Martyr Captain Vikram Batra Martyrdom Day: CM बघेल ने “शहीद कैप्टन विक्रम बत्रा” को उनके शहादत दिवस पर किया याद, कहा- या तो तिरंगा लहरा के आऊंगा या तो तिरंगे में लिपटा चला आऊंगा, लेकिन
रायपुर, Martyr Captain Vikram Batra Martyrdom Day: ये दिल मांगे मोरः कारगिल की 4875 की चोटी, ‘विक्रम बत्रा टॉप’ के नाम से जानी जाती है. यह चोटी भारतीय सपूत परमवीर चक्र से सम्मानित कैप्टन विक्रम बत्रा के अदम्य साहस की याद दिलाती है, जिन्होंने कारगिल युद्ध के दौरान सर्वोच्च बलिदान देकर शौर्य की स्वर्णिम गाथा लिखी.
9 सितंबर 1974 को हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh)के पालमपुर में पैदा हुए विक्रम बत्रा 1996 में सर्विसेस सिलेक्शन बोर्ड में चयनित होकर इंडियन मिलिट्री एकेडमी से जुड़े और मानेकशॉ बटालियन का हिस्सा बने. ट्रेनिंग पूरी करने के दो साल बाद ही उन्हें लड़ाई के मैदान में जाने का अवसर मिल गया.
वही आज छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने “शहीद कैप्टन विक्रम बत्रा” को याद करते ट्वीट करते हुए उन्हें नमन किया है उन्होंने “शहीद कैप्टन विक्रम बत्रा”की एक लाइन लिखी है “या तो तिरंगा लहरा के आऊंगा या तो तिरंगे में लिपटा चला आऊंगा, लेकिन आऊंगा ज़रूर.”
"या तो तिरंगा लहरा के आऊंगा या तो तिरंगे में लिपटा चला आऊंगा, लेकिन आऊंगा ज़रूर."
-शहीद कैप्टन विक्रम बत्रा
शहादत दिवस पर शत शत नमन।#VikramBatra #विक्रमबत्रा pic.twitter.com/NffBJJfsCW— CMO Chhattisgarh (@ChhattisgarhCMO) July 7, 2022
बता दे कि दिसंबर 1997 में उन्हें जम्मू (Jammu) के सोपोर में 13 जम्मू (Jammu) कश्मीर राइफल्स में लेफ्टिनेंट पद पर नियुक्ति मिली और जून 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान वे कैप्टन के पद पर पहुंच गए. कैप्टन बत्रा की टुकड़ी को श्रीनगर (Srinagar)-लेह मार्ग के ऊपर 5140 चोटी को मुक्त कराने की जिम्मेदारी दी गई. जिसे उन्होंने बखूबी अंजाम दिया. 20 जून 1999 की सुबह चोटी को कब्जे में ले लिया. रेडियो पर दिये गए संदेश में उन्होंने कहा था- ये दिल मांगे मोर
इस सफलता के बाद उनकी टुकड़ी को 4875 की चोटी पर कब्जा करने की जिम्मेदारी मिली. 7 जुलाई 1999 को चोटी पर कब्जे से पहले उन्होंने अपनी टुकड़ी के साथ कई पाकिस्तानी सैनिकों को खत्म करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी.