करने का कोई साधन नहीं है। प्रभावित होना पाप है,हम दुखी प्रभावित होने के कारण हैं। अपने मन से प्रभावित होकर हम दुखी हैं।
गुरु भक्तों ने पंचकल्याणक शीतकालीन शिविर,चातुर्मास के लिए किया श्रीफल अर्पण
विशुद्ध वर्षा योग समिति के कोषाध्यक्ष निकेश गोधा, मनोज सेठी ने बताया कि आज चौरई मध्यप्रदेश से पहुंचे गुरु भक्तों ने आचार्यश्री को पंचकल्याणक,शीतकालीन शिविर और चातुर्मास के लिए श्रीफल अर्पित किया। मंगलाचरण ब्रह्मचारी विनीत भैय्या ने किया। दीप प्रज्वलन सुरेश बज वाशिम,चौरई से नीरज,नवीन जैन,पप्पू छाबड़ा दुर्ग ने किया। पंडित शरद कुमार ने आज अपने 79वें जन्मदिन के अवसर एवं अपने सुपौत्र के परीक्षा में 98 प्रतिशत आने पर आचार्यश्री का पाद प्रक्षालन कर आशीर्वाद लिया। जिनवाणी स्तुति का पाठ प्रियेश जैन विश्व परिवार ने किया। कार्यक्रम का संचालन अरविंद जैन और दिनेश काला ने किया।