Begin typing your search above and press return to search.
Main Stories

PMLA : सुप्रीम कोर्ट से उठा लोगों का विश्वास, अब मोदी सरकार की कंट्रोल में SC! ED के क्रूर रवैया को बताया वैध  

viplav
27 July 2022 6:05 PM GMT
Supreme Court
x

New Delhi : PMLA जाति, रंग, नस्ल, लिंग, धर्म या भाषा के आधार पर कोई भेदभाव से परे संविधान को माना जाता है। जिसकी रक्षा की जिम्मेदारी सुप्रीम कोर्ट के हांथों होती है। संविधान में हर एक व्यक्ति का दर्जा सामान है, जिस आधार पर न्यायलय को दोनों की दलीलों को सुन निष्पक्ष …

Supreme Court

New Delhi : PMLA जाति, रंग, नस्ल, लिंग, धर्म या भाषा के आधार पर कोई भेदभाव से परे संविधान को माना जाता है। जिसकी रक्षा की जिम्मेदारी सुप्रीम कोर्ट के हांथों होती है। संविधान में हर एक व्यक्ति का दर्जा सामान है, जिस आधार पर न्यायलय को दोनों की दलीलों को सुन निष्पक्ष फैसले सुनाए जाने चाहिए। लेकिन कई बार ऐसे मामले सामने आए है जिसमें कहीं ना कहीं पक्षपात करते हुए फैसले सुनाती है। ऐसा ही एक मामला आज सामने आया है, जिससे लोगों का भरोसा देश के सर्वोच्च न्यायलय से उठ रहा है।

Read More : 3 मार्च तक ED की कस्टडी में रहेंगे नवाब मलिक,शरद पवार ने की सीएम ठाकरे संग मीटिंग,कल ले सकते है बड़ा फैसला…

आज सुप्रीम कोर्ट ने ईडी (ED) के गिरफ्तारी के अधिकार को सुरक्षित कर लिया है। प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत ED द्वारा की गई गिरफ्तारी, जब्ती और जांच की प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिकाओं को ख़ारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार के दबाव में आकर ED की शक्तियों के प्रयोग को मजबूती देते हुए हरी झंडी दिखा दी है। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने MLA के अपराध की आय, तलाशी और जब्ती, गिरफ्तारी की शक्ति, संपत्तियों की कुर्की और जमानत की दोहरी शर्तों जैसे कड़े प्रावधानों को बरक़रार रखा है।

Read More : ED Raid : ममता के मंत्री के घर ED का छापा, हुए गिरफ्तार, 2 हजार और 500 मिले इतने नोट की मंगानी पड़ी नोट गिनने की मशीन…

सुप्रीम कोर्ट में आज ईडी की शक्तियों को लेकर एक फैसला आया है। 282 याचिका दायर कर चुनौती दी गयी थी कि PMLA एक्ट को लेकर किये गए संसोधन अधिकार संसद को नहीं है। पीएमएलए ईडी को नहीं बताना पड़ता है की गिरफ्तारी किस आधार पर की जा रही है।सीसीआईआर की कॉपी भी देना अनिवार्य नहीं है। आरोपी जो भी बयान देता है उसे ट्रायल के दौरान सबूत मान लिया जाता है। इसी के साथ जमानत की शर्तें भी बहुत सख्त होती है यहां तक की जमानत नहीं मिलती है।

सुप्रीम कोर्ट में केंद्र ने भी अपना पक्ष रखा है Solicitor General of India तुहार महत्ता ने बताया की अबतक PMLA एक्ट में 303 केस बस हुए है । इन मामलों में अदालतों के अंतरिम आदेशों में कवर राशि करीब 67000 करोड़ रुपए है। आगे इसके तहत दो आंतकवादियों की सजा भी हुई है, वहीं उसके स्त्रोत भी पकड़े गए है।

Read More : विजय माल्या के खिलाफ ED की बड़ी कार्रवाई, फ्रांस में 14 करोड़ की संपत्ति हुई जब्त

इस मामले की सुनवाई AM खान की बेंच से लेकर जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और सिटी रविकुमार के समक्ष चल रही है। AM खान की बेंच के सामने सवाल था कि PMLA में जिन संसोधनों को किया गया है वह नहीं किए जा सकते, क्या संसद द्वारा किया जा सकता था या नहीं ?

बेंच ने कहा की "गंभीर अपराध को रोकने के लिए कड़े कदम बहुत जरुरी है मनी लॉन्ड्रिंग ने को बढ़ावा दिया और इससे देश की एकता और अखंडता को खतरा पहुँचता है। इसलिए अधिकारीयों के लिए किसी मनी लॉन्ड्रिंग मामले में किसी आरोपी को आधार का खुलासा करना अनिवार्य नहीं है। ईडी अफसर पुलिस अधिकारी नहीं है, इसलिए एक अपराध में दोहरी सजा हो सकती है। सभी ट्रांसफर यांचिकयों को संबंधित हाईकोर्ट को भेज दिया गया है। जिन्हे भी अंतरिम राहत चार हफ्ते तक बनी रहेगी, जबतक अगर निजी पक्षकार अदालत से राहत वापस लेने की मांग ना करें। "

Read More : बड़ी खबर : पूर्व राज्यसभा सांसद KD सिंह गिरफ्तार, ED ने कसा शिकंजा, जानिए आखिर क्या है माजरा

देश में ईडी की कार्यवाई प्रक्रिया पर विपक्षों द्वारा मोदी सरकार को घेरते हुए जबरदस्त विरोध और आरोपों का प्रहार करते है, जहां पहले कांग्रेस के राहुल गांधी से ईडी ने पूछताछ की वहीं अब कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी सवाल जवाब कर रही है। इसे लेकर सैंकड़ों की तादाद में समर्थक विरोध में सड़क पर उत्तर आए। अन्य विपक्षी दल भी मोदी सरकार पर ईडी के कंट्रोल को लेकर खुल कर बोले चुके है। इसी तरह एनसीपी के कद्दावर नेता छगन भुजबल ने साल 2018 में निजी मीडिया से बातचित के दौरान आरोप लगाए थे कि जो भी भाजपा के विरोध में कहता है उस पर ईडी का शिकंजा कसता है।

Read More : IAS Pooja Singhal Arrest : ED ने 16 घंटे पूछताछ के बाद दंपति को किया गिरफ्तार, उगला मंत्री का नाम

आगे कहा - “ईडी किसी पर तब तक हमला नहीं करेगा जब तक कि बीजेपी नेताओं ने ऐसा करने के लिए नहीं कहा। अगर कोई बीजेपी में शामिल होता है तो उसके खिलाफ ईडी कोई कार्रवाई नहीं करेगी… मंत्री ने कहा कि ईडी के मामलों में एक आरोपी को जमानत मिलना बहुत मुश्किल है, जिनमें से ज्यादातर धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत दायर किए जाते हैं। ईडी एक राक्षसी कानून है (पीएमएलए का एक स्पष्ट संदर्भ)। हम सभी को एक साथ आने और ईडी कानून को निरस्त करने की जरूरत है।

उन्होंने मोदी सरकार के कंट्रोल पर जो बयान दिए है उसके साथ सभी विपक्षी दल ईडी की क्रूर कार्यवाही को लेकर सवाल कर रही है। मामलें में सुप्रीम कोर्ट के आने वाले फैसले के बाद क्या कभी उन आरोपों का जवाब मिल पाएगा जो ईडी को लेकर उठ रहे ? इस फैसले के असर काफी गंभीर रूप से प्रभावी होगा।

Next Story