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Islamic New Year : शुरू हुआ इस्लामिक कैलेंडर का नया साल, पर नहीं हुआ चाँद का दीदार, जानें आखिर क्या हैं इतिहास और महत्व...

Sharda Kachhi
30 July 2022 3:11 AM GMT
Islamic New Year
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नई दिल्ली, Islamic New Year : इस्लाम धर्म में मोहर्रम को गम का त्योहार माना जाता है. मुहर्रम को इस्लामिक कैलेंडर 'हिजरी' (Hijri Calendar) का पहला महीना माना जाता है, जिसे इस्लाम धर्म में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है. इस महीने को मुस्लिम धर्म के लोग खुशियों के तौर पर नहीं, …

Islamic New Year

नई दिल्ली, Islamic New Year : इस्लाम धर्म में मोहर्रम को गम का त्योहार माना जाता है. मुहर्रम को इस्लामिक कैलेंडर 'हिजरी' (Hijri Calendar) का पहला महीना माना जाता है, जिसे इस्लाम धर्म में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है. इस महीने को मुस्लिम धर्म के लोग खुशियों के तौर पर नहीं, बल्कि गम और मातक के तौर पर मनाते हैं. इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक़, मोहर्रम के पहले दिन से नया इस्लामिक वर्ष शुरू होता है. मोहर्रम साल का पहला महीना होता है. ऐसे में अगर मोहर्रम का चांद आज यानी 29 जुलाई को दिखा तो 30 जुलाई को मोहर्रम की 1 तारीख होगी, वहीं दूसरी तरफ अगर चांद 30 को हुआ तो 31 जुलाई को मोहर्रम की 1 तारीख होगी.

नहीं हुआ चांद का दीदार, 31 जुलाई से शुरू होगा इस्लामिक नया साल

देश की राजधानी दिल्ली में भी मुहर्रम का चांद देखने की कोशिश की गई. लेकिन चांद का दीदार नहीं है. चांद का दीदार नहीं होने पर 31 जुलाई से इस्लामिक नया साल शुरू होगा. वहीं लखनऊ में भी लोगों ने मुहर्रम का चांद देखने की कोशिश की. लेकिन चांद का दीदार नहीं हुआ.

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इतिहास और महत्व-

इस्लामिक न्यू ईयर की शुरुआत 622 AD में हुई थी जब पैगंबर मोहम्मद और उनके साथियों को मक्का छोड़कर मदीना जाने के लिए मजबूर किया गया था. पैगंबर और उनके साथियों को मक्का में इस्लाम का संदेश का प्रचार- प्रसार करने से भी रोका गया था. हजरत मोहम्मद जब मक्का से निकलकर मदीना में बस गए तो इसे हिजरत कहा गया. इसी से हिज्र बना और जिस दिन वो मक्का से मदीना आए, उसी दिन से हिजरी कैलेंडर शुरू हुआ.

इस्लाम धर्म के अनुसार, मुहर्रम के महीने को शोक या मातम का महीना कहा जाता है. इस महीने की 10 तारीख को इमाम हुसैन की शहादत हुई थी, जिसके चलते इस दिन को रोज-ए-आशुरा कहते हैं. इस दिन को मुहर्रम के महीने का सबसे अहम दिन माना जाता है. इस बार मुहर्रम 19 अगस्त को मनाया जाएगा. इस दिन ताजिया निकाले जाते हैं और उन्हें कर्बला में दफन किया जाता है.

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