Rupees All Time Low: डॉलर के आगे रुपया हुआ पस्त, ऐतिहासिक स्तर पर फिसला, रिकॉर्ड निचले स्तर पंहुचा 80 के पार…

 

Dollar vs Rupees

 

नई दिल्ली, Rupees All Time Low: रुपए में गिरावट का सिलसिला जारी है. आज डॉलर के मुकाबले रुपया (Dollar vs Rupees) 80 के ऐतिहासिक और मनोवैज्ञानिक स्तर तक फिसल गया. आज सुबह डॉलर के मुकाबले रुपया 7 पैसे की गिरावट के साथ 80.05 के स्तर पर खुला. सोमवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 16 पैसे की गिरावट के साथ 79.98 के स्तर पर बंद हुआ था. न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, कारोबार के दौरान सोमवार को ही इसने 80 का स्तर पार किया था. रुपये के लिए 80 एक मनोवैज्ञानिक स्तर था. जानकारों का कहना है कि अब रुपए में भारी गिरावट संभव है. यह फ्री फॉल की तरफ बढ़ रहा है, क्योंकि मनोवैज्ञानिक टूटने के बाद सेंटिमेंट नेगेटिव हो गया.

Rupees All Time Low : IIFL सिक्यॉरिटीज के वाइस प्रेसिडेंट अनुज गुप्ता ने अभी बाजार में पूरी तरह अनिश्चितता है. उन्होंने कहा कि डॉलर के मुकाबले रुपया 80.20 के स्तर तक फिसल सकता है. अगर यह स्तर टूट जाता है तो रुपया 80.40 की तरफ आगे बढ़ेगा. रुपए के लिए पहला सपोर्ट 79.90 का स्तर है. और ज्यादा मजबूती आने पर यह दूसरा सपोर्ट 79.70 के स्तर पर है.

Rupees All Time Low ; 25 फीसदी तक फिसला रुपया

सदन में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को कहा कि दिसंबर 2014 के बाद से रुपए में अब तक 25 फीसदी की गिरावट आ चुकी है. इसके लिए उन्होंने दो महत्वपूर्ण फैक्टर को जिम्मेदार पहला. पहला क्रूड ऑयल का भाव और दूसरा यूक्रेन पर रूस का हमला. बता दें कि यूक्रेन पर हमले के बाद ही क्रूड ऑयल के भाव में तेजी आने लगी और यह 140 डॉलर प्रति बैरल के स्तर तक पहुंच गया था. भारत जरूरत का 85 फीसदी तेल आयात करता है. ऐसे में क्रूड का भाव भारत के लिए बहुत अहम हो जाता है.

रुपए में पिछले आठ सालों में किस तरह गिरावट आई

RBI के आंकड़े के मुताबिक, 31 दिसंबर 2014 में डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपए की विनिमय दर 63.33 रूपये थी. 31 दिसंबर 2015 को प्रति डॉलर विनिमय दर 66.33 रुपए, दिसंबर 2016 में 67.95 रुपए, 29 दिसंबर 2017 को 63.93 रुपए, 31 दिसंबर 2018 को 69.79 रुपए, 31 दिसंबर 2019 को 71.27 रुपए, 31 दिसंबर 2020 को 73.05 रुपए और 31 दिसंबर 2021 को 74.30 रुपए दर्ज की गई. आज यह 80 के पार पहुंच गया है.

विदेशी निवेशकों की बिकवाली का भी असर

वित्त मंत्री ने कहा कि विदेशी पोर्टफोलियो पूंजी का बाहर निकलना भारतीय रुपये में गिरावट का एक प्रमुख कारण है. विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने वित्त वर्ष 2022-23 में अब तक भारतीय शेयर बाजारों से लगभग 14 अरब डॉलर की निकासी की है. सीतारमण ने कहा कि नाम मात्र विनिमय दर किसी अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने वाले कारणों में से एक है. उन्होंने कहा कि किसी मुद्रा की वैल्यू में गिरावट से निर्यात प्रतिस्पर्धा में वृद्धि होने की संभावना रहती है जो बदले में अर्थव्यवस्था को सकारात्मक रूप से प्रभावित करती है.

 

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