Air India के CEO बने कैंपबेल विल्सन, जानें उनके बारे में 5 ख़ास बातें….

 

 

 

 

टाटा संस ने कैंपबेल विल्सन को एअर इंडिया का नया MD और CEO बनाया है। एअर इंडिया के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने इस नियुक्ति पर कहा, ‘एअर इंडिया में कैंपबेल का स्वागत करते हुए मुझे खुशी हो रही है। वह इंडस्ट्री के दिग्गज हैं। एअर इंडिया को अनुभव से फायदा मिलेगा। मैं वर्ल्ड क्लास एयरलाइन बनाने में उनके साथ काम करने के लिए उत्सुक हूं।’

50 साल के विल्सन के पास एविएशन इंडस्ट्री का 26 साल का अनुभव है। इसमें फुल सर्विस और लो-कॉस्ट दोनों एयरलाइन्स शामिल है। उन्होंने सिंगापुर एयरलाइंस (SIA) ग्रुप के लिए जापान, कनाडा और हॉन्गकॉन्ग जैसे देशों में 15 से अधिक वर्षों तक काम किया है। यहां हम आपको ये भी बता दें कि टाटा के स्वामित्व वाली एयरलाइन विस्तारा में SIA भी पार्टनर है।

 

 

 

 

  • 50 वर्षीय विल्सन के पास उद्योग का 26 साल का अनुभव है. वह पूर्ण सेवा एयरलाइन के अलावा किफायती सेवाएं देने वाली विमानन कंपनियों में भी रहे हैं.
  • टाटा संस और एयर इंडिया के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने कहा, ‘‘मुझे विल्सन का एयर इंडिया में स्वागत करते हुए खुशी हो रही है. वह विमानन उद्योग के एक दिग्गज अनुभवी हैं जिन्होंने प्रमुख वैश्विक बाजारों में काम किया है.”उन्होंने कहा, ‘‘एशिया में एयरलाइन ब्रांड स्थापित करने के उनके अनुभव से एयर इंडिया को फायदा मिलेगा. मैं एक विश्वस्तरीय एयरलाइन बनाने के लिए उनके साथ काम करने के लिए उत्सुक हूं.”
  • विल्‍सन वर्ष 2011 में सिंगापुर एयरलाइंस की लो कास्‍ट कंपनी Scoot के संस्‍थापक सीईओ थे और 2016 तक यह जिम्‍मेदारी संभाली. इसके बाद उन्‍होंने SIA के वरिष्‍ठ उपाध्‍यक्ष सेल्‍स और मार्केटिंग के तौर पर भी सेवाएं दीं.
  • अपनी नियुक्ति पर प्रतिक्रिया देते हुए विल्‍सन ने कहा, ‘प्रतिष्ठित एयर इंडिया का नेतृत्‍व करने और बेहद सम्‍मानित टाटा ग्रुप का हिस्‍सा बनने के लिए चुना जाना अपने आप में बेहद सम्‍मान की बात है. एयर इंडिया दुनिया की सर्वश्रेष्‍ठ एयरलाइनों में से एक बनने की ओर अग्रसर है. मैं इस महत्‍वाकांक्षा को साकार करने के लिए मिशन में एयर इंडया और टाटा के सहयोगियों के साथ जुड़ने को लेकर उत्‍साह से भरा हूं.
  • इससे पहले इस साल फरवरी में टाटा संस ने तुर्की की एयरलाइंस के पूर्व चेयरमैन इल्कर आयसी को एयर इंडिया का सीईओ एवं प्रबंध नियुक्त करने की घोषणा की थी. हालांकि, भारत से जुड़े अपने विचारों को लेकर विवादों के बीच आयसी ने इस पेशकश को ठुकरा दिया था.

 

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