टीबी के अति संवेदनशील मरीजोें की खोज शुरू, संभावितों की होगी ट्रूनॉट पद्धति से जांच…
रायपुर। रायपुर जिले को वर्ष 2023 तक टीबी से मुक्त बनाने के उद्देश्य से आज से शहरी क्षेत्रों की मलिन बस्तियों में टीबी के अति संवेदनशील लोगों की खोज शुरू की गई है। संभावित रोगियों की ट्रू नॉट पद्धति से जांच उपरांत पंजीकृत करके नि:शुल्क उपचार शुरू किया जाएगा और मितानीन के माध्यम से नियमित फॉलो-अप भी किया जाएगा ।
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जिला क्षय रोग नोडल अधिकारी डॉ. अविनाश चतुवेर्दी ने बताया टीबी के अति संवेदनशील लोगों की खोज का सर्वे शुरू कर दिया गया है। सर्वे की प्रत्येक टीम में दो सदस्य है, जिसमें एक एएनएम और दूसरा मितानिन, टीबी मित्र या किसी एनजीओ का सदस्य है। आज खोखोपारा और कालीबाड़ी की बस्तियों से कार्यक्रम की शुरूआत की गई है। सर्वें में पाजिटिव (धनात्मक) आए लोगों को पंजीकृत करके निशुल्क उपचार प्रदान किया जाएगा। जेल, खदान, आश्रय गृह और अन्य संवेदनशील जगहों का मानचित्रण किया जाएगा।
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सर्वे के दौरान टीबी की जांच सभी उम्र के लोगों की होगी और 30 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों की मधुमेह और उच्च रक्त चाप की भी जांच की जा रही है। मधुमेह से पीड़ित व्यक्तियों में क्षय रोग या टीबी होने का जोखिम तीन गुना ज्यादा होता है। महीने भर चलने वाले इस सर्वे में शामिल होने वाले स्वास्थ्य कर्मियों और अधिकारियों को आॅनलाइन प्रशिक्षण दिया जा चुकां है।
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डॉ. चतुवेर्दी ने बताया कि क्षय रोग जो माइकोबैक्टेरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक जीवाणु से होता है। यह मनुष्य के फेफड़ों, मस्तिष्क, पीठ, घुटने आदि को क्षतिग्रस्त कर सकता है। साथ ही संक्रमित व्यक्ति को गंभीर रूप से बीमार बना देता है। उन्होंने बताया कि संक्रमित गाय का दूध पीने से, संक्रमित व्यक्ति की छींक व खांसी से, प्रतिरोधक शक्ति कमजोर हो तो शरीर में टीबी के जीवाणु पनपने लगते हैं।
जिसके लक्षण में दो सप्ताह से अधिक खांसी रहना, अकारण वजन का घटना व भूख न लगना, लगातार थकावट रहना, एक सप्ताह से अधिक समय तक बुखार बने रहना प्रमुख लक्षण हो सकते है। इसके उपचार के लिए डॉक्टर से सलाह लें तथा डॉक्टर द्वारा बताई गई प्रतिरोधक दवाइयों का नियमित रूप से पूरी अवधि तक सेवन करना चाहिए।
उन्होंने बताया कि उसके रोकथाम के लिए रोगी को अलग कमरे में रखें, फल सब्जियों से युक्त भोजन लें, शरीर में प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने के लिए प्रतिदिन सुबह-शाम सैर करने जांऐ और समय पर बच्चों का टीकाकरण कराएं।
इसी तरह जल्दी जल्दी पेशाब आना, वजन घटना, प्यास बहुत ज्यादा लगना, कमजोरी अथवा थकान होना आदि मधुमेह के प्रमुख लक्षण हैं तथा नमक की अधिक मात्रा में सेवन, अनियमित दिनचर्या, तनाव, धूम्रपान व नशीले चीजों का सेवन करना, अनियमित खानपान व अत्यधिक वजन का बढ़ना आदि उच्च रक्तचाप के प्रमुख कारण हो सकते है।
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जिसके प्रमुख लक्ष्ण में हमेशा थकावट महसूस करना, भारीपन, धुंधला दिखना, अत्यधिक पसीना आना, सर में दर्द बना रहना, सिर घूमना, चिड़चिड़ाहट आना आदि है। जिसके रोकथाम एवं उपचार के लिए हरी साग-सब्जियों का सेवन करना, नमक का कम उपयोग करना, नशीले और धूम्रपान चीजों का सेवन ना करना, नियमित समय पर जांच व परामर्श कराना, योगा व एक्सरसाइज नियमित रूप से करना चाहिए।