FOREST FIRE की घटनाएं महज एक संयोग या इसके पीछे कोई बड़ी साजिश? वन विभाग पर उठने लगे सवाल
एस के मिनोचा : शहडोल/जैतपुर वन परीक्षेत्र जैतपुर के बीट बंसी पतेरा नवनिर्मित प्लांटेशन कि आग को लेकर वन विभाग के अधिकारी कर्मचारियों की कार्यशैली पर तरह-तरह के सवालिया निशान उठने लगे हैं ।उक्त प्लांटेशन के वर्तमान स्थिति को देखते हुए यह स्पष्ट साबित हो रहा है कि निश्चित रूप से वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों ने प्लांटेशन कंपार्टमेंट 845 के वृक्षारोपण में जमकर भ्रष्टाचार की डुबकी लगाते हुए सरकारी राशि का बंदरबांट किया गया है । इतना ही नहीं उक्त प्लांटेशन की आग पूरी तरह से बुझी नहीं की अब जंगल में लगी आग को लेकर तरह-तरह के तथ्य सामने आने लगे हैं । जन चर्चा है कि उक्त प्लांटेशन वर्ष 2020-21 में वन विभाग के द्वारा वृक्षारोपण कराए जाने के लिए बड़े मात्रा में प्रोजेक्ट बनाकर शुरुआत किया गया था । जिसमें लगभग राशि 50 से 60 लाख खर्च किए जाने के बाद 80000 मिश्रित पौधों का वृक्षारोपण कराया जाना निश्चित हुआ था।
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लेकिन भ्रष्टाचार की बहती गंगा में हाथ धोने बैठे वन परिक्षेत्र अधिकारी से लेकर जिम्मेदार अधिकारी तक शासन द्वारा दिए गए आधे करोड रुपए की खानापूर्ति करते हुए वृक्षारोपण का कार्य आधा अधूरा कराकर सरकारी राशि हजम कर लिया गया था जिसकी चर्चा आम जनमानस में वन में लगी आग की तरह भड़क उठी थी। और भ्रष्टाचार की भेंट चढ़े जंगल की गोद ज्यों की त्यों सूनी देख हरकत में आए वन विभाग के अधिकारी कर्मचारियों ने ही अपने द्वारा किए गए भारी भ्रष्टाचार में पर्दा डालने के उद्देश्य उक्त प्लांटेशन को आग के हवाले करते हुए लीपापोती का खेल खेला जा रहा है । जन चर्चा है कि उक्त खेल में वन विभाग में पदस्थ मुख्य वन संरक्षक पीके वर्मा सहित डीएफओ एसडीओ वन परीक्षेत्र अधिकारी सहित अन्य कर्मचारियों की भूमिका संदेहास्पद देखी जा रही है।
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ज्ञातव्य है कि घटना दिनांक को प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि उक्त प्लांटेशन में सुबह 8:00 बजे से ही आग की ज्वाला भड़क चुकी थी ।जिसे काबू पाने 1,2 कर्मचारियों के बूते आग बुझाई जा रही थी यह सत्य है कि 12 घंटे बाद वन विभाग का अमला वहां पहुंचा और रात्रि में लगभग 12:00 बजे के आसपास माना जाए तो 16 घंटे बाद किसी कदर पर आग बुझाई गई। तब तक जंगल पूरी तरह से जलकर खाक हो चुका था सूत्रों की माने तो जिस वक्त जंगल में आग लगी हुई थी और जंगल चारों तरफ से आग की लपटों में झुलस रहा था । उस वक्त वन परीक्षेत्र अधिकारी स्वत : अपने वन विभाग के अधिकारी कर्मचारियों के साथ बुढार के एक होटल में रंगरेलियां मना रहे थे। जबकि लोगों का मानना है की 12 घंटे बीत जाने के बाद अगर किसी जिम्मेदार अधिकारी के कार्यक्षेत्र में नुकसान होने जा रहा है तो उस वक्त वह अधिकारी अपनी पूरी ताकत झोंक कर हो रहे नुकसान को बचाने का प्रयास करेगा ना कि होटल में जमावड़े के साथ रंगरेलियां मनाएगा । इन तमाम तरह की चर्चाओ के बाद यह स्पष्ट साबित होता है कि वन विभाग के अधिकारी कर्मचारियों की मिलीभगत के कारण वन परिक्षेत्र जैतपुर के बीट बंसीपतेरा का नवनिर्मित प्लांटेशन की आग जानबूझकर काली करतूत में पर्दा डालने के उद्देश्य अंजाम दिया गया है।