आर्थिक संकट : देश जूझ रहा भारी कर्ज के जाल से, 1 रुपये में से 20 पैसा जाएगा ब्याज भुगतान में
नई दिल्ली। वर्ष 2020 में देश का कुल कर्ज जीडीपी(GDP) अनुपात 74 से 90 फीसदी तक पहुंच गया है। कहा जाये तो देश आर्थिक संकट(Economic Crisis) के दौर से गुजर रहा है। वर्ष 2020 में भारत(INDIA) का कुल जीडीपी करीब(GDP) 189 लाख करोड़ रुपये और कर्ज करीब 170 लाख करोड़ रुपये था। आईएमएफ (IMF)ने यह दावा किया है कि देश की अर्थव्यवस्था(ECONOMICS) में अब जो सुधार हो रहा है, उसकी वजह से यह अनुपात घटकर 80 फीसदी तक आ सकता है। यह काफी ज्यादा बढ़त है। दूसरे उभरते बाजारों या उन्नत अर्थव्यवस्थाओं(ECONOMIC) का भी यही हाल है।’ अनुमान लगाया जा रहा है कि जैसे-जैसे अर्थव्यवस्था (ECONOMIC) सुधरेगी, कर्ज अनुपात में सुधार होगा। अर्थव्यवस्था (ECONOMIC) में अच्छा सुधार हुआ तो मध्यम अवधि में यह अनुपात करीब 80 फीसदी तक आ जाएगा।’
आईएमएफ(IMF) के वित्तीय मामले विभाग के डिप्टी डायरेक्टर पाओलो मॉरो (Director paolo morrow) ने कहा है कि सबसे पहली प्राथमिकता यह होनी चाहिए कि लोगों और कंपनियों(COMPANIES) का सहयोग किया जाए, खासकर सबसे जोखिम वाले सेक्टर को। साथ ही यह भी महत्वपूर्ण है कि आम जनता और निवेशकों को यह फिर से भरोसा दिया जाए कि लोक वित्त नियंत्रण में रहेगा और एक विश्वसनीय मध्यम अवधि के राजकोषीय ढांचे के द्वारा इसे किया जाएगा।
उन्नत देशों में कर्ज-जीडीपी अनुपात 40 से 50 फीसदी पर है। साल 2014-15 में जब मोदी सरकार सत्ता में आई थी तो देश का कर्ज-जीडीपी अनुपात 2014-15 करीब 67 फीसदी था। भारत सरकार के बजट के अनुसार इस साल केंद्र सरकार के खर्च हुए हर 1 रुपये में से करीब 20 पैसा ब्याज भुगतान में ही चला जाएगा।
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