भावनाओं को शब्दों में पिरोती इस सुंदर कविता में छिपा है जीवन का सत्य, पढ़िए लेखक ‘दिलबाग राज’ की यह रचना

रायपुर। अच्छी कविताएं सीधे दिल तक पहुँचती है, क्योंकि इसे लिखा भी दिल से जाता है। लेखन में अपनी भावनाओं को शब्दों में पिरोना कठिन काम है, लेकिन जो इसमें सफल हुआ उसने अपनी रचना से लोगों को प्रभावित किया है। राजधानी के लेखक दिलबाग राज ने ‘फिर किसी ने कह दिया है’ में अपनी भावनाओं को शब्दों में सुन्दर तरीके से पिरोया है, जिसमें जीवन का सत्य नजर आता है। आप भी पढ़िए।
फिर किसी ने कह दिया है *
फिर किसी ने कह दिया है
आज मुझको खूबसूरत
एक समझौता मेरे हिस्से मे
फिर से आएगा
भावनाओं को बनाकर तीर
बींधा हृदय तल तक
बांध अपनी प्रीत से
जाने कहाँ ले जाएगा?
कट रहा है वक़्त तनहा
शुष्क आँसू हो चुके हैं
वंचनाओं से व्यथित
विश्वास सारा खो चुके हैं
गुनगुनाना चाहती हूँ
ढूंढती हूँ स्वर सुरीला
तार वीणा के कसे तो
गीत नूतन आएगा
अश्रु पीते समय गुजरा
मौन रहकर सब सहा है
किसी से अंतर्व्यथा को
कब कहाँ मैंने कहा है?
पीर मन की बड़ी गहरी
देखती ना दिन दुपहरी
दर्द जो इतना सहा है
जान लेकर जाएगा
युद्ध जीवन से करें क्यों
लक्ष्य ही आनंद है जब
वर्जनाओं को नकारा
विश्व की बातें सुनीं कब
बोल मीठे जो लगे हों
जो मधुरता से पगे हों
सुर मिलाएँगे उन्हीं से
जो हमे भा जाएगा
फिर किसी ने कह दिया है
आज मुझको खूबसूरत
कोई समझौता मेरे हिस्से मे
फिर से आएगा
-दिलबाग राज.